सूरत भी है, खूबसूरत भी है

यदि आप यह सोच रहे हैं कि मैं आपको लक्स साबुन के विज्ञापन के बारे में बताने जा रहा हूं तो आप गलतफहमी में हैं।

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मैं तो आपको फिडोरा-७ के बारे में बताना चाहता हूं। मैंने इसे अपने डेस्कटॉप में स्थापित किया है। यह इसका नया डेस्कटॉप चित्र है 🙂

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फिडोरा-७ इसी साल मई में निकल आया था। इसकी सीडी लिनेक्स फॉर यू पत्रिका के साथ आ गयी पर इसे मैंने इसी हफ्ते अपने कंप्यूटर में डाला है। यह बहुत बढ़िया है। हिन्दी का अच्छा समर्थन है। मेरे विचार से विंडोज़ से कहीं अच्छा। हालांकि मैं यह दावे से नहीं कह सकता क्योंकि मैं विंडोज़ पर काम नही करता। यह केवल इसलिये कहता हूं कि कभी किसी वेबसाईट (जिसमें हिन्दी का समर्थन हो) टिप्पणी करने में मुश्किल नहीं हुई। जैसा कि आप सब की टिप्पणियों और सवालों से पढ़ कर लगता है।

फिडोरा के पहले संस्करणों में यू.एस.बी. का समर्थन अच्छा नहीं था पर फिडोरा-६ से अच्छा हो चला है और फिडोरा-७ में बेहतर है। अब इस कारण कोई मुश्किल नहीं होती है।

ऑडियो फाइलों में ogg फॉरमैट के लिये तो समर्थन बहुत अच्छा है पर mp3 फॉरमैट के मालिकाना होने के कारण, इसके अपने कोई प्रोग्राम में यह फाइलें नहीं चलती हैं। इसके लिये आपको अलग से प्रोग्राम डालना पड़ता है। इसके लिये रियल प्लेयर, एमप्लेयर अच्छे प्रोग्राम हैं।

ऑडियो फाइलों को संपादित करने के लिये ऑडेसिटी है पर पर mp3 फॉरमैट के लिये अलग से प्लगइन डालना पड़ता है। इसमें आप mp3 फॉरमैट की फाइलों को बजा भी सकते हैं।

विडियो फाइलों को प्ले करने के लिये ज़ाइन (Xine) का बेहतरीन प्रोग्राम है। यह लगभग हर तरह की मल्टीमीडिया फाइलों (इसमें avi, mov, wmv, और mp3 भी हैं) को प्ले कर सकता है।

तब तो आप कहेंगे न कि फिडोरा-७ में,

‘सीरत भी है, लियाकत भी है

उम्दा तो है ही यह।’

यदि आप फिडोरा-७ को अपने कंप्यूटर में स्थापित करना चाहें तो यहां विस्तार से पढ़ सकते हैं।

के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

7 Responses to सूरत भी है, खूबसूरत भी है

  1. सम्भव हुआ तो एक पीसी पर डाला जाएगा.

  2. आभार , उन्मुक्तजी । फ़ेडोरा ५ से ७ करना क्या मुमकिन है?

    अफलातून जी, यह लिनेक्स पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसके अन्दर वह सब किया जा सकता है जो आप विंडोज़ में करते हैं। – उन्मुक्त

  3. paramjitbali says:

    अच्छी जानकारी दी है।धन्यवाद।

  4. हर जानकारी रहना आवश्यक है, इसमें आप बड़ी मदद कर देते हैं. अभी इसे लगाने का कोई इरादा नहीं है मगर जानकारी ज्ञान बढ़ा गई. आभार. 🙂

  5. अभी हाल ही मे डिजीट की डी वी डी के शायद जुलाई के अंक मे फ़ेडोरा ८ दिया है । क्या मै जो xp प्रोफ़े. प्रयोग कर रहा हूँ , उसमे फ़ेडोरा ८ को डाल सकता हूँ । इस समय मेरे c drive मे ७ जी बी , D drive मे १२ जी बी और c drive मे ७ जी बी जगह शेष है । मै इसे कम से कम कितनी जगह मे डाल सकता हूँ और क्या डालने के बाद यह कोई xp के साथ पंगा तो नही करेगी?

    टंडन जी, फिडोरा-८ तो अभी नहीं आया है। मेरे विचार में फिडोरा-७ ही होगा। आप विंडोज़ तथा लिनेक्स दोनो को ड्यूल बूट में रख सकते हैं। इसमें कोई मुश्किल या पंगा नहीं होगा। डी ड्राईव की समाग्री को सी में रखें और डी में लिनेक्स डाला जा सकता है। यह काम पहली बार किसी विशेषज्ञ से करने के लिये प्रार्थना कहें – उन्मुक्त

  6. Ankur Gupta says:

    मैं अपने कम्प्यूटर में विंडोज एक्स पी के साथ उबंटू लाइनेक्स प्रयोग करता हूं। उबंटू क्यों? क्योंकि इसे वूबी इंस्टालर के साथ बिना हार्डडिस्क को पार्टीशन किये, बिना फ़ार्मेट किये, बिना किसी फ़ाइल को डिलीट किये इंस्टाल किया जा सकता है।
    इसके अलावा एमपी थ्री जैसे फ़ार्मेट्स को प्ले करने के लिये उबंटू रिस्ट्रिक्टेड एक्स्ट्रा भी उपलब्ध हैं। इन्हे केवल एक क्लिक से इंस्टाल किया जा सकता है।
    फ़ेडोरा मैं तभी उपयोग करूंगा जब इसके लिये भी कोई वूबी जैसा इंस्टालर आ जाये।

    अंकुर जी, क्या युबंटू में स्किम का फोनेटिक कीबोर्ड चलता है – ऊन्मुक्त

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