ऑडियो फाइल सम्पादक और अरुणा जी का दूसरा सवाल

अरुणा जी के पहले सवाल का जवाब पॉडकास्ट से देने के बाद उनका ईमेल आया,

‘मैं तो सोचती थी कि मेरी आवाज भी पॉडकास्ट में रहेगी।’

यह प्रयोग अब और रोचक हो चला। मैंने उनकी आवाज शामिल करने के तरीकों पर विचार करना शुरू किया। मुझे इसके तीन तरीके संभव लगे,

  1. रिकॉर्डिंग एक जगह की जाय। यह तो संभव है नहीं, अरुणा जी हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली में रहती हैं और मैं एक छोटे से कसबे में;
  2. उनकी आवाज फोन से रिकॉर्ड की जाय। मुझे फोन या चैट से एलर्जी है – ईमेल ही पसन्द आती है;
  3. अरुणा जी अपनी आवाज रिकॉर्ड कर ईमेल से भेजें और मैं उसे पॉडकास्ट में शामिल करूं।

मुझे तीसरा तरीका ही पसन्द आया। इसके लिये मुझे एक ऑडियो फाइल सम्पादक की जरूरत पड़ी। इसको ढ़ूढ़ने पर मुझे लगा कि इसका सबसे अच्छा प्रोग्राम ऑडेसिटी है। इस प्रोग्राम में कई अच्छी बातें हैं,

  • यह सारे ऑपरेटिंग सिस्टम में चलता है यानि कि विंडोज़, लिनेक्स, और मैक तीनो में;
  • यह न केवल मुफ्त है पर मुक्त भी यानि की ओपेन सोर्स है;
  • यह न केवल ऑडियो प्लेयर है पर यह ऑडियो फाइल सम्पादक भी है। इसमें ऑडियो फाइल उसी तरह से सम्पादित की जा सकती हैं जैसे कि आप वर्ड प्रोसेसर में अपना दस्तावेज सम्पादित करते हैं, यानि कि कट-पेस्ट या फिर कॉपी-पेस्ट चलता है;
  • यह हर तरह के फॉरमैट की फाइल बजा लेता है, यानि कि ogg फॉरमैट की भी। विंडो मीडिया प्लेयर जो कि विंडोज़ का डिफॉल्ट प्लेयर है वह ogg फॉरमैट की फाइलें नहीं बजा पाता। ogg फॉरमैट महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मुक्त है ओपेन सोर्स है जब कि wav या फिर mp3 फॉरमैट मालिकाना है। मैं न केवल मुक्त फॉरमैट में ही काम करना चाहता हूं पर यह भी विश्वास करता हूं कि यह बेहतरफॉरमैट है। इस फॉरमैट के बारे में आप मेरी इस चिट्ठी में पढ़ सकते हैं;
  • यह एक फॉरमैट से दूसरे फॉरमैट में बदलने की सुविधा भी देता है। अरुणा जी ने क्लिप wav फॉरमैट में भेजी जिसे मैंने ogg फॉरमैट में बदल कर पॉडकास्ट में रखा।

अरुणा जी का दूसरा सवाल है कि

‘ब्लॉग, पॉडकास्ट, और विडियोकास्ट क्या होता है और इसमें क्या अन्तर है?’

पॉडकास्ट क्या होता है इस पर उनके विचार भी हैं। इन विचारों से मुझे पॉडकास्ट का नया आयाम समझ में आया।

‘उन्मुक्त जी, आपको क्या नया आयाम समझ में आया, जरा हमें भी तो बताइये।’

अरे मैं क्यों बताऊं, आप यहां जा कर स्वयं अरुणा जी की मीठी आवाज में सुन लीजये।

अरुणा जी की आवाज सुनते समय कुछ ध्वनि की प्रबलता बढ़ानी पड़ेगी। उनकी आवाज की रिकॉर्डिंग में कुछ खरखराहट भी है। मैं कुछ नहीं कर सकता था, अरुणा जी के द्वारा भेजी रिकॉर्डिंग ही ऐसी थी। मेरे लिनेक्स गुरु का कहना है कि,

‘यह विंडोज़ में रिकॉर्ड करने के कारण है 🙂 ‘

मुझे नहीं मालुम कि विंडोज़ में आवाज रिकॉर्ड करने का क्या अच्छा तरीका है ताकि उसमें खरखराहट न रहे। यदि आपको मालुम है तो टिप्पणी कर बतायें ताकि अरुणा जी उसी तरह से आवाज रिकॉर्ड कर भेजें।

आप सोचेंगे कि कितना अजीब सवाल है कि कोई विंडोज़ पर काम करने के तरीके को पूछे। यह इसलिये है कि मैं लिनेक्स में ही काम करता हूं। ओपेन सोर्स कुछ मुश्किल नहीं है बस मन बनाने की बता है। जहां चाह वहां राह।

अगले पॉडकास्ट पर मैं अरुणा जी के सवाल पर अपने विचार रखूंगा।

के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

2 Responses to ऑडियो फाइल सम्पादक और अरुणा जी का दूसरा सवाल

  1. रवि says:

    वैसे, आप एक और काम कर सकते थे – फ़ेस्टिवल जैसे लिनक्स पर चलने वाले स्पीच सिंथेसाइज़र से लिखी हुई हिन्दी की ऑडियो फ़ाइल बनाकर…

    परंतु फिर मशीनी आवाज में किसे मजा आता!

  2. उन्मुक्त says:

    रवी जी
    जहां तक मुझे मालुम है festival केवल अंग्रेजी text को आवाज में बदलता है जैसे कि विंडोज़ में Naturally Speaking. पर क्या यह हिन्दी में लिखे को भी आवाज में बदल देता है?

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