बारिश कि बूंदे और साबुन के बुलबुले
मई 21, 2006 टिप्पणी करे
परसों शाम उत्तर भारत के कुछ हिस्सों मे बारिश हुई, मेरे यहां भी| यह बूंदे हमेशा गोल होती हैं
बचपन मे हम लोग साबुन के बुलबुले भी उड़ाया करते थे:
- साबुन का घोल बनाया,
- नीम की पत्तियों के डंठल का आगे का हिस्सा गोल किया,
- घोल मे डाला और हलके से फूका और
- शुरू हो गये साबुन के बुलबुले उड़ाने|
आजकल तो मेले मे अक्सर लोग बेचते मिल जाते हैं दो रुपये के बेचते हैं| मै हमेशा खरीदता हूं और उड़ाता हूं – मेले मे बचपन का आनंद| साबुन के बुलबुले हमेशा गोल रहते हैं|
स्कूल मे पढ़ा था कि सर्फेस टेन्शन के कारण कोई भी तरल पदार्थ या गैस उस क्षेत्रफल के अन्दर बंधती है जो क्षेत्रफल, उस आयतन के लिये सबसे कम होता है| किसी भी आयतन के लिये गोले का क्षेत्रफल सबसे कम होता है इसिलिये बारिश कि बूंदें और साबुन के बुलबुले हमेश गोल रहते हैं|
पर अमेरिकन सईंटिस्ट का यह लेख बताता है कि गणितज्ञों ने सिद्ध किया है कि सबसे कम क्षेत्रफल ‘हैंडिल के साथ हेलिक्स’ का है जो कि अनन्त तक फैला है यह केवल कमप्यूटर के द्वारा ही देखा जा सकता है| यह खोज विज्ञान के एक तेजी से बढ़ते क्षेत्र – Material Science – मे नये आयाम खोलती है|
चलिये दूसरी तरफ भी कुछ नजर डालें| यदि आप यह जानना चाहते हैं कि,
- ए.टी.&टी. ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बरकले पर यूनिक्स के सम्बन्ध पर क्या मुकदमा दायर किया था तथा उसमे क्या हुआ; या
- मार्टिन गार्डनर की पुस्तकों के आलावा, पहेलीयों की अन्य अच्छी पुस्तकों कौन कौन सी हैं;
तो इनके बारे मे मेरे उंमुक्त नाम के चिठ्ठे पर,
की पोस्ट पर पढ़ सकते हैं।
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