अन्तरजाल पर कॉपीराइट का उल्लंघन रोकना मुश्किल है। इसको रोकने के लिये नये नये तरीके ढूंढे जा रहे नये नये कानून भी बन रहे हैं। नये कानूनों की वैधता को भी न्यायालयों में चुनौती दी जा रही है। तकनीक के विकास के साथ, कानून का भी विकास हो रहा है।
(Cartoon by Peter Steiner. The New Yorker, July 5, 1993
issue [Vol.69 no. 20] page 61 – taken from here.)
‘अरे उन्मुक्त जी, क्यों बोर कर रहे हैं। हमें भी मालुम है कि आज अलबर्ट आइन्स्टीन का जन्मदिन है। केवल आप ही नहीं हैं जिसने जीशान जी की बेहतरीन चिट्ठी पढ़ी है। हमने भी उसे पढ़ा है। दूसरों की बात मत दोहराइये।’
‘उन्मुक्त जी, किसका जन्मदिन है किसे बधाई दे रहे हैं, हमें भी तो बताइये। क्या अकेले ही केक खा लेंगे?’
अरे मैं अकेले थोड़े ही केक खाना चाहता हूं। इसी लिये तो आपको बता रहा हूं। २५ साल पहले २७, सितम्बर को ग्नू योजना (GNU project) का जन्म हुआ था।
‘ग्नू योजना? अरे, यह क्या बला है?’
ग्नू Gnu is not Linux शब्दों के प्रथम अक्षरों से बना शब्द है। ग्नू प्रोजेक्ट को २५ साल पहले रिचार्ड स्टालमेन (Richard M Stallmann) ने शुरु किया था। इसी से फ्री या कॉपीलेफ्टेड सॉफ्टवेयर का जन्म हुआ। मैंने चिट्ठाकारी २००६ के शुरू में प्रारम्भ की थी। शुरुवात के दौरान मैंने एक श्रंखला ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के नाम से की थी इसी श्रंखला की कॉपीलेफ्ट और फ्री सौफ़टवेर: इतिहास कड़ी में इनके बारे में लिखा है। इसकी एक और कड़ी में ओपेन सोर्स सौफ्टवेर – क्या है में ओपेन सोर्स से इसका अन्तर बताया है। यहां आप इसके बारे में विस्तार से जान सकते हैं। यदि आप पूरी श्रंखला को एक साथ पढ़ना चाहते हैं तो ओपेन सोर्स सौफ्टवेर पर पढ़ सकते हैं।
आइये आप भी जन्न्मदिन केक का आनन्द लीजिये।
This photograph is not mine and is courtesy this post.
जन्मदिन पर आप कोई न कोई उपहार तो देना ही चाहेंगे। मैं बताता हूं कि क्या उपहार दें। क्यों नहीं एक वह प्रोग्राम प्रयोग करना शुरू करें जो को ओपेन सोर्स का हो।
२५ साल पूरे होने पर इसके बारे में जानकारी के लिये, अंग्रेजीं का यह विडियो देखिये।
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(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।: Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
‘अरे भाई, यह महाशय है कौन – रहे न जिन्दा – मना कौन कर रहा है।’
ओएस/२ (OS/2) कंप्यूटर का एक ऑपरेटिंग सिस्टम था – माफ कीजिये है। इसे माईक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और आईबीएम (IBM) ने बनाया था। बाद में इसे केवल आईबीएम ने ही विकसित किया। यह ऑपरेटिंग सिस्टम/२ (Operating System/2) का छोटा नाम है। यह नाम इसलिये पड़ा, क्योंकि यह आईबीएम के पर्सनल सिस्टम Personal System/2 (PS/2) के पर्सनल कंप्यूटर के लिये पसंदीदा ऑपरेटिंग सिस्टम की तरह से विकसित किया गया था। दुर्भाग्य, पिछली शताब्दी के अन्त होते, होते ही आईबीएम ने इस पर कार्य करना बन्द दिया और आधिकारिक तौर पर इसका समर्थन ३१ दिसम्बर २००६ से बन्द कर दिया।
यह एक बेहतरीन, लाजवाब, और स्थायी ऑपरेटिंग सिस्टम था। यह विंडोज़ से लगभग १० वर्ष आगे था। १९९० के दशक में मैंने इस पर काम किया पर बाद में समर्थन न मिलने के कारण बन्द कर दिया।
यह बाज़ार पर क्यों नहीं चल पाया, आईबीएम ने क्या भूल कर दी – यह तो एक बहुत बड़ी शिक्षा है। यह पूरा वाक्या बयान करता है कि बाज़ार में सबसे अच्छी चीज़ नहीं चलती। चलने के लिये इसके अलावा बहुत कुछ और की भी जरूरत होती है। यह तो व्यापार का, मैनेजमेन्ट स्कूल का पहला नियम है। शायद आप इस बारे में, दूसरे संदर्भ में लिखी मेरी चिट्ठी, ‘तो क्या खिड़की प्रेमी ठंडे और कठोर होते हैं?‘ पढ़ना चाहें।
ओएस/२ प्रेमी अब भी हैं। वे चाहते हैं कि आईबीएम ओएस/२ को ओपेन सोर्स कर दे। इस बारे में उन्होने एक याचिका आईबीएम को २५ सितम्बर २००५ को दी। जब उस पर कोई सुनवायी नहीं हुई तो दूसरी याचिका १९ नवम्बर २००७ को दी। यदि आप,
मैंने तो वहां जा कर यह संदेश दे कर उनका मनोबल बढ़ाया,
‘I have no doubt that if OS/2 is open sourced then it will follow diiferent route. Best of luck.’
मेरे विचार में यदि आईबीएम, ओएस/२ को ओपेन सोर्स करता है तो आईबीएम का कोई घाटा नहीं है पर हो सकता है कि इस बार ओएस/२ का वह हश्र नहीं होगा जो पहले हुआ।
ऐसे ओपेन सोर्स बहुत लोग पसन्द करते हैं इसीलिये ओएस/२ प्रेमी भी इसे ओपेन सोर्स करवाना चाहते हैं। महिलायें, भी ओपेन सोर्स पर काम करने वालों को पसन्द करती हैं – शायद ऐसे लोग ज्यादा भावुक और कामुक होतें हैं। खुद ही पढ़ कर देख लीजिये। यह चिट्ठी तो मेरी है पर इस पर विचार एक महिला के हैं – मेरे नहीं। न मुझे कोई भी अनुभव है न ही कुछ कहना चाहता हूं 🙂
मुन्ने की मां ने, न तो मेरी पुरानी चिट्ठी पढ़ी है, और आशा करता हूं न वह ही इसको पढ़ेगी – यदि पढ़ लिया तो बस …
मैंने कुछ दिन पहले अपने उन्मुक्त चिट्ठे की चिट्ठी, ‘पापा, क्या आप उलझन में हैं‘, के द्वारा मुक्त मानक के महत्व की चर्चा की थी। क्या मुक्त मानक अमेरिकी राष्ट्रपती चुनाव के हिस्सा बन गये हैं?
बैरेक ओबामा का जन्म हवाई में, ४ अगस्त १९६१ को हुआ था। उनकी मां श्वेत और पिता अश्वेत थे। उन्होने ने आखरी बार अपने पिता को २ साल की उम्र में देखा था। उसके बाद उनके पिता वापस केनया चले गये और मां हवाई में ही रह गयीं।
(दायें से बायें) दो वर्ष के ओबामा, उनकी मां और पिता।
यह चित्र १० दिसंबर की टाईम पत्रिका के The Identity Card लेख से है और उसी के सौजन्य से है। इसे शेल्बी स्टील (Shelby Steele) ने लिखा है। यह लेख अच्छा है। उनके जीवन की मे बहुत सी मुश्किलों उन्हें श्वेत-अश्वेत विरासत के कारण मिली। यह लेख उसे भी बहुत खूबी से दर्शाता है। इसे भी पढ़ें।
ओबामा का लालन पालन उनकी शवेत मां, बाबा, दादी ने किया। वे इस समय अमेरिका के लिनॉय (lllinois) राज्य से सेनेटर हैं और अमेरिका के २००८ राष्ट्रपती चुनाव में डेमोक्रटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिये दावेदार हैं। राष्ट्रपति पद के लिये डेमोक्रटिक पार्टी का कौन उम्मीदवार रहेगा – वे रहेंगे या फिर सुश्री हिलेरी क्लिंटन – यह तो समय ही बतायेगा पर उनका चुनाव प्रचार जोरों से चल रहा है।
ओबामा ने अपनी पढ़ाई कोलम्बिया विश्विद्यालय और हावर्ड लॉ स्कूल से की है और दो पुस्तकें Dreams from My Father एवं The Audacity of Hope नाम से लिखी हैं।
इनके वेबसाइट पर इनकी नीतियों के बारे में है, यह भी है कि यदि वे अमेरिका के राष्ट्रपति बन गये तो वे क्या करेंगे। तकनीक से जुड़े मुद्दे पर वे कहते हैं,
‘Obama will integrate citizens into the actual business of government by: Making government data available online in universally accessible formats to allow citizens to make use of that data to comment, derive value, and take action in their own communities. Greater access to environmental data, for example, will help citizens learn about pollution in their communities, provide information about local conditions back to government and empower people to protect themselves.’
ओबामा लोगों को सरकारी कार्यों से जोड़ेंगे। इसके लिये वे लोगों को सरकारी आंकड़े सर्वव्यापी प्राप्य मानक के द्वारा उपलब्ध करायेंगे।
सवाल यह है कि उनके द्वारा प्रयोग किये गये शब्द universally accessible formats (सर्वव्यापी प्राप्य मानक) का क्या अर्थ है। क्या उनका अर्थ मुक्त मानक से है जिसके बारे में मैंने अपनी चिट्ठी में लिखा है या फिर कुछ और। एंडी (Andy Updegrove) तो यही सोचते हैं कि वे मुक्त मानक की बात कर रहें हैं। देखिये शायद यह बहस जोर पकड़े – तब ही इसका अर्थ भी स्पष्ट हो।
यही बात इन्होने १४ नवम्बर को गूगल मुख्यालय में बोलते हुऐ कही। यहां पर उन्होने यह भी कहा कि वे ओपेन इंटरनेट एवं नेट तटस्ता के पक्षधर हैं।
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