मैंने ‘ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके’ श्रृंखला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये लिखी

मैंने इस चिट्ठे की पिछली चिट्ठी में बताया था कि मैंने ‘ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके‘ श्रृंखला ज्योतिष पर विश्वास करने वालों का मजाक बनाने के लिये या किसी की आस्था या विश्वास पर चोट पहुंचाने के लिये नहीं लिखी थी और वायदा किया कि इसके लिखने का कारण बताउंगा। इस चिट्ठी इस श्रृंखला के लिखने का कारण है।

हिन्दी चिट्ठाजगत में एक चिट्ठा ‘टोना टुटके‘ नाम से शुरू हुआ था। इसका बहुत विरोध हुआ। उस समय नारद फीड एग्रेगेटर था। उससे इसे हटा देने की बात कही गयी। यह अन्त में बन्द हो गया। इस कारण इसी की आखरी चिट्ठी ‘सारे चिठ्ठाकार लोग नाराज‘ में दिया है। मेरे विचार से किसी भी चिट्ठे को उसके विचारों के लिये हटा देना अनुचित है कम से कम टोने टुटके जैसे चिट्ठे को। यदि कोई २+ २ = ५ कहता है तब उस पर हसा जा सकता है उसे हटाने की बात नहीं। इस चिट्ठी में मेरी टिप्पणी थी,

‘सबको अपने विचार रखने कि स्वतंत्रता है, आपको भी। आपको यदि इन पर विशवास हो तो जरूर लिखें। यदि कोई नराज होता है तो गलत होता है।
हम सब (मेरा मतलब सब से है) बहुत सी बातों पर विशवास करते हैं जो कि टोने-टोटके जैसी है। ज्योतिष या हस्त रेखांये सब उसी श्रेणी मे हैं पर कोई अखबार नहीं है या पत्रिका नहीं है जो उसके कालम नहीं रखती हो। टीवी मे कभी न कभी हर चैनल इनका प्रयोग करते हैं। सारे शुभ कार्य सब इसी पर होते हैं।
हां कुछ खिलाफ लेख लिखने वालों को तो झेलना पड़ेगा। उनमे से मै भी एक हूं। एक लेख ज्योतिष और टोने टोटके पर लिखूंगा।’

मैंने टोने टुटके को हटाये जाने के विरोध में, ‘ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके’ श्रृंखला लिखी। यही बात इस श्रंखला की भूमिका लिखते समय लिखी। मैं अपनी इस श्रृंखला में बताना चाहता था कि अपने समाज में बहुत से अन्धविश्वास हैं जिसे समाज मानता है; यह सब अपनी बातें कह रहे हैं। इन्हें या टोने टुटके चिट्ठे को भी अपनी बात कहने देना चाहिये। मेरी श्रृंखला की अन्तिम कड़ी है ‘हस्तरेखा विद्या और निष्कर्ष‘। इसका निष्कर्ष लिखते समय लिखा,

‘मैंने पिछली पोस्टों पर यह बताने का प्रयत्न किया कि ज्योतिष, अंक विद्या, और हस्त रेखा विद्या में कोई भी तर्क नहीं है, फिर भी हमारे समाज में बहुत सारे काम इनके अनुसार होते हैं। बड़े से बड़े लोग इन बातों को विचार में रख कर कार्य करते हैं।

इनका एक कारण मुझे यह समझ में आता है कि यह सब कभी कभी एक मनश्चिकित्सक (psychiatrist) की तरह काम करते हैं। आप परेशान हैं कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें। मुश्किल तो अपने समय से जायगी पर इसमें अक्सर ध्यान बंट जाता है और मुश्किल कम लगती है। पर इसका अर्थ यह नहीं कि इनमें कोई सत्यता है या यह अन्धविश्वास नहीं है या फिर टोने टुटके से कुछ अलग है।

मैं इन सब बातों पर विश्वास तो नहीं करता पर कोई मेरे बारे में अच्छी बात करे, तो सुन लेता हूं। कोई खास व्यक्ति हाथ पकड़ कर बताये तो क्या बात है। हां कभी मेले में आप मुझे किसी चिड़िया से अपना भाग्य बंचवाते भी देख सकते हैं जैसा कि यहां पर हो रहा है 🙂 मैनें यह सब कुछ लोगो के द्वारा टोने टुटके के चिट्ठे पर की गयी आपत्ति के कारण लिखना शुरु किया। अधिकांश लोग टोने टुटके पर कुछ अंश तक विश्वास करते हैं इसलिये यदि कोई टोने टुटके के बारे में लिखे तो लिखे, जिसे पढ़ना हो पढ़े, जिसे न पढ़ना हो वह न पढ़े। हमसे किसी ने भी, किसी और के दिमाग ठेका नहीं ले रखा है।’

इस निष्कर्ष में मैंने कड़े शब्दों का प्रयोग किया था। यह नहीं करना चाहिये था, नया चिट्ठाकार था गलती हो गयी। इसलिये इसका प्रयोग संकलित कर रखते समय नहीं किया। शायद यही कारण हो कि मेरी मंशा स्पष्ट न हो पायी हो।

मैं स्वतंत्र विचारों का भी समर्थक हूं। उन्मुक्त है ही – मुक्त विचारों का संगम, कभी खुश कभी ग़म।

जॉर्ज ऑर्वल (George Orwell) ने एनीमल फार्म (Animal Farm) (इस पुस्तक के बारे में अन्य बातों के साथ यहां पढ़ें) की अप्रकाशित भूमिका में लिखा था,

‘If liberty means anything at all, it means the right to tell people what they do not want to hear.’

जेफरसन (Jefferson) ने भी स्वतंत्रता के प्रारूप (draft declaration) लिखते समय कहा,

‘We hold these truths to be self evident, that all men are created equal that they are endowed by their creator with inalienable rights, and that among these are life, liberty and pursuit of happiness.’

न्यायमूर्ति होल्मस् का चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से

न्यामूर्ति होल्मस् पिछली शताब्दी के जाने माने अमेरिकन न्यायधीश थे। उन्होंने United States v. Schwimmer 279 U.S. 644 (1929) के फैसले में कहा,

‘But if there is any principle of the Constitution that more imperatively calls for attachment than any other it is the principle of free thought – not free thought for those who agree with us but freedom for the thought that we have.’

मुझे यह विचारधारा अच्छी लगती है। मैं इस पर विश्वास करता हूं।

‘ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके’ श्रृंखला उन विचारों की स्वतंत्रता के लिये लिखी गयी जिससे हम इत्तफ़ाक नहीं रखते हैं। मैं टोने टुटके, ज्योतिष, हस्तरेखा, अंकविद्या पर विश्वास नहीं रखता। मुझे यह सब अन्धविश्वास लगता है। इस तरह के कोई भी कॉलम नहीं पढ़ता। लेकिन इन्हें भी अपने विचार रखने की स्वतंत्रता है। यदि किसी को यह ठीक नहीं लगता है तब वह उसे न पढ़े। लेकिन यदि कोई भी उन्हें अपनी बात कहने से रोकेगा तो यह अनुचित होगा। मेरी उसके खिलाफ आपत्ति रहेगी।

मेरे विचार में, इसी के साथ मेरी तरह के उन व्यक्तियों को भी यह व्यक्त करने का अधिकार होना चाहिये जो वह कारण बताना चाहते हैं कि ज्योतिष, हस्तरेखा, अंकविद्या क्यों केवल टोना टुटका है। मैं समझता हूं कि ‘ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके’ श्रृंखला लिखने कारण अब स्पष्ट हो गया होगा और मुझे उस चिट्ठी में वह टिप्पणियां नहीं मिलेंगी जो कि मिलती हैं

ऐसे क्या आपको मालुम है कि आपकी राशि क्या हैं। मुझे तो लगता है कि वह जो भी हो, बदल गयी है 🙂 विश्वास नहीं यह विडियो देखिये।

 

उन्मुक्त की पुस्तकों के बारे में यहां पढ़ें।

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के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

2 Responses to मैंने ‘ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके’ श्रृंखला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये लिखी

  1. arvind mishra says:

    कूप मंडूकों का मैं मुखर विरोध इसलिए करता हूँ की वे अपनी अज्ञानता से लोगों का बहुत नुक्सान करते हैं ..कभी कभी लोगों की जान तक भी चली जाती है -इसलिए इनके साथ सहृदयता बरतना बेमानी है -मुक्त विचार आदि सब उदात्त अकादमीय पगुराहट है बस-मतलब आर्म चेयर सोच !
    वीडियो अच्छा है !

  2. nitin says:

    Bhai apni baat ko apne aap par bhi lagu karo- इस तरह के कोई भी कॉलम नहीं पढ़ता। लेकिन इन्हें भी अपने विचार रखने की स्वतंत्रता है। यदि किसी को यह ठीक नहीं लगता है तब वह उसे न पढ़े।

    नितिन जी, आप ठीक कहते हैं। यह मुझ पर भी लागू होती है। उस श्रृंखला में यह कहीं नहीं लिखा है कि लोग इस पर न लिखें पर उसमें क्या गलती है केवल यह बताया गया। यह भी केवल एक टोने टुटके की तरह है – उन्मुक्त।

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