यदि यह आनन्द नहीं तब और क्या

इस चिट्ठी में कर्ट वोनेगेट के एक प्रसिद्ध उद्धरण, ज़ेन पेन्सिल चिट्ठे, और और मेरे प्रिय समय की चर्चा है।

कर्ट वोनेगेट फिल्म 'बैक टू स्कूल' फिल्म में

कर्ट फोनेगेट का जन्म ११ नवम्बर १९२२ को हुआ था उनकी मृत्यु  ११ अप्रैल २००७ को हो गयी। वे पढ़ाई की डिग्री से यांत्रिकी अभियन्ता थे। लेकिन, उनकी प्रसिद्धि  लेखक के रूप में है। उनका लेखन विज्ञान कहानियां, व्यंग्य, परिहास, निराशावाद के लिये जाना है।

फोनेगेट के प्रसिद्ध उद्धरण आप यहां पढ़ सकते हैं। उनका सबसे प्रसिद्ध जुमला है,

I urge you to please notice when you are happy, and exclaim or murmur or think at some point, ‘If this isn’t nice, I don’t know what is.’

जब तुम प्रसन्न हो तब उस पर ध्यान दो और कहो कि ‘यदि यह आनन्द नहीं तब और क्या’

ज़ेन पेन्सिल एक चिट्ठा है जो प्रसिद्ध उद्धरणों को कार्टून के रूप में दिखाता है। उसने इस उद्धरण को कार्टून के रूप में दिखाया और अपने प्रसन्नता का समय बताया

मेरा भी सबसे प्रसन्नता का समय भी यही है। मुझे जानवरों से प्यार है – अपने पाले कुत्तों से भी। मेरा सबसे अच्छा समय इन्ही के साथ गुजरता है। मेरे पास इस समय एक बॉक्सर है और इसके पहले, एक गोल्डन रिट्रीवर, टॉमी था।

टॉमी बेहद प्यारा था। मैं जब भी घर के अन्दर आता, वह हमेशा गेट पर पूंछ हिलाते और भौंकते ही मिलता था। लगता था कि वह दिन भर मेरे इंतजार में ही बैठा रहता था। शुभ्रा को हमेशा मुझसे जलन होती थी उसके आने पर पूंछ तो हिलाता था पर गेट पर पहुंच कर भौंकता नहीं था।

मेरे घर के सामने से अनगिनत कारें निकलती थीं पर मजाल कि वह उठे भी पर मेरी कार जब २०० मीटर दूर भी हो तो उसकी पूंछ का हिलना और भौंकना देखने काबिल होता था। अक्सर पहली बार हमारे घर में आये लोगों को अजीब लगता था कि एकदम से उसे क्या हो गया पर कुछ देर बाद समझ में आता था जब मेरी कार गेट के अन्दर आती थी।

मैं कभी, कभी शुभ्रा की कार लेकर भी बाहर जाता था पर वह न केवल कार की आवाज ही समझता था पर यह भी कि उसमें कौन है। यदि मैं उसमें हूं तो उसका बर्ताव वही होता था जो कि मेरी कार के लिये। शायद इसीलिये शुभ्रा को लगता था कि वह मेरे तीन प्रेमों में से एक था और इसीलिये क्रिकेट की नेटवेस्ट की सिरीस् जीतने के बाद वह भी हमारे साथ आइसक्रीम खाने गया था।

तीन साल पहले मित्रता दिवस पर वह हमें छोड़ कर चला गया।  इस पर मैंने उस पर एक चिट्ठी  ‘अंकल, क्या आप मुझे इसका पप दे सकते हैं‘ नाम से लिखी। कुछ समय बाद मुझे स्कॉट वेड के द्वारा कार के शीशों पर जमी मिट्ठी पर सुन्दर चित्र देखने को मिले। इसमें एक चित्र गोल्डन रिट्रीवर का था। इस पर मैंने टॉमी पर पुनः एक चिट्ठी  ‘अरे! ऐसा भी चित्र बनाया जा सकता है?‘ नाम से लिखी। इस उद्धरण और कार्टून को देख कर उसी की याद आ गयी।

मेरा गोल्डेन रिट्रीवर और बॉक्सर

टॉमी या जानवरों के प्रेम पर, मेरे या शुभ्रा के द्वारा  लिखी अन्य चिट्ठयां

सांकेतिक शब्द

Golden retriever, Boxer,

Kurt Vonegut,

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के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

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