समुद्र मंथन से – ब्रह्माण्ड के कोने तक

विश्व में कम ही लोग, हिमालय और उसके आस पास के खण्ड की कला के बारे में जानते हैं। ‘रुबिन कला संग्रहालय’ (Rubin Museum of Art) न्यूयॉर्क में स्थित है। यह संग्रहालय लोगों के सामने,  इस धरोहर को लाने का प्रयत्न करता है।

यह चित्र, रूबिन कला संग्रहालय के, इस प्रदर्शनी के बारे में सूचना दे रहे पेज से है।

इस संग्रहालय में, ११ दिसमबर २००९ से,  ‘सृष्टि दर्शन: समुद्र मथंन से – ब्रह्माण्ड के कोने तक’ (Visions of the Cosmos: From the Milky Ocean to an Evolving Universe) नामक प्रदर्शनी चल रही है। यह प्रदर्शनी, हिन्दू सृष्टि के उत्पत्ति दर्शन से शुरू होकर, विज्ञान के  द्वारा ब्रह्माण्ड की संरचना को दिखा रही रही है। यह प्रदर्शनी १० मई २०१० तक चलेगी।

इस प्रदर्शनी के अन्त में ‘अमेरिकी प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय’ (American Museum of Natural History) के द्वारा बनायी गयी प्रलेखी फिल्म ‘हमारा जाना ब्रह्माण्ड’ (The Known Universe) दिखायी जा रही है।

यह प्रलेखी हिमालय से शुरू हो कर, ब्रह्माण्ड के उस कोने तक पहुंचती जहां तक ‘अमेरिकी प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय’ की नजर जाती है और उसके बाद वापस आती है। हम में से बहुत से लोग इस प्रदर्शनी को तो नहीं देख सकते हैं पर आप इस प्रलेखी फिल्म को अवश्य देख सकते हैं। इसका मजा उठाने से न चूकें।


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ल्यूलिन, आकाश में नया हरा पुच्छल तारा

क्या आप अरविन्द मिश्र जी जानते हैं?

‘मैं तो कई अरविन्द मिश्र को जानता हूं। आप किसके बारे में बात कर रहे हैं?’

भाई मैं तो केवल एक को ही जानता हूं। वही, जो साई ब्लॉग चलाते हैं। वे ‘Indiansciencefiction‘ नाम का एक ग्रूप चलाते हैं। मैं भी इस ग्रुप का सदस्य हूं पर सक्रिय नहीं हूं। क्या करूं अंग्रेजी में है 😦 इसी ग्रुप की सूचना से, मुझे इस नये पुच्छल तारे ल्यूलिन (Lulin) के बारे में पता चला।

यह चित्र यहां से लिया गया है।

इसे Karzaman Ahmad ने Langkawi National Observatory, Malaysia के लिये खींचा है।

इस पुच्छल तारे की खोज चीन और कोरिया के खगोलशास्त्रियों ने की है। यह हरे रंग का खूबसूरत पुच्छल तारा है। इसका नाम कोरियन वेधशाला ल्यूलिन के नाम पर रखा गया है क्योंकि वहीं इसका सबसे पहले चित्र खींचा गया था।

यह पुच्छल तारे को देखने का सबसे अच्छा समय २४ फरवरी को रात ३ बजे से है। उस दिन आकाश में वह दक्षिण की तरफ आकाश में लगभग ३० डिग्री पर दिखायी पड़ेगा। यह एकदम दक्षिण तो नहीं, कुछ पूरब भी और शनि के पास रहेगा।  आकाश का में वह इस जगह होगा।

यह नक्शा नासा के सौजन्य से

‘उन्मुक्त जी, यह हरे रंग का क्यों है?’

इस पुच्छल तारे की नाभि में साइनोजन (Cyanogen) गैस और डाइएटॉमिक कार्बन {Diatomic Carbon (C2)} है। लगभग शून्य जगह में, जब इन दोनो पर, सूरज की किरणे पड़ती हैं तो यह पदार्थ हरे रंग में चमकने लगते हैं। इसलिये यह हरा लगता है।


इस पुच्छल तारे के बारे में आप विस्तार से नासा की इस सूचना में पढ़ सकते हैं। यदि नासा की सूचना सुनना चाहते हों तो यहां चटका लगायें।

‘उन्मुक्त जी, क्या आपने इसे देखा?’

मैं आज सुबह तीन बजे उठा था पर इसे देख नहीं पाया। बिजली की बत्तियां भी जल रहीं थीं और आकाश में बादल थे। कल फिर उठ कर देखने की कोशिश करूंगा।

पुच्छल तारे से संबन्धित सूचनायें

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  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में – सुन सकते हैं।

बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।

सांकेतिक चिन्ह

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राशिफल का मेष राशि से शुरु और ज्योतिष का अपने तर्क पर गलत होना

मैंने अपने उन्मुक्त चिट्ठे में ‘ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके’ नामक श्रंखला लिखी है। इसकी चिट्ठी ‘राशियां Signs of Zodiac‘ में राशियों (signs of zodiac) के बारे में  बताया था,

‘यदि पृथ्वी, सूरज के केन्द्र और पृथ्वी की परिक्रमा के तल को चारो तरफ ब्रम्हाण्ड में फैलायें, तो यह ब्रम्हाण्ड में एक तरह की पेटी सी बना लेगा। इस पेटी को हम १२ बराबर भागों में बांटें तो हम देखेंगे कि इन १२ भागों में कोई न कोई तारा समूह आता है। हमारी पृथ्वी और ग्रह, सूरज के चारों तरफ घूमते हैं। या इसको इस तरह से कहें कि सूरज और सारे ग्रह पृथ्वी के सापेक्ष इन १२ तारा समूहों से गुजरते हैं। यह किसी अन्य तारा समूह के साथ नहीं होता है इसलिये यह १२ महत्वपूर्ण हो गये हैं। इस तारा समूह को हमारे पूर्वजों ने कोई न कोई आकृति दे दी और इन्हे राशियां कहा जाने लगा।’

राशि के चिन्ह

राशि के चिन्ह – विकिपीडिया के सौजन्य से और उसी की शर्तों में

इसी श्रंखला की चिट्ठी ‘विषुव अयन (precession of equinoxes) – हेयर संगीत नाटक के शीर्ष गीत का अर्थ‘ में विषुव (Equinox) का जिक्र करते हुऐ बताया था कि,

‘साल के शुरु होते समय (जनवरी माह में) सूरज दक्षिणी गोलार्द्ध में होता है और वहां से उत्तरी गोलार्द्ध जाता है। साल के समाप्त होने (दिसम्बर माह) तक सूरज उत्तरी गोलार्द्ध से होकर पुनः दक्षिणी गोलार्द्ध पहुचं जाता है। इस तरह से सूरज साल में दो बार भू-मध्य रेखा के ऊपर से गुजरता है। इस समय को विषुव (equinox) कहते हैं। यह इसलिये कि, तब दिन और रात बराबर होते हैं। यह सिद्धानतः है पर वास्तविकता में नहीं … आजकल यह समय लगभग 20 मार्च तथा 23 सितम्बर को आता है। जब यह मार्च में आता है तो हम (उत्तरी गोलार्द्ध में रहने वाले) इसे महा/बसंत विषुव (Vernal/Spring Equinox) कहते हैं तथा जब सितम्बर में आता है तो इसे जल/शरद विषुव (fall/ Autumnal Equinox) कहते हैं। यह उत्तरी गोलार्द्ध में इन ऋतुओं के आने की सूचना देता है।’

विषुव भी खिसक रहा है। इसे विषुव अयन (precession of equinoxes) कहते हैं। इसका कारण कुछ इस प्रकार है,

‘पृथ्वी अपनी धुरी पर २४ घन्टे में एक बार घूमती है। इस कारण दिन और रात होते हैं। पृथ्वी की धुरी भी घूम रही है और यह धुरी २५,७०० साल में एक बार घूमती है। यदि आप किसी लट्टू को नाचते हुये उस समय देखें जब वह धीमा हो रहा हो, तो आप देख सकते हैं कि वह अपनी धुरी पर भी घूम रहा है और उसकी धुरी भी नाच रही है। विषुव का समय धुरी के घूमने के कारण बदल रहा है। इसी लिये pole star भी बदल रहा है। आजकल ध्रुव तारा पृथ्वी की धुरी पर है और दूसरे तारों की तरह नहीं घूमता। इसी लिये pole star कहलाता है। समय के साथ यह बदल जायगा और तब कोई और तारा pole star बन जायगा।’

सारी सभ्यताओं में जब ज्योतिष शुरू हुई उस समय सूर्य मेक्ष राशि में रहता है। इसीलिये राशिफल मेष राशि से शुरू होता हैं। इसी श्रंखला की चिट्ठी ‘ज्योतिष या अन्धविश्वास‘ में मैंने यह भी बताया था कि विषुव अयन के कारण क्यों ज्योतिष अपने तर्क पर गलत है।

‘ज्योतिष/ खगोलशास्त्र के शुरु होने के समय, विषुव अप्रैल के माह में आता था, इसीलिये राशि चक्र मेष से शुरु होता है। अब यह मार्च के महीने में आ गया है यानी कि मीन राशि में आ गया है। यदि ज्योतिष का ही तर्क लगायें तो जो गुण ज्योतिषों ने मेष राशि में पैदा होने वाले लोगों को दिये थे वह अब मीन राशि में पैदा होने वाले व्यक्ति को दिये जाने चाहिये। यानी कि, हम सबका राशि फल एक राशि पहले का हो जाना चाहिये पर ज्योतिषाचार्य तो अभी भी वही गुण उसी राशि वालों को दे रहे हैं।’

कुछ दिन पहले यही बात मुझे यूट्यूब पर मिल गयी।

इसे देखें।

आप यह बातें आसानी से समझ सकेंगे।

यह यूट्यूब मैंने उन्मुक्त चिट्ठे की कड़ी पर भी डाल दी है। यदि आप इस श्रंखला को आप एक साथ पढ़ना चाहें तो मेरे लेख चिट्ठे की चिट्ठी ‘ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके‘ पर पढ़ सकते हैं।

उन्मुक्त की पुस्तकों के बारे में यहां पढ़ें।

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सांकेतिक शब्द

Astronomy, Astronomyculture, Family, fiction, life, Life, Religion, खगोलशास्त्र, विज्ञानजीवन शैली, दर्शनधर्म, धर्म- अध्यात्म, विज्ञान, समाज, ज्ञान विज्ञान,

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