अनन्त के गुण हैं अजीब

इस चिट्ठी में अनन्त के अजीब गुणों को बताते एक रोचक विडियो की चर्चा है।

अनन्त का चिन्ह - विकिपीडिया के सौजन्य से

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कौन सा मनका पहले पहुंचेगा और बड़ा निशान बनायेगा

इस चिट्ठी में न्यूयॉर्क के नम्बर प्ले की कड़ी से एक अन्य पहेली

यह चित्र उसी नम्बर प्ले की उसी चिट्ठी से है।

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किस गोले से चॉकलेट निकालूं

इस चिट्ठी में, मेरी दो प्रिय वेबसाइटों के साथ, हेलौवीन उत्सव एवं एक पहेली की चर्चा की चर्चा है।

हेलौवीन दिवस पर बच्चे

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आज का दिन महत्वपूर्ण है

‘अरे उन्मुक्त जी, क्यों बोर कर रहे हैं। हमें भी मालुम है कि आज अलबर्ट आइन्स्टीन का जन्मदिन है। केवल आप ही नहीं हैं जिसने जीशान जी की बेहतरीन चिट्ठी पढ़ी है। हमने भी उसे पढ़ा है। दूसरों की बात मत दोहराइये।’

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तूफानी-अंधेरी रात, बस स्टॉप और पहेलीबाज

पहेली बूझना तो पहेलीबाज जी के जिम्मे था – मालुम नहीं कहां खो गये। क्या, किसी को, उनका पता मालुम है?

मुझे पहेलियों अच्छी लगती हैं, मैंने इस बारे में कुछ चिट्ठियां मार्टिन गार्डनर, मार्टिन गार्डनर की पुस्तकें, पहेली बाज ज़ज, और २ की पॉवर के अंक, पहेलियां, और कमप्यूटर विज्ञान लिखी हैं। आज नितिन जी ने कुछ सवाल पूछ लिये इसी कारण मुझे भी सवाल/ पहेली पूछने का जोश आ गया। वैसे, कुछ महीने पहले, मैंने इसे दूसरे संदर्भ में इसे यहां पॉडकास्ट किया था।

एक तूफानी – अंधेरी रात है, आप स्पोर्टस् कार में जा रहे हैं। एक बस स्टॉप के सामने से जब गुजर रहे हैं तो बिजली कड़कती है। उसकी रोशनी में आप देखते हैं कि तीन लोग बस स्टॉप पर खड़े, बस का इन्तजार कर रहें हैं। इन तीनो कि अलग अलग मुश्किले हैं

  1. एक वृद्ध बीमार महिला है जो अस्पताल जाने के लिये बस का इन्तजार कर रही हे। यदि वह अस्पताल नहीं पहुंची तो मर सकती है;
  2. आपका एक खास मित्र जिसने न केवल आपके लिये कई उपकार किये हैं, न केवल आप उसके एहसानो से दबे हैं पर इसने आपको अपनी कार में बैठा कर कई बार सैर करवायी है। आज इसके पास कार नहीं है और उसे बस पकड़ कर शहर जाना है। उसका वहां साक्षात्कार होना है। यदि वह समय से न पहुचां तो उसे वह नौकरी न मिलगी और वह बेरोजगार रह जायगा;
  3. एक युवती/ यूवक जो कि आपकी/ आपका आर्दश जीवन साथी बन सकती/ सकता है। यदि उसे आज आपने छोड़ दिया तो वह फिर कभी आपको नहीं मिलेगी/ मिलेगा।

आपको मालुम है कि तूफान के कारण बस सर्विस रोक दी गयी है, कोई बस नहीं आयेगी। स्पोर्टस् कार में केवल दो ही लोग बैठ सकते हैं। आपके पास इतना समय नहीं है कि आप दो ट्रिप कर सकें, आप किसे लिफ्ट देंगे,

  • मानवता के नाते, वृद्ध बीमार महिला को – क्योंकि यदि वह अस्पताल न पहुंची तो मर जायगी। मित्र को तो दूसरा साक्षात्कार का मौका मिल सकता है; कोई जरूरी नहीं कि उसे नौकरी मिल ही जाये। आर्दश जीवन साथी तो फिर भी मिल सकता है; या
  • मित्रता के नाते, मित्र को – क्योंकि आप उसका ऐहसान से दबे हैं और उसे उतारना चाहते हैं। महिला तो वृद्ध है, उसे तो मरना ही है। जीवन में कोई आदर्श साथी नहीं होता है, यह तो बनाना पड़ता है; या
  • अपने लिये, आर्दश जीवन साथी को – क्योंकि वह फिर नहीं मिलेगी या मिलेगा। आप अपना जीवन सुखी देखना चाहते हैं। ; या
  • आप वहां नहीं रुकेंगे – क्योंकि यह मुश्किल सवाल है आप वहां पर रुक कर इस उलझन में नहीं पड़ना चाहते।

आप क्या करेंगे? ऊपर लिखे विकल्प में किस को चुनेगे? या फिर कुछ और करेंगे।

आप इसका जवाब बताइये और तब तक मैं लिखता हूं, हमने जानी है जमाने में रमती खुशबू की दूसरी कड़ी। इसकी पहली कड़ी तो यहां है। वह तो पढ़ी है न आपने।

आईने, आईने, यह तो बता – दुनिया मे सबसे सुन्दर कौन

मै आपको स्नो-व्हाईट और सेवेन द्वार्फस की कहानी नहीं बताने जा रहा हूं| मै तो आपसे आईने के प्रतिबिम्ब, पैरिटी कंज़रवेशन, ४=५, और समलैंगिक रिस्तों के बारे मे बात करने जा रहा हूं| जी हां, वही ४=५ की विसंगति जिसे मैने यहां बताया था| आप तो कहेंगे,

‘अच्छा मजाक कर लेते हो| क्या इन सब मे कोई सम्बन्ध है? बड़ी मुशकिल से टोने-टोटके वाले ब्लौग से छुटकारा मिला है|’

इस विषय के बारे मे चर्चा करने से पहले, स्पष्टीकरण|

यह विसंगति ईमेल के द्वारा नितिन जी ने मुझे भेजी थी पर उसमे वह कुछ नहीं लिखा था जिसका जिक्र मैंने अपनी पोस्ट पर किया था| वे मुझसे उस तरह की विसंगतियों के बारे मे लिखने को कह रहे थे| उस समय मै समलैंगिक रिश्तों के बारे मे नहीं लिखना चाहता था – कुछ दुविधा मे था| लगा कि मालुम नहीं क्या अर्थ निकाला जायेगा – क्या हम इस तरह की बात-चीत करने के लिये परिपक्व हैं? इसिलिये मैने कुछ और विसंगतियां लिखते हुये वापस इस सुझाव के साथ भेजा कि वे इसे पहेलीबाज जी के पास भेज दें ताकि वह इसे अपने चिठ्ठे पर पहेली की तरह पूछ सके| उसके बाद, दो बाते हुईं,

‘शायद जर्मनी की हवा ने क्षितिज को अपनी सेक्सुअल पसंद की खुलेआम चर्चा करने का साहस दिया है। क्षितिज आपकी साफगोई की प्रशंसा करते हुए हम उम्मीद करेंगे कि समलैंगिक संबंधों के विषय पर और लिखेंगे।’

तब मुझे लगा कि इस विषय पर बात की जा सकती है| इसलिये मैने इसे थोड़ा मोड़ देते हुऐ पूछ लिया| अब चलते हैं, कि इन सब के सम्बन्ध के बारे मे चर्चा करते हैं|

यह विषय कुछ बड़ा है और एक पोस्ट मे नहीं हो सकता मेरे पास समय कम है – मुन्ने की मां बच्चों सहित अभियान ट्यूरिंग पर निकल चुकीं हैं इसलिये मै केवल भूमिका ही लिखूंगा और बाकी फिर कभी यदि ‘अभियान ट्यूरिंग’ से इजाद मिल सकी तो| पर वह सब आपको मिलेगा केवल उंमुक्त के चिठ्ठे पर|

इस विसंगति मे गणित के अंको (rational numbers) का प्रयोग किया गया है| यदि हम ज़ीरो को छोड़ दें तो अंको को दो पारस्परिक अनन्य वर्गों – धन और ऋण के – मे बांटा जा सकता है| इन दो वर्गों कि खायियत यह है कि यदि आप किसी वर्ग के दो सदस्यों को ले और उनमे एक सम्बन्ध (यहां गुणे का) स्थापित करें तो हमेशा एक तरह का फल धन अंक ही आयेगा पर दोनो भागों से एक एक सदस्य ले तो हमेशा उल्टा फल यानि कि ऋण अंक आयेगा| जब इस तरह की बात होती है तो भौतिक शास्त्री कहते हैं कि पैरिटी (parity) संरक्षित (conserved) हो रही है|

४=५ की विसंगति मे, गणित के इस नियम का जिसमे धन अंक और ऋण अंक के वर्गों मे गुणे के सम्बन्ध को लेकर पैरिटी संरक्षित हो रही है, का उपयोग किया गया है| पर पैरिटी संरक्षण का यह मतलब नहीं है कि धन अंक और ऋण अंक आपस मे बराबर होते हैं| इस बात को उसी पोस्ट पर अन्य चिठ्ठेकार बन्धुवों के द्वारा की गयी टिप्पणियों मे बहुत अच्छी तरह से समझाया गया है| आप वहां इसे देख सकते हैं| चलिये, हम लोग वापस पैरिटी संरक्षण पर चले|

प्रकति मे संरक्षण के कई नियम हैं – Conservation of momentum, Conservation of mass and energy. सारे संरक्षण के नियम के नियम किसी न किसी सम्मिति (symmetry) से जुड़े हैं| उन दोनो (संरक्षण और उससे जुड़ी सम्मिति) मे से यदि एक सच है तो दूसरा भी सच है; यदि एक गलत है तो दूसरा भी गलत है|

पैरिटी संरक्षण का नियम, बांये-दायें की सम्मिति (symmetry) से जुड़ा है| बांये-दायें की सम्मिति (symmetry) यह बताती है प्रकृति बांये या दायें मे फर्क नहीं समझती – उसके लिये दोनो बराबर हैं| इसका यह मतलब नहीं है कि प्रकृति मे बांये या दायें का अन्तर नहीं होता है| इसका केवल यह मतलब है कि प्रकृति यदि कोई काम बांये तरफ से कर सकती है तो दायें तरफ से भी; प्रकृति, बांये या दायें दोनो को, बराबर पसन्द करती है; इनमे से किसी को ज्यादा ज्यादा पसन्द नहीं करती| दूसरे शब्दों मे कोई नियम नहीं है जिससे पता चल सके कि कोई बात यहां हो रही है और कौन सी उसके आईने के प्रतिबिम्ब मे| ४=५ की विसंगति इस तरह से पैरिटी संरक्षण और आईने के प्रतिबिम्ब से जुड़ी है| अब चलिये देखें कि यहां समलैंगिक रिश्ते कहां से आ रहें हैं|

मानव जाति, अंकों की तरह है| यदि इनमे से जीरो की तरह intersex (जिसमे पुरुष एवं स्त्री दोनो के गुण होते हैं) को हटा दें तो मानव जाति भी पुरुष और स्त्री के दो वर्गों मे बंटी है| इनमे भी पैरिटी संरक्षित है – एक ही वर्ग के दो सदस्य कभी बच्चे को जन्म नहीं दे सकते पर अलग अलग वर्ग के दो सदस्य बच्चे को जन्म दे सकते हैं| अब नजर डाले सबसे मूलभूत मानवीय रिशते यानि के एक प्रेमी का अपनी प्रेमिका के बीच के रिशते या सेक्स के रिशते पर|

हम, इस मूलभूत मनवीय रिशते मे भी, पैरिटी संरक्षण को लगाते चले आ रहें हैं| दो अलग अलग वर्ग के सदस्य के बीच प्रेम-सेक्स हो सकता है पर एक ही वर्ग के सदस्यों के बीच नहीं| यही धूर सत्य था और ज्यादर लोग कहते हैं कि यही होना चाहिये और समलैंगिक रिश्ते ठीक नहीं हैं|

आईये देखें कि क्या भौतिक शास्त्र मे पैरिटी अब भी संरक्षित होती है|

१९५७ मे रौचेस्टर विश्वविद्यालय मे भौतिक शास्त्र की एक गोष्टी मे इस तरह के सवाल उठाये गये कि क्या ऐसा हो सकता है कि कुछ परिस्थितियों मे पैरिटी न संरक्षित हो| उसके कुछ वर्ष बाद दो चाईनीस वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया कि पैरिटी हमेशा संरक्षित नहीं होती है| इसके बहुत से परिणाम हैं, शायद, ज्यादा तर लोग दायें हांथ से क्यों काम करना पसन्द करते हैं; शिव भगवान का त्रिनेत्र दोनो आंखों के बीच नहीं होगा, इत्यादि, इत्यादि|

जब प्रकृति मे पैरिटी हमेशा संरक्षित नहीं होती है; जब प्रकृति स्वयं थोड़ी विषम (asymmetrical) है; जब वह स्वयं थोड़ी तिरछी (skewed) है तो हम यह क्यों चाहते हैं कि हमारे मानवीय रिशतों मे सम्मिति हो, वे हमेशा सीधे हों| यदि उनमे कहीं विषमता हो तो उसे स्वीकारना चाहिये|

इस लेख के मैने कई सवालों का उत्तर नही दिया| वास्तव मे यह लेख एक अन्य लेख ‘समलैंगिक रिस्ते एवं आईने के प्रतिबिम्ब’, लेख की भूमिका है| सारे उत्तर तो विस्तार से उसी मे दिये जा सकेंगे| इस लेख मे यह भी चर्चा करना चाहूंगा कि,

  • विश्व मे इस सम्बन्ध मे क्या कानून है;
  • अदालतों ने इस बारे मे क्या फैसले दिये हैं;
  • वे कौन से व्यक्ति हैं जो ऐसे रिश्तों मे विश्वास करते थे उनके बारे मे क्या मुकदमे हुऐ;
  • पैरिटी संरक्षण नियम के टूट जाने के क्या परिणाम हैं|

पर यह लेख विवादास्पद है शायद उतना ही जितना कि टोने-टोटके का ब्लौग| बताईयेगा कि क्या आप इस विषय पर विस्तार से चर्चा पढ़ना पसन्द करेंगे या इसे यहीं छोड़ दिया जाय| विस्तार से तो यह उंमुक्त चिठ्ठे पर ही लिखा जा सकेगा और वह भी कड़ियों मे| बड़े लेखों को अपने काम के साथ एक बार मे लिख पाना सम्भव नहीं है और ऐसी किसी से आशा करना कि वह एक बार मे ही लेख को लिख देगा, … है|

पैरिटी संरक्षण, आईने के प्रतिबिम्ब, और समलैंगिक रिस्ते, पर हम लोग बात करें कि नहीं, इसका निर्णय तो आप बतायेंगे, पर यदि आप,

  • फाइनमेन ने कौरनल और कैल-टेक मे कैसे समय बिताया और कैसे मौज मस्ती मे ही उन्होने उस विषय पर काम किया जिस पर उन्हे नोबेल पुरुस्कार मिला – इसके बारे मे जानने के लिये उत्सुक हों; या
  • नारद जी की छड़ी पहेली के अन्य रूप जानना चाहते हों;

तो उसे मेरे उंमुक्त नाम के चिठ्ठे पर

की पोस्ट पर पढ़ सकते हैं।

चार बराबर पांच, पांच बराबर चार, चार…

चार बराबर पांच, पांच बराबर चार …
माफ कीजयेगा यह पोस्ट फिर से कर रहा हूं| क्या करूं Error 404 पीछा ही नहीं छोड़ रही है|
आप लोग सोच रहे होंगे कि मैं यह ‘चार बराबर पांच, पांच बराबर चार, चार…’ क्या कर रहा हूं| क्या करूं कुछ उलझन मे फंस गया हूं एक चिठ्ठेकार बंधु से ईमेल मिली| इसमे 4=5 निम्न तरह से सिद्ध किया था|

-20 = -20
16-36 = 25-45
दोनो पक्षो में 81/4 जोडने पर
16-36+81/4 = 25-45+ 81/4
4×4 – 2x4x(9/2) + (9/2)(9/2) = 5×5 – 2x5x(9/2) + (9/2)(9/2)
(4-9/2)(4-9/2) = (5-9/2)(5-9/2)
वर्गमूल लेने पर
4-9/2 = 5-9/2
अर्थात 4=5

ईमेल मिटर गयी है उसका मजबून ठीक से याद नहीं है पर शायद ऐसा कुछ लिखा था,

‘उंमुक्तजी आपकी मार्टिन गार्डनर, मार्टिन गार्डनर की पुस्तकें, पहेली बाज ज़ज, और नारद जी की छड़ी और शतरंज का जादू पर आपकी अलग अलग चिठ्ठियां देखीं लगता है मुन्ने की मां की ऐवें वाली बात, ब्लू-टूथ और झींगा मछली कि चिठ्ठी से पता चला कि आप गणित चिप और कमप्यूटर विज्ञान नामक विषय पर एक लम्बी सिरीस लिखने वाले हैं और जिसमे आप यह बाने वाले हैं कि,

    गणितज्ञों का योगदान चिप तकनीक और कमप्यूटर विज्ञान मे सबसे ज्यादा है;
    गणित ने किस तरह से चिप तकनीक और कमप्यूटर विज्ञान मे योगदान दिया है; और
    आने वाले कल मे गणित किस तरह से चिप तकनीक और कमप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र मे क्रांति ला रही है|

जाहिर है कि आप गणित को बहुत महत्व देते हैं| पर गणित मे तो ४=५ जैसी विसंगतियां हैं| यह तो एकदम बेकार विषय है|’

बस तभी से इस विसंगति का काट ढ़ूढ रहां हूं और इसी मे फसां हूं| इसमे कुछ तो गड़बड़ है पर क्या है समझ मे नहीं आ रहा है|

आप सहायता करेंगे तो अच्छा रहेगा पर यदि यदि आप यह जानना चाहते हैं कि,

    लिनेक्स के कारण आई.बी.एम. के अलावा किन पर मुकदमे चल रहे हैं ; या
    नारद जी की छड़ी वाली पहेली से सृष्टि का अन्त का क्या सम्बन्ध है,

तो इनके बारे मे मेरे उंमुक्त नाम के चिठ्ठे पर,

पोस्ट पर पढ़ सकते हैं।

उन्मुक्त की पुस्तकों के बारे में यहां पढ़ें।