बेन्ड इट लाइक बेख़म

‘फुटबाल विशव कप और बेन्ड इट लाइक बेख़म’ वाली पोस्ट नारद मे दिखायी नहीं पड़ रही है| मैं इसे पुन: पोस्ट कर रहा हूं असुविधा के लिये खेद है|

बेन्ड इट लाइक बेख़म पिक्चर तो देखी थी न?

मजेदार थी कि नहीं!

यह पिक्चर एक युवती और उसका फुटबाल खेल से लगाव के बारे मे थी| यह लड़की इंगलैन्ड की थी और बेख़म इंगलैन्ड के ऐसे फुटबाल के खिलाड़ी हैं, जो कि हवा मे फुटबाल को मोड़ सकते हैं| इसी लिये इस पिक्चर का नाम रखा गया ‘बेन्ड इट लाइक बेख़म’| हवा मे गेंद को मोड़ना, भौतिक शास्त्र के बर्नौली सिद्धांत पर निर्भर करता है इसी सिद्धांत पर निम्न बातें भी निर्भर करती हैं:

  • हवाई जहाज का उड़ना;
  • ईरफान पठान का क्रिकेट मे बोलिंग करते हुऐ, हवा मे गेंद को स्विंग कराना;
  • गोल्फ मे गेंद का घूमना; टेनिस मे टौप स्पिन कराने का कारण;
  • बेस बाल मे गेंद का हवा मे घूमना;
  • फ्लिट करने की मशीन से फ्लिट बाहर आना;तथा
  • बहुत कुछ और|

पर हरभजन का क्रिकेट मे बोलिंग करके स्पिन कराना कुछ अलग सिद्धांत पर निर्भर करता है|

फुटबाल के खेल मे गेंद के मुड़ने को मैगनस एफेक्ट कहते हैं फुटबाल का विशव कप आने वाला है वही टीम विशव कप जीतेगी, जो किक मार कर ज्यादा अच्छा मैगनस एफेक्ट ला सकती है यदि आप,

  • मैगनस एफेक्ट के बारे मे कुछ और जानना चाहते हों; या
  • फुटबाल, क्यों और कैसे हवा मे मुड़ती है, के बारे मे और जानना चाहते हैं;

तो यहां देखें|

मैगनस एफेक्ट को समझाते हुऐ एक विडियो यहां देखें।

हिन्दी-चिठ्ठों पर गणित, विज्ञान, या कानूनी मुद्दों (ट्रिप्स, बौधिक सम्पदा अधिकार आदि) पर कम चिठ्ठियां दिखायी पड़ती हैं आपको क्या लगता है कि

  • ऐसी चिठ्ठियां भी हिन्दी-चिठ्ठों पर होने चाहिये; एवं
  • हिन्दी मे भी इस तरह का मौलिक लेखन होना चाहिये; या फिर
  • ऐसे विषयों को अंग्रेजी चिठ्ठों के लिये छोड़ दिया जाय और हिन्दी-चिठ्ठों पर उनकी लिंक डाल दी जाय जैसा कि मैने अभी किया है;

बताईयेगा|

के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

5 Responses to बेन्ड इट लाइक बेख़म

  1. भाई साहब,
    हमने सुबह इस पोस्ट को पढ़ना चाहा तो यह नहीं खुल रही थी परन्तु mmm.unmukts.wordpress.com साईट खोलने पर आसानी से पोस्ट को पढ़ा जा सकता था, सो हमने तो कब ही पढ़ ली।

  2. उन्मुक्त says:

    कुछ दिन पहले यही गड़बड़ी पहेली के साथ हुई थी| मैने पता लगाया कि यह गड़बड़ी क्यो हुई| इसके बारे मे लिखूंगा ताकि औरों के साथ न हो

  3. आशीष says:

    उन्मुक्त भाई,

    मेरे मत मे तो हर वो जानकारी जो अंग्रजी मे उपलब्ध है हिन्दी मे भी होनी चाहिये. इस तरह से ही हम उन हिन्दी भाषी लोगो की भी ईन्टरनेट पर ला सकेंगे जो अंग्रेजी अच्छे से नही जानते.

    आशीष

  4. उन्मुक्त says:

    अब Error 404 के बारे मे लिखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसी बात को नरुला जी ने अच्छी तरहसे यहां समझाया है|

  5. पिंगबैक: गोल्फ « Best Of Hindi

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