क्या सूरज पश्चिम से उगा है

ओपेन सोर्स कनवेंशन (ऑस्कॉन), २३-२७ जुलाई २००७ में पोर्टलैन्ड में हो रहा है। इसमें माइक्रोसॉफ्ट भी भाग ले रहा है। बिल हिफ माइक्रोसॉफ्ट में जनरल मैनेजर हैं। उन्होने वहां बताया कि माइक्रोसॉफ्ट अपने शेएर्ड लाइसेंसेस् को ओपेन सोर्स इनिशिएटिव के समक्ष रख रहा है ताकि उस लाइसेंस के अन्दर प्रकाशित सॉफ्टवेर को ओपेन सोर्स सॉफ्टवेर माना जा सके। ऐसे माइक्रोसॉफ्ट बहुत दिनो से ओपेन सोर्स से दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है। विश्वास नहीं – आप स्वयं उनकी आधिकारिक वेबसाइटों पर यहां, यहां, और यहां पढ़ सकते हैं।

बहुत से लोग सोचते हैं कि ओपेन सोर्स का साम्यवाद से संबन्ध है क्योंकि इसमें सॉफ्टवेर के लिये पैसे नहीं लिये जाते हैं। यह सच है कि ओपेन सोर्स सॉफ्टवेर के लिये पैसा नहीं लिया जा सकता है पर यह सोचना गलत है कि इसका साम्यवाद से कोई संबन्ध है। ओपेन सोर्स तो व्यापार करने का तरीका है। ओपेन सोर्स में, सॉफ्टवेर के अलावा सब के लिये पैसा लिया जा सकता है और लिया जाता है।

टिम बरनस् ली ने १९९० के दशक में वेब तकनीक का अविष्कार किया तो व्यापार करने के तरीके में आमूल चूल परिवर्तन आया। देखना है कि आने वाले समय में, व्यापार करने का कौन सा तरीका प्रचलित होगा। माईक्रोसॉफ्ट के कदम, शायद आने वाले समय का संकेत है।

ओपेन सोर्स का जन्म, विस्तार किसी साम्यवाद देश में नहीं हुआ। यह पैदा हुआ, फला-फूला, पाश्चात्य सभ्यता में, वह भी दुनिया के सबसे पूंजीवाद देश अमरीका में। ओपेन सोर्स का सूरज पश्चिम में ही उगा है 🙂

के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

One Response to क्या सूरज पश्चिम से उगा है

  1. ओपनसोर्स साम्यवाद की देन नहीं हो सकता, साम्यवाद का मतलब है बन्धन, मुक्ति नहीं.

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