‘Story Title’ – my entry to the Get Published contest: ऊर्मिला की कहानी
The Idea description: यह कहानी हिन्दी में है और एक आम खुशहाल लड़की की है, यह कहानी आज के समाज की है। इसे मैंने पूरा लिख लिया है। इसे यहां पढ़ा जा सकता है।
इस चिट्ठी में, ‘डिसकवरी साइंस’ (Discovery Science) चैनल पर आ रही ‘प्रॉफेटस् ऑफ साइंस फिक्शन’ (Prophets of Science Fiction) नामक श्रृंखला के साथ, इसकी मेरी शैली पर पहली कड़ी की चर्चा है।
रिडले स्कॉट 'प्रॉफॅटस् ऑफ साइंस फिक्शन' श्रृंखला का परिचय करावाते हुऐ
मैंने इसी साल अपने चिट्ठे पर ‘बुलबुल मारने पर दोष लगता है’ श्रृंखला लिखी है। यह श्रृंखला , ‘To Kill A Mockingbird’ उपन्यास के बारे में थी। इसे हार्पर ली (Harper Lee) ने लिखा है। यह उपन्यास २०वीं शताब्दी के उत्कृष्ट अमेरिकन साहित्य में गिना जाता है। बाद में, इस पर इसी नाम से एक फिल्म भी बनी है। यह मेरी प्रिय पुस्तकों में है। इस पर बनी फिल्म भी, मैंने १९६० के दशक में देखी थी।
इस श्रृंखला में चर्चा थी कि यह उपन्यास क्यों लिखा गया , इसकी क्या कहानी थी, इसकी क्या शिक्षा है। Read more of this post
बीबीसी पर एक बेहतरीन विज्ञान श्रृंखला वंडरस् ऑफ द सोलर सिस्टम (Wonders of the Solar System) आ रही है। मैं नहीं कह सकता कि यह अपने देश में आ रही है कि नहीं। क्योंकि मेरे यहां केबल टीवी नहीं है केवल दूरदर्शन की सैटेलाइट चैनल है। यदि आप मेरी तरह के हैं तो इसे यूट्यूब में देख सकते हैं।
इस श्रृंखला के मेज़बान प्रोफेसर ब्रायन कॉक्स (Professor Brian Cox) हैं। आप मैनचेसटर विश्विद्यालय में प्रोफेसर और रॉयल सोसायटी युनिवर्सिटी रिसर्च फेलो (Royal Society University Research Fellow) हैं। इसके साथ वे लार्ज हार्डन कोलिडर (Large Hadron Collider) स्विटज़रलैंड में शोधकर्ता हैं।
वंडर्स् ऑफ द सोलर सिस्टम श्रृंखला की शुरुवात का दृश्य
इस श्रृंखला के दौरान जब वे बृहस्पति के बारे में बात करते हैं तब एक वाक्य ‘Astrology is a load of rubbish’ (ज्योतिष बकवास का भार है) का प्रयोग करते हैं। वे कहते हैं, Read more of this post
श्री अनुपम मिश्र गांधी पीस फाउंडेशन (Gandhi Peace Foundation) की नींव डालने वाले सदस्यों में हैं। वे राजस्थान में पानी संचय के बारे में बात करते हैं। उन्होंने ‘राजस्थान की रजत बूंदे’ नामक पुस्तक लिखी है। इसे गांधी शांति प्रतिष्ठान, नयी दिल्ली ने छापा है।
कुछ समय पहले ‘टेड आइडियआस् वर्थ स्परैडिंग’ (TED Ideas Worth Spreading) में, अनुपम जी का भाषण सुनने को मिला। इसमें वे बताते हैं कि किस तरह से सैकड़ों वर्ष पहले, भारतवासियों ने रेगिस्तान में, पानी संचय करने के तरीके निकाले। यह तरीके आजकल के कड़ोरों रुपये खर्च कर बनाये गये पानी संचय करने के तरीकों से कहीं बेहतर हैं। Read more of this post
यह चित्र डैनी मैकास्किल की वेबसाइट से है। जिसका लिंक नीचे दिया हुआ है।
यदि आप यह सोचते हैं कि साईकिल प्रेम या इसे चलाने से जीवन नहीं बदल सकता या फिर जीवन-व्यापन नहीं किया जा सकता तब आप गलत हैं – मिलिये डैनी मैकास्किल से। Read more of this post
‘उन्मुक्त जी, यह भी कोई बात हुई। बकबक कौन सुनना चाहता है?’
अरे भाई, अरे बहना, मैं उस बकबक की बात नहीं कर रहा हूं मैं तो अपने पॉडकास्ट ‘बकबक‘ की बात कर रहा हूं। मैं अपने पॉडकास्टों को ऑग (ogg) मानक (format) में करता हूं। इसी लिये, कुछ लोगों को इसे विंडोज़ में सुनने में कठिनाई होती है। Read more of this post
स्कॉट वेड गन्दी कार की खिड़कियों के शीशे में सुन्दर चित्र बनाते हैं। मैं नहीं समझता था कि कोई इस तरह के चित्र भी बना सकता है। उनकी कार में बने चित्रों को देख कर, अक्सर लोग अपनी कार से उतर कर चित्र खींचने आ जाते हैं।
उनके बनाये गये नीचे के चित्र ने, मुझे अपने टॉमी की याद दिला दी। जिसे ईश्वर ने दस साल पहले उपहार में दिया था और कुछ दिन पहले अपने पास बुला लिया। टॉमी अक्सर हम लोगों के साथ इसी तरह से घूमने जाता था। हम लोग पीछे वाली सीट नीचे कर देते थे ताकि वह उस पर आराम से बैठ सके।
यह चित्र मेरा नहीं है। मैंने इसे यहां से लिया है। वहां पर आप और भी बेहतरीन चित्र देख सकते हैं और स्कॉट वेड और उनकी इस बेहतरीन कला के बारे में विस्तार से पढ़ सकते हैं।
हमने टॉमी की याद में, उसकी कब्र के दो तरफ, बेला और काजू का पेड़ लगाया है ताकि आने वाले समय में, उसकी महक और याद, हमेशा रहे। मेरे एक मित्र ने एक खास कल्मी बेल का पेड़ भी हमें उसकी याद में लगाने के लिये भेंट किया। हमने उसे अपने घर के पीछे उसकी याद में लगाया है।
मेरे मित्र, अभी कितने दिन तुम मेरे जहन में रहोगे – शायद हमेशा।
हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
विचारों अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मूलभूत है। यह उन्हीं को मिल सकती है जो इस अधिकार के लिये खड़े हो सकें।
‘उन्मुक्त जी, आपका शीर्षक तो आशा जी द्वारा लिखी चिट्ठी पर कि उन्हीं की टिप्पणी है। उसका आपकी ऊपर की बात से क्या संबन्ध। आप तो बस कहीं की बात कहीं ले कर उड़ लेते हैं। बन्द करिये अपनी बकबक को।’
तिब्बती मूल के लोग सब जगह चीन में हो रहे ओलिम्पिक का विरोध कर रहे हैं। वे कहते हैं इनका चीन में मानवाधिकार का हनन हो रहा है इसलिये इनका विरोध होना चाहिये। कुछ दिन पहले न्यूयॉर्क में चीन के वाणिज्यदूतावास के सामने तिब्बती लोगों ने प्रदर्शन किया। इसका विडियो बना कर यूट्यूब में डाल दिया। वे चाहते थे कि लोग इसे देखने आयें इसलिये उन्होंने इसका शीर्षक Beijing Olympics Opening Ceremony डाल दिया।
आईओसी से नोटिस मिलने के मिनटों में ही यूट्यूब ने इसे हटा दिया। बाद में जब उन्होंने इस पर गौर किया तो उन्हें लगा कि यह तो किसी प्रकार डीएमसीए अधनियम का उल्लंघन नहीं करता है। उन्होने इसका विरोध किया। आईओसी को भी अपनी गलती समझ में आयी। उन्होंने अपनी नोटिस वापस ले ली। यदि वे इसकी आवाज़ नहीं उठाते तो आईओसी कभी नोटिस वापिस नहीं लेता। इसके बारे में आप यहां विस्तार से पढ़ सकते हैं और नीचे इस विडियो को देख सकते हैं।
सच है अपने अधिकारों के लिये आवाज़ उठाइये नहीं तो कोई सुनेगा नहीं – पर आवाज़ उस तरह से नहीं जैसे कि आजकल लोग सब बन्द कर, हिंसा पर उतारू हो कर, उठाते हैं। महात्मा गांधी ने भी आवाज़ उठायी, वही रास्ता सही है।
महिला अधिकारों की भी आवाज़ उठनी चाहिये और हिन्दी चिट्ठाजगत में चोखरबाली और नारी नामक चिट्ठे यह बाखूबी करते हैं। पुरुषों को इन चिट्ठों को पढ़ना जरूरी है। यह चिट्ठे न केवल किसी बात का दूसरा स्वरूप पेश करते हैं पर हिन्दी चिट्ठाजगत की परिक्वत्ता की तरफ भी इशारा करते हैं। हांलाकि, कभी कभी इनकी चिट्ठियों और उस पर आयी टिप्पणियों पर लगता है – माँ रे ऐसा तो न सोचा था।
चोखर बालियों, नारियों, और आशा जी से, भूल चूक लेनी देनी 🙂
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