क्या जीन पर पेटेंट गलत हैं?

पेटेंट इसलिये देना शुरु किया गया कि विज्ञान और तकनीक में तेजी से प्रगति हो सके और लोग इस दिशा में काम करें। पर बहुत से लोग यह कहते हैं कि आजकल पेटेंट इसका उल्टा कार्य कर रहा है। मैंने पेटेंट के बारे मेैं उन्मुक्त चिट्टे पर कई कड़ियों में लिखा था फिर संकलन कर उसे यहां प्रकाशित किया हैै।

अमेरिका में एक विवादस्पद केस Diamond Vs. Diehr, (1981) 450 U.S.. 175 के बाद सॉफ्टवेर पर भी पेटेंट दिया जा रहा है। इस बारे में भी मैंने उन्मुक्त चिट्ठे पर कई कड़ियों में लिखा था फिर इसे संकलन कर यहां प्रकाशित किया है।

अमेरिका में एक और विवादस्पद केस Diamond Vs. Chakravarty 447,45303: 65 LED 2d 144 निर्णीत हुआ है। इसके बाद जीवाणुवों पर भी पेटेंट दिया जा सकता है। इसका समाज में क्या असर हो रहा है, जीन पर पेटेंट देना क्यों ठीक नहीं है इस बारे में न्यू यौर्क टाईम्स में, माईकल क्रिक्टन का लिखा यह लेख पढ़ने योग्य है। आपको सोचने पर तो जरूर मजबूर करेगा।

के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

One Response to क्या जीन पर पेटेंट गलत हैं?

  1. धुरविरोधी says:

    उन्मुक्त जी,
    आपकी बात से मैं पूर्ण रूप से सहमत हूं. पेटेंट का निर्माण आविष्कारकों के आर्थिक हितों की रक्षा के लिये किया गया था, लेकिन इसने आविष्कार का कम्पनीकरण कर दिया. आज स्वतंत्र आविष्कारक कम ही हैं. ज्यादातर कंपनियों द्वारा पेटेंट कराये जाते हैं. उनकी रिसर्च उत्सुकता और शौक पर आधारित होने की जगह पैसे पर आधारित होती है, इसलिये आज ज्यादातर नये आविष्कार उपभोक्ता संसकृति को बढ़ावा ही देती है.

टिप्पणी करे