यूरोपियन यूनियन की लिनेक्स के बारे में राय

यूरोपियन यूनियन, यूरोप के देशों का संघ है। शायद, यह इस समय दुनिया के सारे संघो में सबसे महत्वपूर्ण है। यह अपने सदस्य देशों के विकास, कानून, और उनके अधिकारों के बारे में महत्वपूर्ण निर्णय लेता है। यह निर्णय सदस्य देशों को मानने पड़ते हैं क्योंकि न मानने पर उनहें संघ छोड़ना पड़ेगा जो कि इनकेे लिये मुमकिन नहीं है। यह इसी प्रकार है कि हमें ट्रिप्स की शर्तें माननी पड़ती हैं न मानने पर हमें विश्व व्यापार संघ छोड़ना पड़ेगा। यह करना हमारे लिये असम्भव तो नहीं पर ना मुमकिन है (विस्तार से जानने के लिये यहां देखें)।

यूरोपियन यूनियन की काऊंसिल में चल रही अधिकतर कार्यवाही को सार्वजनिक रूप से देखा जा सकता है पर इन कार्यवाहियों को केवल विंडोस या मैक कंप्यूटर पर ही देखा जा सकता है। यह लिनेक्स पर नहीं देखा जा सकता है। आप पूछेंगे यह क्यों है तो इसके लिये आपनो इनकी FAQ देखनी पड़ेगी। इसके मुताबिक,

‘Question: On which platforms can I view the live streaming media service of the Council of the European Union?
Answer: The live streaming media service of the Council of the European Union can be viewed on Microsoft Windows and Macintosh platforms. We cannot support Linux in a legal way. So the answer is: No support for Linux’

जवाब के अनुसार, यह कार्य किसी कानून की अड़चन के कारण नहीं हो सकता। यदि यह कार्य किसी तकनीकी कमी के कारण नहीं हो सकता था तो कोई बात नहीं थी। क्योंकि, लिनेक्स यूनिक्स का रूप है और इसे सर्वर की तरह बढ़ाया गया है। हो सकता है कि डेस्कटॉप में उतनी सुविधायें न हों जितनी की विंडोस या मैक में है – पर यह कह देना की कानून की अड़चन है, अलग बात है।

विंडोस या मैक दोनो ही मालिकाना सॉफ्टवेर हैं। लिनेक्स पर कोई मालिकाना हक नहीं जमा सकता, यह एक तरह का सार्वजनिक सॉफ्टवेर है (विस्तार के लिये यहां और यहां देखें)। यदि कानूनी अड़चन हो, तो वह विंडोस या मैक में हो सकती है न कि लिनेक्स में। मुझे तो लगता है कि इनके कानूनी विशेषज्ञों को कानून का ठीक ज्ञान नहीं है। आप का क्या ख्याल है?

यदि आपको यह लगता है कि यूरोपियन यूनियन का यह गलत कदम है तो आप अपना सहयोग यहां दे सकते हैं। मुझे यह बताने की जरूरत नहीं कि मैं अपना सहयोग (हस्ताक्षर नम्बर १२२६) दे चुका हूं।

के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

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