हाय, यह क्या किया – मेरा दिल ही टूट गया
जून 12, 2009 5 टिप्पणियां
किशोरावस्था में कदम रखते रखते मैंने, शायद हम सब ने, आर्ची कॉमिक्स पढ़ना शुरु कर दिया। कॉमिक्स पढ़ने में, आर्ची कॉमिक्स पढ़ने का जनून सबसे अन्त तक चला। सुपरमैन, बैटमैन, फ्लैश, वंडरगर्ल, टार्ज़न, फैंटम भी पढ़ा पर कहीं यह भी आभास होता था कि सच नहीं हो सकता पर आर्ची कॉमिक्स के साथ यह नहीं लगता था। आर्ची कॉमिक्स पढ़ते पढ़ते, हम अपने मित्रों में, आर्ची, रॅगी, जगहॅड, बॅटी और विरॉनिका को ढ़ूढ़ने लग गये – सब मिल गये पर बस बॅटी ही नहीं मिली। फिर उम्र के साथ यह आर्ची कॉमिक्स का यह जनून भी चला गया।
क्या कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो बॅटी को छोड़ विरॉनिका से शादी कर ले … खैर अमेरिकन और भारतीयों के सोच में कुछ अन्तर तो है।
कुछ दिन पहले पढ़ा कि आर्ची कॉमिक्स प्रकाशकों ने घोषणा की है कि आर्ची, विरॉनिका से शादी कर रहा है। मेरा तो दिल ही टूट गया। क्या कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो बॅटी जैसी प्यारी और बेहतरीन व्यक्तित्व की लड़की छोड़ कर, विरॉनिका जैसी अमीर पर … से शादी कर ले।
मुझे तो बॅटी ही अच्छी लगती थी। बहुत ढ़ूढ़ा पर मिली नहीं – मिलती तो शायद उसी के साथ होता। वह होगी पर वह मुझे नहीं, आर्ची को ढ़ूढ रही होगी। जीवन का यही रोना है हम जिसे ढ़ूढते हैं वह किसी और को ढ़ूढ रहा होता है।
क्या मज़ा है कि शुभा आजकल चिट्ठकारी से दूर है। वरना, यह पढ़ कर तो मेरी खाल खींच लेती। आज का खाना और नहीं मिलता 🙂
बॅटी, तो आर्ची के पास है, उसके दिल के करीब, फिर भी उसे छोड़, विरॉनिका से शादी कर रहा है – हुंह।
सच तो यह है आर्ची की शादी बॅटी से और रॅगी की शादी विरॉनिका से होनी चाहिये। शायद यह अन्तर अमेरिकन और भारतीयों के सोच में है। खैर यदि हम भावुक है और वे भौतकवादी – हमारे उनके बीच तो कुछ अन्तर तो होगा। यह निर्णय आमेरिकन सोच को परलिक्षित करता है।
लेकिन आर्ची तो अच्छा लड़का है उसे तो जीवन में अच्छी लड़की मिलनी चाहिये – शायद जीवन का सत्य यही है – लड़को को अच्छी लड़की और अच्छी लड़कियों को अच्छे लड़के नहीं मिलते हैं 😦
इस शादी में अभी समय है। अगस्त में, आर्ची विरॉनिका को शादी के लिये प्रस्ताव देगा और यह शादी सितम्बर में होगी 😦 क्या टल नहीं सकती।
आर्ची, अब भी समय है, क्यों इतनी बड़ी भूल कर रहे हो – विरॉनिका नहीं पर बॅटी तुम्हारे लिये सही है उसी से शादी करो। पैसा ही सब कुछ नहीं होता।
अपने जीवन में भी बॅटी और विरॉनिका ऐसे ही हैं। यह चित्र देख कर समझ गये होंगे। वह कैसी युवती होगी जो सहेली को अपने जैसी ड्रैस में देख कर चिढ़ जाये।
कैसे, कैसे कोई, यह कर सकता है। क्या कोई इतना … हो सकता है।
८ सितंबर कॉमिक्स के अंक का यह चित्र भी देखिये। इसे देख कर लगता है कि यह तय नहीं है कि, आर्ची किस से शादी कर रहा है। क्या कहानी में कुछ मोड़ (twist) है। क्या प्रकाशक लोगों कि प्रतिक्रिया जानना चाह रहें हैं।
गोरे तो दोनो के हाथ है, उंगलियां तो दोनो की सुन्दर हैं – आशा पर ही जीवन है 🙂
Archie , don’t marry Veronica, marry Betty. She is the right girl for you. Money is not everything. My appeal to Archie comics publishers also – this is a mistake.
इस चिट्ठी के पहले दो चित्र विकिपीडिया से हैं । तीसरा और पांचवां चित्र Archie & Jughead Bloggin’ with Boys! से लिया गया है। चौथा चित्र आर्ची कॉमिक्स के डाउनलोड पेज से लिया गया है जहां बहुत सारे चित्र हैं जिन्हें आप भी डाउनलोड कर सकते है।
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सांकेतिक शब्द
दर्शन , पसन्द-नापसन्द, सूचना , Archie, Betty, Veronica, Reggi, jughead,
“…फिर उम्र के साथ यह आर्ची कॉमिक्स का यह जनून भी चला गया।…”
मैं तो अभी भी आर्ची पढ़ता हूं. बांकेलाल भी!
पर, आपका ये कहना सही है – आर्ची का विवाह बॅट्टी से होना चाहिए? पर तब कॉमिक्स आगे कैसे बढ़ेगी? कहानी में मजेदार ट्विस्ट और उथल पुथल, ऊंच-नीच (एक लेखक के लिहाज से,) आर्ची-वॅरोनिका की जोड़ी से ज्यादा आ सकती है, बजाय आर्ची-बॅट्टी के.
फिंगर्स क्रास्ड? देखते हैं किसकी उंगली में अंगूठी आती है. वैसे ये शिगूफ़ा है आर्ची को रीलांच करने और उसकी बिक्री बढ़ाने का!
कामिक्स पढ़े एक अरसा बीत गया, पहले चाचा चौधरी, नागराज पढ़ने में मजा आता था, किन्तु घर में इसे एक बुरी लत मानी जाती थी, इसलिये बहुत ज्यादा रूझान नहीं रहा।
मर्यादा होना आवाश्यक है, आज के दौर कुछ लड़किया वास्तव में मुझसे भी कम कपड़े में नजर आ जायेगी, बुरी क्या, अच्छी नीयत वाले भी, कम से कम मुझ जैसे तो, नहीं ही देखेंगे। 🙂
अच्छी जानकारी मिली पर थोड़ा देर से, कहते है देर आये पर दुरूस्त आये।
प्रेमेन्द्र जी, सुविधा के लिये मैंने इस चिट्ठी पर आयी, आपकी तीन टिप्पणियों को, एक जगह कर दिया है – उन्मुक्त
कॉमिक? वे पढ़ने में हमेशा ही रोचक होते हैं। बस मिल जाए, सारे काम बाद में।
ऐसे संस्मरण आपके व्यक्तित्व को कितना सहज बना देते हैं –
पिंगबैक: मोगाम्बो खुश हुआ « छुट-पुट