सौ साल पहले…
जनवरी 17, 2012 2 टिप्पणियां
इस चिट्ठी में, आज के दिन सौ साल पहले वीरता के कारनामे की चर्चा है।

Courtesy – The Folio Society
आज का दिन ऐतिहासिक है। आज ही के दिन सौ साल पहले, १७ जनवरी १९१२ को रॉर्बट फाल्कन स्कॉट (Robert Falcon Scott) ने दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखा था। लेकिन स्कॉट इस यात्रा से वापस नहीं आये। लौटते समय उनकी और उनके साथियों कि मृत्यु हो गयी लेकिन उनका नाम अमर हो गया। इसका श्रेय उनकी डायरियों को जाता है।
स्कॉट की डायरियां कई लोगों ने सम्पादित कर Scott’s last Expedition के नाम से छापी हैं। इसमें, इस यात्रा की कठिनाइयों और अपने साथियों के जीवन के अन्तिम क्षणों को लिखा है। यह सब इस पुस्तक में जीवन्त हो उठा है।
कुछ समय पहले मैंने ‘सैर सपाटा – विश्वसनीयता, उत्सुकता, और रोमांच’ नामक एक श्रृंखला में, यात्रा विवरण की यादगार पुस्तकों और उनके लेखकों के बारे में चर्चा की थी। इसकी ‘स्कॉट की आखिरी यात्रा – उसी की डायरी से’ नामक कड़ी में इन डायरियों एवं इस यात्रा की विस्तार से चर्चा की थी। आप चाहें तो यहां पढ़ सकते हैं और सुनना चाहें तो यहां चटका लगा कर सुन सकते हैं। यह ऑग फॉरमैट में है। सुनने में मुश्किल हो तो ‘बकबक’ पर पॉडकास्ट कैसे सुने देखें।

Courtesy – The Folio Society
पिछली शताब्दी के शुरू में (१९१०-१३) दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने की होड़ लगी थी। इस होड़ में स्कॉट के साथ रोएल्ड एमंस्डसेन (Roald Amundsen) भी शामिल थे। इस दौड़ में एमंस्डसेन जीत गये। क्योंकि वे स्कॉट से एक महीने पहले ही, दक्षणी ध्रुव पहुंच गये थे। भले ही इस दौड़ में स्कॉट, एमंस्डसेन से दूसरे नंबर पर रहें हों पर एक बात में वे सबसे पहले थे।
स्कॉट ने अपने आखरी अभियान के पहले भी, १९०१-०४ ईस्वी में डिस्करी जहाज पर अंटार्कटिक की यात्रा करने की कोशिश की थी पर वे सफल नहीं हुऐ। उन्होंने तभी से अंटार्कटिक महाद्वीप के बारे में ‘साउथ पोलर टाइम्स्’ (South Polar Times) नामक पत्रिका शुरू की थी। इस तरह की पत्रिका शुरू करने वाले वे पहले व्यक्ति थे।
इस घटना के सौ साल पूरे होने पर फोलिओ सोसायटी (The Folio Society) ने इस पत्रिका के बारह अंकों की प्रतिकृति निकाली है।
यदि आप स्कॉट की डायरी पढ़ना चाहें तब अन्तरजाल पर यहां पढ़ सकते हैं। इसे लेकिन, इन्हें संपादित कर प्रकाशित की गयी पुस्तक को पढ़ने का मजा और रोमांच कुछ और ही है।
भूमिका।। विज्ञान कहानियों के जनक जुले वर्न ।। अस्सी दिन में दुनिया की सैर ।। पंकज मिश्रा ।। बटर चिकन इन लुधियाना ।। कॉन-टिकी अभियान के नायक – थूर हायरडॉह्ल ।। कॉन-टिकी अभियान ।। स्कॉट की आखिरी यात्रा – उसी की डायरी से (►)।।
मैं जानता हूं कि आप यह शीर्षक देख कर कर रॉर्बट फाल्कन स्कॉट के बारे में पढ़ने नहीं आये हैं आप आये हैं १९६१ में बनी फिल्म ‘जब प्यार किसी से होता है‘ का यह गाना सुनने के लिये। फिर बना सुने कैसे चले जाईयेगा
उन्मुक्त की पुस्तकों के बारे में यहां पढ़ें।
सांकेतिक शब्द
। book, book, books, Books, books, book review, book review, book review, Hindi, kitaab, pustak, Review, Reviews, science fiction, किताबखाना, किताबखाना, किताबनामा, किताबमाला, किताब कोना, किताबी कोना, किताबी दुनिया, किताबें, किताबें, पुस्तक, पुस्तक चर्चा, पुस्तक चर्चा, पुस्तकमाला, पुस्तक समीक्षा, समीक्षा,
Rochak jaankari, Aabhar.
वह वीर और उनकी वीरता अमर है जिन्होंने समाज मे अपना योगदान दिया ।