क्यों साल १९८४, उन्नीस सौ चौरासी की तरह नहीं था
जनवरी 25, 2009 3 टिप्पणियां
क्या आप जानते हैं कि १९८४ क्यों प्रसिद्ध है? मैंने इस वर्ष का नाम १९६० के दशक के अन्त में अपने विश्वविद्यालय के जीवन में सुना जब मैंने जॉर्ज ऑर्वेल (George Orwell) के द्वारा इसी नाम की लिखित पुस्तक ‘उन्नीस सौ चौरासी’ (Nineteen Eighty four) को पढ़ा।
जॉर्ज ऑर्वेल का जन्म २५ जून १९०३ को मोतिहारी, बंगाल, भारत में हुआ था। यह उनका लिखने का नाम था। उनका वास्तविक नाम एरिक ऑर्थर ब्लेर (Eric Arthur Blair) था। उन्होंने बहुत सारे उपन्यास, निबन्ध लिखे पर उनके यह उनके दो सबसे प्रसिद्ध उपन्यासों में से एक है। उनका दूसरा प्रसिद्ध उपन्यास ‘जानवरों का बाड़ा’ (Animal Farm) है। मैंने इन दोनो पुस्तकों के बारे में, अपनी चिट्ठी ‘एक अनमोल तोहफ़ा‘ में ‘कुछ ग्रुपिस्म के बारे में’ चर्चा करते समय किया था। यह दोनो पुस्तके साम्यवाद पर व्यंग हैं और पढ़ने योग्य हैं। यदि आपने नहीं पढ़ा तो अवश्य पढ़िये। उनकी मृत्यु २१ जनवरी १९५० को हो गयी। पर इस साल को मैं क्यों आज याद कर रहा हूं।
इस साल को २५ साल बीत गये और वह नहीं हुआ जो कि पुस्तक में वर्णित है पर कुछ और ही हुआ – यह बात तो आप शीर्षक पढ़ कर ही जान गये होंगे।
‘उन्मुक्त जी, पहेलियां न बुझाइये जल्दी से बताईये कि क्या हुआ था?’
नेशनल फुटबाल लीग (National Football League) अमेरिका की सबसे बड़ी प्रोफेशनल लीग है और इसके द्वारा आयोजित प्रतियोगिता को सुपर बोल (Super Bowl) कहा जाता है। यह अमेरिका में सबसे लोकप्रिय प्रितियोगिता है और इसे सबसे अधिक अमेरिकी लोग देखते हैं। इसमें जो भी विज्ञापन दिखाया जाता है वह सबसे मंहगा होता है क्योंकि उसे सबसे अधिक अमेरिकी लोग देखते हैं।
वर्ष १९८४ मैं इसकी अठ्ठारवीं (Super Bowl XVIII) प्रतियोगिता के दौरान २२ जनवरी १९८४ में ७२,९२० लोग उपस्थित थे और ३० सेकेन्ड के विज्ञापन के लिये ३,६८,००० डॉलर लगे थे। इसमें जो विज्ञापन दिखाया गया था वह उस उत्पाद के बारे में था जो कि दो दिन बाद यानि २४ जनवरी १९८४ को अमेरिकी बज़ार में आना था। इस उत्पाद ने कंप्यूटर की दुनिया बदल दी।
‘उन्मुक्त जी, क्या था वह उत्पाद, जल्दी बताईये?’
आप खुद ही देख लीजिये।
(मैक कंप्यूटर यह १९८४ मैं बज़ार में आया)
यह एक बेहतरीन विज्ञापन था। जिसने लोगों के सोच में परिवर्तन किया। इसे निम्न पुरुस्कार मिल चुकें हैं
- १९८४ में Clio Awards;
- १९८४ में ३१वें International Advertising Film Festival in Cannes, France में – Grand Prix
- १९९५ में इसे Advertising Age ने Greatest Commercial बताया;
- १९९९ में इसे TV Guide ने One Greatest Commercial of All Time
- २००७ में इसे Best Super Bowl Spot (in the game’s 40-year history) बताया गया।
‘उन्मुक्त जी, यह तो बताईये कि इसका ‘उन्नीस सौ चौरासी’ उपन्यास से क्या संबन्ध क्या था?’
यह १९८४ में आया था। बाकी आप यह विज्ञापन देख कर समझ जायेंगे।
इसमें टेलीविज़न में जो चित्र आ रहें हैं और उसमें जो भाषण हो रहा है वह जॉर्ज ऑर्वेल के उपन्यास ‘उन्नीस सौ चौरासी’ के बड़े भाई (Big Brother) का संकेत देता है।
टेलीविज़न पर बड़े भाई का यह चित्र यह चित्र जॉर्ज ऑर्वेल के उपन्यास ‘उन्नीस सौ चौरासी’ पर बनी फिल्म से है।
इस चिट्ठी के तीनो चित्र विकीपीडिया से हैं।
‘उन्मुक्त जी, यह सब तो समझ में आ गया पर इस चिट्ठी का शीर्षक समझ में नहीं आया? यह रखने का कारण…?’
इस विज्ञापन की अन्तिम पंक्ति है,
‘On January 24th, Apple Computer will introduce Macintosh. And you’ll see why 1984 won’t be like 1984.’
अब तो आप इस चिट्ठी का शीर्षक समझ गये होंगे।
Related articles by Zemanta
- Someone fetch me my cane: Apple’s “1984” ad is 25 years old today – VIDEO
- Apple fans mark 25 years of Mac devotion
- 1984 Macintosh Ad Still Rocks Our Socks 25 Years Later [Apple]
- Remembering the ‘1984’ Super Bowl Mac ad
- The Mac at 25: Successes, regrets, Apple’s had a few
- Apple’s Iconic “1984” Ad, 25 Years Later
- Mac at 25: What’s next for Apple’s Mac?
जानकारियाँ अच्छी हैं। जार्ज ऑरवेल के साम्यवाद की आलोचना में लिखे उपन्यास भी सचाई से बहुत दूर केवल फेंटेसी थे, पर उन्हों ने साम्यवाद के विरोधी पैदा करने का काम बखूबी किया। उन के प्रायोजित होने का संदेह होता है।
कुछ और खुलासा करें उन्मुक्त जी मेरे जिसे पाठकों को और सरलीकरण चाहिए -सही है १९८४ तक १९८४ नही आया था पर अब तो आ ही गया है!
अरविन्द जी, जॉर्ज़ ऑरवेल ने साल १९८४ की कल्पना की, पर इस विज्ञापन ने भविष्यवाणी की २४ जनवरी को मैक कंप्यूटर आने के बाद यह साल उस कल्पना से एकदम भिन्न होगा। यह सच निकला। मैक कंप्यूटर, पहला व्यक्तिगत कंप्यूटर था। इसने, न केवल कंप्यूटर के बारे में हमारी सोच पर, हमारे रहन-सहन के ढ़ंग को इतना बदल दिया जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था – उन्मुक्त
इस उपन्यास का नाम बहुत सुना है, लेकिन दुर्भाग्य से अभी तक पढ नहीं पाया हूँ.
Future Shock नामक Alvin Toffler का nonfiction आपने पढा है क्या. उसकी कई भविष्यवाणिया अब पूरी हो रही हैं.
सस्नेह — शास्त्री
शास्त्री जी आल्विन टॉफलर ने कई पुस्तकें लिखीं हैं। मैंने केवल उनकी फ्यूचर शॉक ही पढ़ी है – उन्मुक्त