इंटरनेट (अन्तरजाल) का प्रयोग – मौलिक अधिकार है

अन्तरजाल पर कॉपीराइट का उल्लंघन रोकना मुश्किल है। इसको रोकने के लिये नये नये तरीके ढूंढे जा रहे नये नये कानून भी बन रहे हैं। नये कानूनों की वैधता को भी न्यायालयों में चुनौती दी जा रही है। तकनीक के विकास के साथ, कानून का भी विकास हो रहा है। internet_dog

(Cartoon by Peter Steiner. The New Yorker, July 5, 1993
issue [Vol.69 no. 20] page 61 – taken from here.)

फ्रांस ने कुछ दिन पहले, अन्तरजाल पर कॉपीराइट का उल्लंघन रोकने के लिये थ्री स्ट्राईक कानून (three strike law) बनाया। मोटे तौर से, थ्री स्ट्राईक कानून उन कानूनों को कहा जाता है जो तीन बार या उससे अधिक बार कानून तोड़ने वालों के लिये कड़ी सजा का प्रावधान करते हैं। इन तरह के कानून को अभ्यस्त अपराधी कानून (Habbitual Offender Laws) भी कहा जाता है।

फ्रांस के कानून के अन्दर निम्न सजा देने का प्रावधान था:

  • पहली बार कॉपीराइट का उल्लंघन करने पर चेतावनी;
  • दूसरी बार उल्लंघन करने पर अन्तरजाल की सुविधा से निलंबन; और
  • तीसरी बार उल्लंघन करने पर अन्तरजाल की सुविधा से एक साल का प्रतिबंध,

इस कानून के अन्दर,

  • इस काम को अन्ज़ाम देने की ज़िम्मेदारी, हादोपी (La Haute Autorité pour la diffusion des œuvres et la protection des droits sur Internet, or HADOPI) नामक सरकारी संस्था को सौंपी गयी थी; और
  • आरोपी को सिद्ध करना था कि उसने उल्लंघन नहीं किया है।

कॉन्स्टिट्यूशनल काउंसिल (Constitutional council) फ्रांस की सबसे ऊंची संस्था है जो सरकारी काम की वैधता देखती है। इसके सामने, थ्री स्ट्राईक कानून की वैधता को चुनौती दी गयी। इसके मुताबिक ,

यह चित्र कॉन्स्टित्यूसन काउंसिल की वेबसाइट से है।

  1. मानव एवं नागरिक अधिकार घोषणा १७८९ (Declaration on the Rights of Man and of the Citizen 1789) (घोषणा) का अनुच्छेद ११ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (freedom of communication and expression) देता है। अन्तरजाल का व्यापक विकास हुआ है और लोकतांत्रिक जीवन में भाग लेने के लिए एवं विचारों और राय की व्यक्त करने के लिये, इसका अपना महत्व है। इसलिये अन्तरजाल का प्रयोग, घोषणा के अन्दर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है।
  2. घोषणा का अनुच्छेद ९, आपराधिक मामलों व्यक्ति के बेगुनाही का सिद्धान्त (principle of presumption of innocence) स्थापित करता है। यह किसी को कसूरवार नहीं मानता। लेकिन थ्री स्ट्राईक कानून, आरोपित व्यक्ति कसूरवार मानता है और उसे ही अपने को बेगुनाह साबित करने की बात करता है।
  3. इन दो महत्वपूर्ण संवैधानिक अधिकारों को देखते हुऐ, इस तरह की शक्ति सरकारी संस्था हादोपी को नहीं दी जा सकती। इस तरह की शक्ति केवल न्यायालय को ही दी जा सकती है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि इस फैसले को देते समय, कॉन्स्टिट्यूशनल काउंसिल ने कहा कि अन्तरजाल का प्रयोग, घोषणा के अन्दर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है। अथार्त यह मौलिक अधिकार है।

क्या अपने देश के न्यायालय भी इसी तरह का फैसला देगें? क्या अपने देश में भी,अन्तरजाल का प्रयोग, अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकारों के अन्दर है? देखिये, यदि यह सवाल अपने देश में उठता है तो न्यायलय का परला किस तरफ भारी होता है।

उन्मुक्त की पुस्तकों के बारे में यहां पढ़ें।

अंतरजाल की मायानगरी में

टिम बरनर्स् ली।। इंटरनेट क्या होता है।।  वेब क्या होता है।। वेब २.०।। सॅमेंटिक वेब क्या है और विकिपीडिया का महत्व।। इंटरनेट (अन्तरजाल) का प्रयोग – मौलिक अधिकार है।। लिकिंग, क्या यह गलत है।। चित्र जोड़ना – यह ठीक नहीं।। फ्रेमिंग भी ठीक नहीं।। बैंडविड्थ की चोरी – क्या यह गैर कानूनी है।। बैंडविड्थ की चोरी – कब गैरकानूनी है।। डोमेन नाम विवाद क्या होता है।। समान डोमेन नाम विवाद नीति, साइबर और टाइपो स्कवैटिंग।। की वर्ड और मॅटा टैग विवाद।। गोलमाल है भाई गोलमाल।। गाना, विडियो अपलोड करने वालों – सावधान।। अन्तरजाल पर कानून में टकराव।। समकक्ष कंप्यूटर के बीच फाइल शेयरिंग।। शॉ फैनिंग, नैपस्टर सॉफ्टवेयर, और उस पर चला मुकदमा।। कज़ा केस।। ग्रॉकस्टर केस।। ग्रॉकस्टर केस में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय का फैसला।।

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सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:

Click on the symbol after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)

यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप –
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में – सुन सकते हैं।
बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।
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के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

5 Responses to इंटरनेट (अन्तरजाल) का प्रयोग – मौलिक अधिकार है

  1. महत्‍वपूर्ण जानकारी के लिए शुक्रिया .. क्‍या हमारे जो आलेख इंटरनेट पर हैं .. उसकी कापीराइट हमारे पास नहीं होती ?

    संगीता जी, आपके द्वारा लिखे आलेख की कॉपीराइट आपके पास ही है। चाहे वह इंटरनेट पर हो या कहीं और – उन्मुक्त

  2. omprakash says:

    internet par sansar ki sampuran jankari mil jati hai. bharatiya mule grantho ki jankari tatha pandulipiya uplabdh nahi hai.

    ओम प्रकाश जी, आप यह शुभ कार्य क्यों नहीं शुरू करते – उन्मुक्त।

  3. विकी शेळके says:

    कोई धर्मीक भावना दुखाता है और देश को तुच्छ समजने वाली पोस्ट फेसबुक पर करता है तो क्या करना चाहिए और ऊसे सजा हो सकती है क्या

    • उन्मुक्त says:

      भारतीय दण्ड संहिता का चैप्टर XV ‘Of Offences Relating to Religion’ है और चैप्टर VI ‘Of Offences Against the State’ है। इनके अन्तर्गत दोषी विरुद्ध उचित कार्यवाही की जा सकती है।

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