Blogger’s Park

The week मनोरमा ग्रुप के द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी की पत्रिका है। इसके सबसे नये अंक (सितम्बर २५ – अक्टूबर १) के अंक में ब्लौगिंग के ऊपर लेख Blogger’s park निकला है। इसमें इस बात की चर्चा है कि हिन्दुस्तान में अंग्रेजी में चिट्ठे लिखने वाले कैसे पैसा कमा रहें हैं। क्या हिन्दी चिट्ठेकारों के भी दिन फिरेंगे।

इसमें अमित जी के एक ब्लौग के बारे में चर्चा है। मैं इस ब्लौग पर गया। इसकी एक चिट्ठी ‘How to overcome Blogger’s block‘ मुझे अच्छी लगी। यह बताती है कि यदि चिट्ठे लिखने के लिये कुछ समझ में न आये तो क्या करें। हम से कई इस बात का अनुभव करते हैं। अब देखिये संगीता जी को ही बेचैनी हो रही है कि उन्हें खरगोश कयों नहीं दिख रहे हैं। चलिये अमित जी के अनुभव का फायदा उठायें। शायद खरगोश ज्लदी दिखें।

संगीता  जी आप सुन रहीं हैं ना।

यह तो हम सब को भी सुनना चाहिये।

के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

4 Responses to Blogger’s Park

  1. रवि says:

    दरअसल, मैंने जो कुछ भी नया प्रयोग अपने चिट्ठे में पैसे कमाने हेतु – बड़े ही एग्रेसिव अंदाज में विज्ञापनों को चिपकाने का किया है जिससे कई चिट्ठाकार बंधु इत्तेफ़ाक नहीं रखते, अमित अग्रवाल की साइट से प्रेरणा लेकर तथा उसमें दिए गए युक्तियों के आधार पर ही किया है.

    हाँ, सामग्री की बात है, तो वह धीरे से आएगी. और यह भी तय है कि आपकी सामग्री अगर ठीक नहीं होगी तो पाठक बेवकूफ़ नहीं है जो आपको पढ़ने के लिए दोबारा आएगा.

    मेरी कोशिश जारी है….

  2. उन्मुक्त says:

    मेरे विचार में आपका कदम ठीक दिशा में है। मेरा ख्याल है कि आने वाले समय में चिट्ठे लिखने के जरिये पैसा कमाया जा सकेगा।

  3. संजय बेंगाणी says:

    पैसा कमाने के लिए पहले इस क्षेत्र को थोड़ा विकसित भी करना होगा. बीजो की बुवाई करो, सिंचाई करो फिर काटो वाला सिद्धांत यहाँ भी लागु होता हैं.

  4. SHUAIB says:

    ठीक है – हमारी शुभकामनाऐं आपके साथ

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