बेन्ड इट लाइक बेख़म
मई 18, 2006 5 टिप्पणियां
‘फुटबाल विशव कप और बेन्ड इट लाइक बेख़म’ वाली पोस्ट नारद मे दिखायी नहीं पड़ रही है| मैं इसे पुन: पोस्ट कर रहा हूं असुविधा के लिये खेद है|
बेन्ड इट लाइक बेख़म पिक्चर तो देखी थी न?
मजेदार थी कि नहीं!
यह पिक्चर एक युवती और उसका फुटबाल खेल से लगाव के बारे मे थी| यह लड़की इंगलैन्ड की थी और बेख़म इंगलैन्ड के ऐसे फुटबाल के खिलाड़ी हैं, जो कि हवा मे फुटबाल को मोड़ सकते हैं| इसी लिये इस पिक्चर का नाम रखा गया ‘बेन्ड इट लाइक बेख़म’| हवा मे गेंद को मोड़ना, भौतिक शास्त्र के बर्नौली सिद्धांत पर निर्भर करता है इसी सिद्धांत पर निम्न बातें भी निर्भर करती हैं:
- हवाई जहाज का उड़ना;
- ईरफान पठान का क्रिकेट मे बोलिंग करते हुऐ, हवा मे गेंद को स्विंग कराना;
- गोल्फ मे गेंद का घूमना; टेनिस मे टौप स्पिन कराने का कारण;
- बेस बाल मे गेंद का हवा मे घूमना;
- फ्लिट करने की मशीन से फ्लिट बाहर आना;तथा
- बहुत कुछ और|
पर हरभजन का क्रिकेट मे बोलिंग करके स्पिन कराना कुछ अलग सिद्धांत पर निर्भर करता है|
फुटबाल के खेल मे गेंद के मुड़ने को मैगनस एफेक्ट कहते हैं फुटबाल का विशव कप आने वाला है वही टीम विशव कप जीतेगी, जो किक मार कर ज्यादा अच्छा मैगनस एफेक्ट ला सकती है यदि आप,
- मैगनस एफेक्ट के बारे मे कुछ और जानना चाहते हों; या
- फुटबाल, क्यों और कैसे हवा मे मुड़ती है, के बारे मे और जानना चाहते हैं;
तो यहां देखें|
मैगनस एफेक्ट को समझाते हुऐ एक विडियो यहां देखें।
हिन्दी-चिठ्ठों पर गणित, विज्ञान, या कानूनी मुद्दों (ट्रिप्स, बौधिक सम्पदा अधिकार आदि) पर कम चिठ्ठियां दिखायी पड़ती हैं आपको क्या लगता है कि
- ऐसी चिठ्ठियां भी हिन्दी-चिठ्ठों पर होने चाहिये; एवं
- हिन्दी मे भी इस तरह का मौलिक लेखन होना चाहिये; या फिर
- ऐसे विषयों को अंग्रेजी चिठ्ठों के लिये छोड़ दिया जाय और हिन्दी-चिठ्ठों पर उनकी लिंक डाल दी जाय जैसा कि मैने अभी किया है;
बताईयेगा|
भाई साहब,
हमने सुबह इस पोस्ट को पढ़ना चाहा तो यह नहीं खुल रही थी परन्तु mmm.unmukts.wordpress.com साईट खोलने पर आसानी से पोस्ट को पढ़ा जा सकता था, सो हमने तो कब ही पढ़ ली।
कुछ दिन पहले यही गड़बड़ी पहेली के साथ हुई थी| मैने पता लगाया कि यह गड़बड़ी क्यो हुई| इसके बारे मे लिखूंगा ताकि औरों के साथ न हो
उन्मुक्त भाई,
मेरे मत मे तो हर वो जानकारी जो अंग्रजी मे उपलब्ध है हिन्दी मे भी होनी चाहिये. इस तरह से ही हम उन हिन्दी भाषी लोगो की भी ईन्टरनेट पर ला सकेंगे जो अंग्रेजी अच्छे से नही जानते.
आशीष
अब Error 404 के बारे मे लिखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसी बात को नरुला जी ने अच्छी तरहसे यहां समझाया है|
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