कानूनी जंग: सर कटा देंगे पर झुकायेंगे नहीं

ऐडवांस्ड एकसेस कंटेंट सिस्टम (ऐ.ऐ.सी.एस.) HD-DVD कॉपीराइट सुरक्षा तकनीक की मालिक है। कुछ महीने पहले, इस तकनीक को तोड़ने का कोड अन्तरजाल में आया। यह कोड बहुत सारी वेबसाईट उपलब्ध था। ऐ.ऐ.सी.एस. ने इन वेबसाइटों को कानूनी नोटिस दिया तो उन्होने इसे हटा दिया। इसके बाद यह बहुत सारे लोगों ने इसे अपने साइट में प्रकाशित कर दिया। यह “09 F9″ के सूत्र (string) के साथ है और आप इसे स्वयं वेब पर ढ़ूढ़ सकते हैं। इसके बारे में कई कहानियां भी प्रकाशित की गयीं हैं। यह भी अन्तरजाल पर हैं और इन्हें पढ़ सकते हैं।

डिगस् डॉट कॉम, अन्तरजाल में आने वाली नयी चिट्ठियां, पॉडकास्ट, और विडियोकास्ट बाताने वाली लोकप्रिय वेबसाइट है। HD-DVD कॉपीराइट सुरक्षा को तोड़ने से संबन्धित कई कहानियों की सूचना डिगस् डॉट कॉम पर भी दी गयीं। ऐ.ऐ.सी.एस. ने डिगस् डॉट कॉम को कानूनी नोटिस दिया वे इस तरह की चिट्ठियों को हटा दें। पहले तो वे मान गये और उनके सी.ई.ओ. जे ऐडल्सन ने इन सूचनाओं को हटाने की बात कही पर डिगस् डॉट कॉम के सैकड़ों पाठकों ने उन्हे यह करने से रोका। उन्होने पुनः वह सामग्री पोस्ट की, यहां तक एफ ९ पर एक गाना भी यू-ट्यूब में पोस्ट हो गया – यहां, यहां, यहां, यहां देखें)। यह कोड शर्टों के ऊपर भी प्रकाशित हो गया। इस पर डिगस् डॉट कॉम के संस्थापक नेे केविन रॉस इस निर्णय को पलट कर इन चिट्ठियों की सूचना मिटाने को मना कर दिया। उनका कहना है कि

अपनी आजादी को हम हरगिज़ भुला सकते नहीं,

सर कटा सकते हैं, लेकिन सर झुका सकते नहीं।

डिगस् डॉट कॉम का एक तरह से कहना है कि,

  • इन कहानियों की सूवना हटाने से यह कहानियां तो समाप्त नहीं हो जायंगी? वे हमेशा अन्तरजाल पर रहेंगी जो ढूढ़ना चाहेगा, वह ढूढ़ सकता है फिर सूवना क्यों हटायीं जांय;
  • उन्होने ने न तो कोड निकाला है न ही प्रकाशित किया है वह तो इस बारे में कहानियों की कड़ी दे रहें हैं। यह उनकी स्वतंत्रता की बात है।

ऐ.ऐ.सी.एस. का कहना है कि कहानियां तो नहीं हटेंगी पर लोग इन्हें आसानी से नहीं ढूढ़ पायेंगे।

आपको क्या लगता है डिगस् डॉट कॉम गलत है? यदि गलत है तो क्या यह वेबसाइट बन्द हो जायगी? क्या कॉपीराइट का कानून पुराना हो गया और नया बनना चाहिये? यहां यह जानना जरूरी है कि ट्रिप्स १९९४ में आया जबकि अंतरजाल का प्रचलन इसके बाद १९९० दशक के अन्त में ही शुरु हुआ। यानि कि उस समय कोई भी यह नहीं समझ सकता था कि यह तकनीक क्या कर सकती है।

के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

One Response to कानूनी जंग: सर कटा देंगे पर झुकायेंगे नहीं

  1. पिंगबैक: २००९ मुक्त सॉफ्टवेयर और मुक्त मानक का साल होगा। « छुट-पुट

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