क्या जीन पर पेटेंट गलत हैं?
फ़रवरी 14, 2007 1 टिप्पणी
पेटेंट इसलिये देना शुरु किया गया कि विज्ञान और तकनीक में तेजी से प्रगति हो सके और लोग इस दिशा में काम करें। पर बहुत से लोग यह कहते हैं कि आजकल पेटेंट इसका उल्टा कार्य कर रहा है। मैंने पेटेंट के बारे मेैं उन्मुक्त चिट्टे पर कई कड़ियों में लिखा था फिर संकलन कर उसे यहां प्रकाशित किया हैै।
अमेरिका में एक विवादस्पद केस Diamond Vs. Diehr, (1981) 450 U.S.. 175 के बाद सॉफ्टवेर पर भी पेटेंट दिया जा रहा है। इस बारे में भी मैंने उन्मुक्त चिट्ठे पर कई कड़ियों में लिखा था फिर इसे संकलन कर यहां प्रकाशित किया है।
अमेरिका में एक और विवादस्पद केस Diamond Vs. Chakravarty 447,45303: 65 LED 2d 144 निर्णीत हुआ है। इसके बाद जीवाणुवों पर भी पेटेंट दिया जा सकता है। इसका समाज में क्या असर हो रहा है, जीन पर पेटेंट देना क्यों ठीक नहीं है इस बारे में न्यू यौर्क टाईम्स में, माईकल क्रिक्टन का लिखा यह लेख पढ़ने योग्य है। आपको सोचने पर तो जरूर मजबूर करेगा।
उन्मुक्त जी,
आपकी बात से मैं पूर्ण रूप से सहमत हूं. पेटेंट का निर्माण आविष्कारकों के आर्थिक हितों की रक्षा के लिये किया गया था, लेकिन इसने आविष्कार का कम्पनीकरण कर दिया. आज स्वतंत्र आविष्कारक कम ही हैं. ज्यादातर कंपनियों द्वारा पेटेंट कराये जाते हैं. उनकी रिसर्च उत्सुकता और शौक पर आधारित होने की जगह पैसे पर आधारित होती है, इसलिये आज ज्यादातर नये आविष्कार उपभोक्ता संसकृति को बढ़ावा ही देती है.