यह जीव विज्ञान और पर्यायवरण की शताब्दी है
फ़रवरी 17, 2008 1 टिप्पणी
बीसवीं शताब्दी भौतिक शास्त्रियों की थी। यदि आप में दुनिया बदलने की दम-खम थी, आप दुनिया बदलना चाहते थे तो आपका विषय था – भौतिक शास्त्र। पिछली शताब्दी के बेहतरीन मस्तिष्क वालों ने इसी विषय पर काम करना पसन्द किया पर इस शताब्दी के समाप्त होते होते ही, यह बदल गया। इक्कीसिवीं शताब्दी है जीव वैज्ञानिकों की, पर्यावरणविदियों की।
मैंने उच्च शिक्षा १९६० के दशक में ली – भौतिक शास्त्री बनने के सपने देखे। ईश्वर तो कुछ और ही चाहते थे – मैं फाइलें ईधर उधर पलटने वाला बन गया। विद्यार्थी जीवन में विज्ञान की अच्छी पत्रिका साईंटिफ्कि अमेरिकन (Scientific American) आया करती थी। मैं उसका नियमित ग्राहक था। विज्ञान विषय छोड़ते के बाद, मैंने विज्ञान से संबन्ध तो रखा पर इस पत्रिका को लेना बन्द कर दिया। इसे अमेरिका से मंगवाना पड़ता था – १९६० के दशक में न केवल यह मंहगा था पर मुश्किल भी।
कुछ सालों से साईंटिफ्कि अमेरिकन पत्रिका अब भारत में निकलने लगी है। मैं इसके भारत में निकलने के समय से ही इसका नियमित ग्राहक हूं और इसमें निकलने वाले लेखों में अन्तर देखता हूं। अब काफी लेख जीव विज्ञान और पर्यावरण पर होते हैं।
अपने देश में, इस समय दो अन्य पत्रिकायें पर्यावरण पर निकल रहीं हैं।
- एक है टॅराग्रीन (Terragren)। इस पत्रिका के बारे में कुछ दिन पहले ज्ञान जी ने अपने चिट्ठे पर लेख लिखा था।
- दूसरी है डाउन टू अर्थ (Down to Earth)।
मैं इन दोनो पत्रिकाओं का भी नियमित ग्राहक हूं।
यह तीनो अच्छी पत्रिकायें हैं। यदि आपको इन विषयों पर रुचि है तो इनके ग्राहक बने। यहां मैं इतना कहना चाहूंगा कि साईंटिफ्कि अमेरिकन के लिये विज्ञान का कुछ ज्ञान होना जरूरी है। डाउन टू अर्थ तथा टॅराग्रीन में भी इन विषयों का कुछ ज्ञान जरूरी है पर साईंटिफ्कि अमेरिकन के बराबर नहीं। डाउन टू अर्थ तथा टॅराग्रीन में, मुझे डाउन टू अर्थ ज्यादा पसन्द आती है।
पर्यावरण विषय तो हिन्दी चिट्ठाकारी से भी नहीं अछूता है। इस पर दो चिट्ठे भी हैं एक है पर्यावरण डाइजेस्ट, जो कि सन् १९८७ से निरंतर प्रकाशित, पर्यावरण पर पहली राष्ट्रीय हिन्दी मासिक है; दूसरा है पर्यानाद्। इन दोनो चिट्ठों के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है। इन पर भी नज़र डालते चलिये।
हमें भूलना नहीं चाहिये,
आप सही कह रहे हैं। पर्यावरण और ऊर्जा इस सदी की दो बड़ी मुश्किलें होने वालीं हैं। डाउन टू अर्थ और साइंटिफिक अमेरिकन मैं भी पढ़ता हूं। साथ ही साइंस रिपोर्टर भी पढ़ें, इसमें भी कुछ अच्छे लेख आते हैं।
आजकल समयाभाव है, इसलिये ज्यादातर जानकारी इंटरनेट से इकट्ठा करता हूं।
पर्यावरण/ऊर्जा के बारे में कभी-कभी मैं अपने अंग्रेजी ब्लाग पर लिखता हूं। आपको नीचे पर्यावरण पर कुछ अच्छे ब्लागों का लिंक दे रहा हूं, अगर आपके पास पहले से नहीं थे, तो अच्छे लगेंगे.
http://ecofuss.com
http://ecotality.com/
http://www.lowtechmagazine.com/
http://www.metaefficient.com/
http://www.triplepundit.com/
आपका यह लेख दुनिया भर की बहस और प्रतिबद्धता से बेहतर है। ब्लागों पर ऐसे मुद्दे भी और उठाये जाने चाहिये।
गुप्त जी धन्यवाद – उन्मुक्त