मुक्त मानक का प्रयोग करना क्यों बेहतर है

मैं बकबक नाम से पॉडकास्ट करता हूं। इसकी ऑडियो फाइलें ऑग फॉरमैट में हैं। कुछ लोगों को इस फॉरमैट की फाईलों को  विंडोज़ में सुनने में  कठिनायी होती है। father-daughter मेरी बिटिया रानी की सलाह थी कि मैं एमपी-३ फॉरमैट में ही पॉडकास्ट करूं पर एमपी-३ फॉरमैट मालिकाना है और ऑग फॉरमैट मुक्त मानक (open format) है। इसीलिये मैं ऑग फॉरमैट पर पॉडकास्ट करता हूं। यह बात मैंने न केवल बिटिया रानी को बतायी पर इसे ‘पापा, क्या आप उलझन में हैं‘ नाम की चिट्ठी से आप सबके सामने रखी।

यह चित्र मेरा नहीं है। इसका लिंक मैंने यहां से दिया है और यह इन्हीं के सौजन्य से है।

आजकल मुन्ना और बिटिया रानी भारत यात्रा में हैं। ऊपर बतायी चिट्ठी में लिखी बातों को, मैंने और बिटिया रानी ने मिलकर पॉडकास्ट किया है। इस पॉडकास्ट को ऑग फॉरमैट में सुनने के लिये यहां चटका लगायें और जहां ‘Download पापा क्या आप उलझन में हैं.ogg’ लिखा है वहां चटका लगा कर फाईल को डाउनलोड कर लें। फिर Audacity, Mplayer, VLC media palyer, एवं Winamp में सुने।

मैं यह भी चाहता हूं कि लोग एमपी-३ फॉरमैट को छोड़ कर ऑग फॉरमैट को महत्व दें। लेकिन मुझे मालुम है कि लोग एमपी-३ फॉरमैट की फाइलों को ज्यादा सुनते हैं इसलिये मैंने इस ऑडियो फाईल को एमपी-३ फॉरमैट में भी रखा है। इसे आप यहां चटका लगा कर सुन सकते हैं। यह एमपी-३ फॉरमैट में है इसलिये आपको विंडोज़ पर सुनने में कोई मुश्किल नहीं होगी।


पॉल साइमन (Paul Simon) का गाया चर्चित गीत Father and Daughter सुनिये।

इसमें प्रसिद्ध फिल्मों में पिता और पुत्री के चित्र हैं।

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ऐ मेरे दिल कहीं और चल

ऐ मेरे दिल कहीं और चल,

फायरफॉक्स की सूरत से दिल भर गया,

ढ़ूंढ ले परसोना कोई नया।

चल जहां बोरियत न हो,

जहां गुस्से की आकांशा न हो,

बस शान्ति हो जहां।

मुझे यह बताने की जरूरत नहीं है कि फायरफॉक्स सबसे बेहतरीन वेब ब्रॉउसर है पर क्या इसकी एक ही सूरत देखते आपका मन नहीं भरता, क्या आप नहीं चाहते कि यह बदल जाय। यदि आपका जवाब हां है तो समझिये आपकी मुराद पूरी हो गयी।

अब आप अपने फायरफॉक्स की सूरत (theme) बदल सकते हैं

मॉज़िला लैबस् ने फायरफॉक्स का परसोनास् नाम का नया प्रसार निकाला है। इसे फायरफॉक्स में जोड़ें और मन पसन्द सूरत (theme) पायें।

आप को तो मालुम ही है कि मुझे तो शान्ति से ही चिपकना पसन्द है। इसीलिये मैंने तो अपने फायरफॉक्स में शान्ति (tranquility) नाम की सूरत (theme) डाली है। देखिये फायरफॉक्स में मेरा पेजफ्लेक कैसा लगता है।

सबसे बायें कॉलम में है मेरा उन्मुक्त हिन्दी चिट्ठों का फीड एग्रेगेटर, दूसरे कॉलम में है आप सबके पॉडकास्ट (यदि किसी का ना हो तो कृपया बता दें ताकि मैं जोड़ दूं), तीसरे कॉलम में है मेरे और मेरी पत्नी के चिट्ठे और चौथे में है मेरे पसन्दीदा कुछ अन्य वेबसाइट।

मैं जानता हूं कि आप यहां यह शीर्षक पढ़ कर फायरफॉक्स के बारे में पढ़ने नहीं आये थे आप तो दाग फिल्म में तलत महमूद का गाना सुनने आये थे जो कि दिलीप कुमार पर फिलमाया गया था। यह गाना यदि आप अल्पना जी की आवाज में सुनना चाहें तो यहां जा कर सुन सकते हैं। मूल गाना सुनने के लिये यहां चटका लगायें और देखना चाहते हैं तो यहां देखें

हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi

(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।: Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)

  • विज्ञान कहानियों के जनक जुले वर्न
  • अंतरजाल की माया नगरी की नवीनतम कड़ी: ग्रॉकस्टर केस में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का फैसला

यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप –

  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में – सुन सकते हैं।

बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।

सांकेतित शब्द

Internet, technology, सूचना प्रद्योगिकी, सॉफ्टवेयर, सॉफ्टवेर, सॉफ्टवेर, सौफ्टवेर, आईटी, अन्तर्जाल, इंटरनेट, इंटरनेट, टेक्नॉलोजी, टैक्नोलोजी, तकनीक, तकनीक, तकनीकी,

क्या अमेरिका में कंप्यूटर प्रोग्राम के संबन्ध में पेटेंट कानून बदलेगा

पेटेंट, बौद्धिक सम्पदा अधिकारों में सबसे महत्वपूर्ण है और शायद सबसे मुश्किल भी। मैंने इसके बारे में तीन श्रंख्ला पेटेंट, पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम, पेटेंट और पौधों की किस्में एवं जैविक भिन्नता अपने उन्मुक्त चिट्ठे पर की है। इनकी पहली कड़ी यहां, यहां, और यहां और अन्तिम कड़ी यहां, यहां, और यहां हैं। इसके बाद इन्हें संकलित कर, अपने लेख चिट्ठे पर पेटेंट, पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम, और पेटेंट और पौधों की किस्में एवं जैविक भिन्नता नाम से चिट्ठियां पोस्ट की हैं।

कंप्यूटर प्रोग्राम पेटेंट कराने के बारे में अलग-अलग देशों के नियम भी भिन्न हैं। यह पेटेंट विषय में, सबसे विवादास्पद विषय है और इसमें सबसे विवादास्पद है कि क्या कंप्यूटर के द्वारा व्यापार करने के तरीके को क्या पेटेंट कराया जा सकता है, यदि हां तो कब? यह सारा विवाद शुरु हुआ है अमेरिकी अपीली न्यायालय के द्वारा स्टेट स्ट्रीट केस (State Stree Bank vs Signature Finencial Group 149 F3d ,1352) केस में दिये गये फैसले के कारण। इसमें न्यायालय ने कहा कि,

‘कोई प्रक्रिया पेटेंट करने योग्य है या नहीं, यह इस पर नहीं तय होना चाहिए कि प्रक्रिया व्यापार करती है पर यह देखना चाहिये कि, पेटेंट की जाने वाली प्रक्रिया एक उपयोगी तरीके से प्रयोग की जा रही है अथवा नहीं।’

इसके बाद अमेरिका में व्यापार के तरीकों के के लिए दिये पेटेंटों की बाढ़ सी आ गयी। इसके कुछ उदाहरण है :

  • सामान खरीदने की स्वीकृत देने के लिये एक क्लिक का प्रयोग करना (मैंने आपको अपनी चिट्ठी ‘एक अकेला भी बहुत कुछ कर सकता है‘ में बताया है कि कैसे एक व्यक्ति ने एक क्लिक का प्रयोग करने के पेटेंट को कुछ हद तक रद्द करवाया है);
  • लेखा लिखने की एक आन-लाइन पद्धति;
  • आन-लाइन पारिश्रमिक प्रोत्साहन पद्धति;
  • आन-लाइन बारम्बार क्रेता कार्यक्रम; और
  • उपभोक्ता को अपने दिये गये दाम पर सर्विस की सूचना प्राप्त करने की सुविधा।

लेकिन, शायद यह अब बदल जाय।

१ अक्टूबर २००७ को, ‘In re Bilski case‘, में अमेरिका की अपीली न्यायालय ने यह सवाल उठाया है

बिलस्कि के मुकदमे में, बहस और निर्णय का बेसब्री से इंतजार है

कि क्या स्टेट स्ट्रीट केस केस ठीक से निर्णीत हुआ अथवा नहीं। अपीली न्यायालय, इस सवाल को, अन्य चार सवालों के साथ, एक बड़ी पीठ के समक्ष पुनः अगले माह सुनेंगे। ऐसा हो सकता है कि न्यायालय इस बार दूसरा रुख अपनाये। यदि ऐसा होता है तो कंप्यूटर प्रोग्राम के संबन्ध में, पेटेंट का कानून ही बदल जायगा। इस मुकदमें में लोग न्यायालय के मित्र की तरह बहस (यहां और यहां देखें) दाखिल कर रहे हैं। इस मुकदमे में बहस और निर्णय का बेसब्री से इंतजार है।

इंगलैंड में कंप्यूटर प्रोग्राम के संबन्ध में, पेटेंट के कानून में एक निर्णय के द्वारा कुछ बदलाव आया है यह अगली बार।

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(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।: Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)

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  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में – सुन सकते हैं।

बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।

सांकेतित शब्द

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मुफ्त बांटे – पैसा कमायें

‘वाह जी वाह, क्या बात है। मुफ्त बांटा जाय और पैसा कमाया जाय। लगता है कि उन्मुक्त जी पर होली का नशा नहीं उतरा है।’

चलिये मैं आपको कुछ दिन पहले अफ्रीका के एक वित्तीय संस्थान के अफसर की बात बताता हूं। उसने कहा कि, आजकल उनके वित्तीय संस्थान का काम बहुत अच्छा चल रहा है। लोगों को आश्चर्य हुआ। उन्होने इसका कारण कुछ यह बताया।

‘अफ्रीका में लोग बैंकों में दो कारणों से पैसा नहीं रखते हैं।

  • उनके पास बैंक में रखने के लिये पैसा नहीं है
  • उनके पास सूचना का आभाव है।

वहां पर अधिकतर लोग किसान हैं। लोग उनसे सस्ते में गल्ला खरीदते हैं फिर शहर के बज़ार में महंगे में बेच देते हैं। वित्तीय संस्थानों ने सबको मोबाईल फोन मुफ्त में बाटें। इस कारण वे शहर में फोन के द्वारा सही दाम पता कर लेते हैं और लोगों से अपनी फसलों के सही दाम मांगते हैं। इस तरह से लोगों के पास पैसा आने लगा, वे बैंकों में खाते खुलवाने लगे और पैसा रखने लगे।’

इस तरह की कुछ बात मुझे केरल में भी सुनायी पड़ी। वहां मछुवारे मछली पकड़ते ही मोबाइल से दाम मालुम करने लगते हैं और वहीं अपनी नाव ले जाते हैं जहां मछली के लिये सबसे अच्छे दाम मिले।

ओपेन सोर्स की भी यही कहानी है। लोग अक्सर सोचते हैं कि ओपेन सोर्स पर किसी एक का मालिकाना हक होना संभव नहीं है; इसके लिये पैसा नहीं लिया जा सकता है – इसलिये इससे पैसा नहीं कमाया जा सकता। यह सोच गलत है। ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर मुफ्त बांटने का यह मतलब नहीं है कि इससे पैसा नहीं कमाया जा सकता। यह उसी तरह की युक्ति है जैसी कि अफ्रीका के वित्तीय संस्थानों ने की।

ओपेन सोर्स में, पैसा कमाने का तरीका, मालिकाना सॉफ्टवेयर से अलग है। शायद, यही बेहतर तरीका है। इसलिये एक्सट्रामॅड्यूरा (Extremadura) में ओपेन सोर्स को बढ़ावा दिया जा रहा है।

एक्सट्रामॅड्यूरा, स्पेन का स्वाशासित (autonomous) पश्चमी भाग है

‘एक्सट्रामॅड्यूरा (Extremadura)? भईये, यह किस जगह का नाम है?’

एक्सट्रामॅड्यूरा, स्पेन का स्वाशासित (autonomous) पश्चमी भाग है। इतिहास ने इसे हमेशा नज़र अन्दाज़ किया पर अब वह उपेक्षित नहीं रहना चाहता – इसलिये उसने तय किया है कि वह ओपेन सोर्स को बढ़ावा देगा। उन्होने अपने लिये लिनेक्स का नया वितरण लिनएक्स (LinEx) निकाला है। यह लिनेक्स के डेबियन (Debian) वितरण को अपनी जरूरतों को देखते हुऐ बदला गया है। सारे शिक्षा संस्थनो में केवल इसी का प्रयोग हो रहा है। उनके सात लाख डेस्कटॉप और चार सौ सर्वर केवल लिनेक्स में ही चल रहे हैं।

linex-mascot-stork.jpg

एक्सट्रामॅड्यूरा में लिनएक्स का मंगलकारी चिन्ह (Mascot) सटॉर्क (Stork) चिड़िया है।

stork-fly-high.jpg

यह इसलिये कि वे सोचते हैं जिस तरह से यह चिड़िया आकाश में ऊंचे उड़ सकती है, ओपेन सोर्स के जरिये वे भी ऊंचे उठ पायेंगे।

यह और क्या, क्या कर रहें हैं, किस प्रकार कर रहे हैं – यह आप स्वयं यूरोन्यूस् (EuroNews) की इस क्लिप में देख लिजिये।

सांकेतित शब्द

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Stork, Extremadura, Linux, LiNex,

ओएस/२ जिन्दा रहना चाहता है

ओएस/२ जिन्दा है और जिन्दा रहना चाहता है।

‘अरे भाई, यह महाशय है कौन – रहे न जिन्दा – मना कौन कर रहा है।’

ओएस/२ (OS/2) कंप्यूटर का एक ऑपरेटिंग सिस्टम था – माफ कीजिये है। इसे माईक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और आईबीएम (IBM) ने बनाया था। बाद में इसे केवल आईबीएम ने ही विकसित किया। यह ऑपरेटिंग सिस्टम/२ (Operating System/2) का छोटा नाम है। यह नाम इसलिये पड़ा, क्योंकि यह आईबीएम के पर्सनल सिस्टम Personal System/2 (PS/2) के पर्सनल कंप्यूटर के लिये पसंदीदा ऑपरेटिंग सिस्टम की तरह से विकसित किया गया था। दुर्भाग्य, पिछली शताब्दी के अन्त होते, होते ही आईबीएम ने इस पर कार्य करना बन्द दिया और आधिकारिक तौर पर इसका समर्थन ३१ दिसम्बर २००६ से बन्द कर दिया।

os-2.png

यह एक बेहतरीन, लाजवाब, और स्थायी ऑपरेटिंग सिस्टम था। यह विंडोज़ से लगभग १० वर्ष आगे था। १९९० के दशक में मैंने इस पर काम किया पर बाद में समर्थन न मिलने के कारण बन्द कर दिया।

यह बाज़ार पर क्यों नहीं चल पाया, आईबीएम ने क्या भूल कर दी – यह तो एक बहुत बड़ी शिक्षा है। यह पूरा वाक्या बयान करता है कि बाज़ार में सबसे अच्छी चीज़ नहीं चलती। चलने के लिये इसके अलावा बहुत कुछ और की भी जरूरत होती है। यह तो व्यापार का, मैनेजमेन्ट स्कूल का पहला नियम है। शायद आप इस बारे में, दूसरे संदर्भ में लिखी मेरी चिट्ठी, ‘तो क्या खिड़की प्रेमी ठंडे और कठोर होते हैं?‘ पढ़ना चाहें।

ओएस/२ प्रेमी अब भी हैं। वे चाहते हैं कि आईबीएम ओएस/२ को ओपेन सोर्स कर दे। इस बारे में उन्होने एक याचिका आईबीएम को २५ सितम्बर २००५ को दी। जब उस पर कोई सुनवायी नहीं हुई तो दूसरी याचिका १९ नवम्बर २००७ को दी। यदि आप,

  • याचिका पर दस्खत करना चाहते हैं,
  • उनका मनोबल बढ़ाना चाहते हैं,
  • इस बारे में कुछ और जानना चाहते हैं।

तो यहां बतायें।

मैंने तो वहां जा कर यह संदेश दे कर उनका मनोबल बढ़ाया,

‘I have no doubt that if OS/2 is open sourced then it will follow diiferent route. Best of luck.’

मेरे विचार में यदि आईबीएम, ओएस/२ को ओपेन सोर्स करता है तो आईबीएम का कोई घाटा नहीं है पर हो सकता है कि इस बार ओएस/२ का वह हश्र नहीं होगा जो पहले हुआ।

ऐसे ओपेन सोर्स बहुत लोग पसन्द करते हैं इसीलिये ओएस/२ प्रेमी भी इसे ओपेन सोर्स करवाना चाहते हैं। महिलायें, भी ओपेन सोर्स पर काम करने वालों को पसन्द करती हैं – शायद ऐसे लोग ज्यादा भावुक और कामुक होतें हैं। खुद ही पढ़ कर देख लीजिये। यह चिट्ठी तो मेरी है पर इस पर विचार एक महिला के हैं – मेरे नहीं। न मुझे कोई भी अनुभव है न ही कुछ कहना चाहता हूं 🙂

मुन्ने की मां ने, न तो मेरी पुरानी चिट्ठी पढ़ी है, और आशा करता हूं न वह ही इसको पढ़ेगी – यदि पढ़ लिया तो बस …

सांकेतित शब्द

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विकिपीडिया की रिहाई?

‘विकिपीडिया की रिहाई? अरे उन्मुक्त जी विकिपीडिया तो पहले से ही मुक्त है अब इसकी रिहाई करने की क्या जरूरत है? लगता है कि आप कुछ कन्फ्यूज़िया रहें हैं’

लगता है कि पांडे जी कह रहें हैं कन्फ्यूज़िया शब्द तो वही प्रयोग कर सकते हैं 🙂 अरे भाई, यह मैं थोड़ी कह रहा हूं, यह तो जिमी वेल्स, विकिपीडिया के जनक, कह रहें हैं।

‘जिमी वेल्स कह रहें हैं? अरे, वे ऐसा क्यों कह रहे हैं?’

पहले, इसी से संबन्धित कुछ बातें।

कुछ महीने पहले श्रीष जी का ईमेल आया था। वे विकिपीडिया की सामग्री को सर्वज्ञ की वेबसाइट पर डालने की बात कर रहे थे। मैंने उन्हें जवाब दिया कि ,

‘लाईसेन्स का झमेला कुछ मुश्किल है। अक्सर लाईसेन्स की शर्तों में विरोधाभास होता है। विकिपीडिया का लाइसेन्स आपको कॉपी और संशोधन करने की अनुमति देता है पर यह भी कहता है कि संशोधित सामग्री विकिपीडिया के ही लाईसेन्स में प्रकाशित की जायगी। इस विरोधाभास से बचने के लिये , यदि आप वीकिपीडिया से कुछ सामग्री लेते हैं तो वही लाईसेन्स प्रयोग करें जो विकिपीडिया में प्रयोग किया गया है।’

कुछ समय पहले शास्त्री जी का ईमेल मुन्ने की मां के पास यह पूछते हुऐ आया कि क्या ‘मुन्ने के बापू‘ चिट्ठे की सामग्री भी कॉपीलेफ्टेड हैं। उसका जवाब था।

‘मैं उन्मुक्त की पत्नी हूं। यह चिट्टा मेरा है। मैंने अपने चिट्ठे पर कॉपीलेफ्टेड नहीं लिखा है क्योंकि मैं नहीं समझती हूं कि कोई मेरी चिट्ठियों का भी प्रयोग करना चाहेगा। पर आपको और जो भी इसका प्रयोग करना चाहे उसे इसकी स्वतंत्रता है।’

उसके बाद उसे लगा कि उसे लिखना चाहिये कि उसके चिट्ठे की सामग्री प्रकाशित करने की क्या शर्तें हैं। उसने इस बारे में चिट्ठी प्रकाशित करते हुऐ लिखा,

‘मैंने इसे पहले क्रिऐटिव कॉमनस् ३.० की लाइसेंस के अन्दर कर दिया था। इनका कहना था कि विकीपीडिया ग्नू मुक्त प्रलेखन लाइसेंस के अन्दर है और मैं अपने चिट्ठे की प्रकाशित सामग्री इसी के अन्दर करूं। यदि ऐसा नहीं होगा तो यदि कोई मेरे चिट्ठे की सामग्री को हिन्दी विकीपीडिया पर डालना चाहेगा तो भी यह नहीं कर पायेगा क्योंकि इन दोनो लाइसेंसों में विरोधाभास है। इन्होने विरोधाभास को समझाया भी, पर मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे यह इस पर लिखने की बात कर रहे थे। कब लिखेंगे…???
क्रिऐटिव कॉमनस् के लाइसेंस तो आसान भाषा में हैं – समझ में आते हैं। ग्नू मुक्त प्रलेखन लाइसेंस – यह तो मेरे बिलकुल समझ में नहीं आया। मालुम नहीं वकील लोगों को इस तरह की कानूनी भाषा लिखने में क्या मजा आता है। मैंने इनसे अपनी बात बतायी तो इन्होने मेरी बातों को आसान भाषा में लिख दिया है। यह इस प्रकार है।”आपको इस इस चिट्ठे में प्रकाशित सामग्री को – चिट्ठे का आभार प्रकट करते हुऐ अथवा उस चिट्ठी से लिंक देते हुऐ – इसी प्रकार अथवा संशोधन कर बांटने, या अपने चिट्ठे अथवा विकीपीडिया पर डालने की अनुमति है।”

मुन्ने की मां के चिट्ठे की सारी सामग्री इन्हीं शर्तों के अन्दर है। उसने ग्नू मुक्त प्रलेखन लाइसेंस की शर्तें न समझने की जो बात कही है वह सही है। बहुत से लोग इसे नहीं समझ पाते हैं। सच यह है कि ग्नू मुक्त प्रलेखन लाइसेंस सॉफ्टवेयर के लिये लिखा गया था न कि किसी अन्य कॉपीराईटेड सामग्री – जैसे लेख या चित्र के लिये। विकिपीडिया के लिये, इसका चयन करने का निर्णय सही नहीं था।

विकिपीडिया के जनक जिमी वेल्स भी ग्नू मुक्त प्रलेखन लाइसेंस की मुश्किल को समझते हैं पर जब उन्होने विकिपीडिया का निर्माण किया तब क्रिएटिव लाइसेन्स नहीं था। उस समय उन्हें, ग्नू मुक्त प्रलेखन लाइसेंस के अलवा, कुछ सूझा नहीं – इसीलिये इसके अन्दर प्रकाशित कर दिया।

जिमी वेल्स ने यह घोषणा ३०, नवम्बर २००७ को, आईकॉमनस् (icommons) की दावत में की।

विकिपीडिया, विकिमीडिया का एक कार्य है। विकिमीडिया इस तरह के कई कार्य करती है। इसके सारे कार्य – विकिन्यूस् को छोड़ कर – ग्नू मुक्त प्रलेखन लाइसेंस की शर्तें के अन्दर हैं। केवल, विकिन्यूस् ही क्रिऐटिव कॉमनस् के लाइसेंस २.५ के अन्दर हैं। इस दावत पर जिमी वेल्स ने कहा कि,

‘What I’m happy to announce tonight is that just yesterday the Wikimedia Foundation board voted to approve a deal beetween the FSF and CC and Wikimedia. We’re going to change the GFDL in such a way that Wikipedia will be able to become licensed under the Creative Commons Attribution-ShareAlike license.
So this is not as some people speculated on facebook my 58 birthday party … this is the party to celebrate the liberation of Wikipedia.’
मुझे यह बताते हुऐ बहुत खुशी हो रही है कि हम … विकिमीडिया में प्रकाशित सामग्री का ग्नू मुक्त प्रलेखन लाइसेंस को इस प्रकार से बदल देंगे कि इसकी सामग्री क्रिऐटिव कॉमनस् के लाइसेंस के अन्दर भी प्रकाशित की जा सके।
यह वह नहीं है जिसे कुछ लोगों ने मेरी ५८वीं जन्मदिन दावत पर सोचा था … यह दावत है विकिपीडिया के रिहाई।


इस बारे में आधिकारिक प्रस्ताव यहां देखें।

लॉरेन्स लेसिंगस् (Lawrence Lessig) सटैनफोर्ड विश्विद्यालय में कानून के प्रोफेसर हैं। वे मुक्त दर्शन बहुत बड़े समर्थक हैं। इस विषय पर उनका बहुत नाम है। इस घोषणा पर वे कहते हैं कि,

‘So there are 3 great things that happened to my life. Two of them coming from my wife, this is the 3rd greatest thing that ever happened to my life, Jimmy. I’m grateful to your visit, thank you very much, you are just welcomed, thank you.’
मेरे जीवन में तीन बड़ी घटनायें हुई हैं। इसमें से दो के मेरी पत्नी से मुझे मिली हैं [उनके दो पुत्र हैं।] और यह तीसरी है, जिमी तुम्हें धन्यवाद। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि तुम इस दावत में आये।

लेसिंगस् और जिमी का यह चित्र विकिपडिया से है और ग्नू मुक्त प्रलेखन लाइसेंस की शर्तों के अन्दर प्रकाशित है।

यह कार्य कब तक हो पायेगा, शायद बहुत ज्लद ही – १५ दिसम्बर को क्रिऐटिव कॉमनस् की ५वीं जन्मदिन दावत है। इंतजार कीजिये इस दिन का।

मैं जानता हूं इस पर सागर जी या फिर संजय जी की टिप्पणी आयेगी कि कृपया इसे हिन्दी में बतायें। इसलिये जितना हो सका पहले ही मैं कर दिया, बाकी वे ही टिप्पणी कर लिखें।

विकिपीडिया के बारे में मेरे अन्य लेख

  1. हिन्दी विकिपीडिया-१
  2. हिन्दी विकिपीडिया-२
  3. हिन्दी विकिपीडिया-३
  4. हिन्दी विकिपीडिया और कॉपीलेफ्टिंग – फायदा चिट्ठाकारों का
  5. विकिपीडिया के बढ़ते कदम
  6. विकिपीडिया के बारे में कुछ तथ्य

अन्य सांकेतिक चिन्ह

technogy, तकनीकी, सूचना, हिन्दी, विधि/कानून,

हिन्दी कैसे सिखायी जाय

सलाह और सिखाने वाली कई वेबसाइट हैं। जो वेबसाइटें हिन्दी में जो यह काम करती हैं उनकी सूची यहां है। इनमें से कई हिन्दी भी सिखाती हैं पर हिन्दी सिखाने वाली यह वेबसाइट तो मुझे अनूठी लगती है।

hindi-study-1.jpg

हांलाकि मैं यह नहीं समझ पाया कि यह किस भाषा वालों को हिन्दी सिखा रही है।

hindi-study-2.jpg

मैंने इस पर टिप्पणी करने का प्रयत्न किया पर सफल नहीं रहा। इसे योगेश जी चलाते हैं।

योगेश जी, यदि आप मेरे यह चिट्ठी पढ़ रहें हों तो कृपया कुछ ऐसा करें कि जिस भाषा के लोगों के लिये लिख रहें हैं उस भषा को हम हन्दी भाषी भी और अच्छा समझ सकें और सीख सकें तो अच्छा हो।

विकिपीडिया के बढ़ते कदम

कुछ समय पहले मैंने अपने उन्मुक्त चिट्ठे पर कछुवा, खरगोश, और ओपेन सोर्स के बारे में लिखा था। विकिपीडिया इसका सबसे अच्छा उदाहरण है – लोग किस प्रकार से मिल कर इतना बड़ा काम कर सकते हैं।

ब्रिटानिका इनसाइक्लोपीडिया सबसे अच्छा ज्ञान का भंडार माना जाता है पर इसमें भी गलतियां हैं जो कि विकिपीडिया में ठीक कर दी गयी हैं। न्यायालय भी अब विकिपीडिया का संदर्भ देने लगे हैं – इस लेख को पढ़ने के लिये आपको न्यू यॉर्क टाईमस् में रजिस्टर कराना पड़ेगा जो कि मुफ्त है। हांलाकि कभी कभी विकिपीडिया की सत्यता पर सवाल उठ जाते हैं।

हम सब को कोशिश करनी है कि हिन्दी विकिपीडिया भी कुछ इस तरह की हो। मैं इसके लिये थोड़ा बहुत, जो भी हो सके, करता हूं। हिन्दी विकिपीडिया कैसे बढ़े, इस पर लेख कैसे डाले जांय – इस बारे में मैंने चार चिट्ठियां भी लिखी हैंः

हम सब, कुछ न कुछ, हिन्दी विकिपीडिया को दे सकते हैं। क्या आपने इसमें अपना सहयोग देना शुरू किया?

आजकल कई लोग, विवादों से तंग होकर, हिन्दी चिट्ठाकरी छोड़ने की बात करते हैं या फिर छोड़ चुके हैं। यदि आपको विवाद परेशान करते हैं तो क्यों न कुछ दिन केवल हिन्दी विकिपीडिया में सहयोग करें – मन में शान्ति आयेगी और एक अच्छा काम होगा।

देर किस बात की – बन जाइये सदस्य और शुरू हो जाइये 🙂

अन्य सांकेतिक चिन्ह

technogy, तकनीकी, सूचना, हिन्दी, विधि/कानून

अंतरजाल पर हिन्दी कैसे बढ़े

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Roman Hindi, Bangla Gujarati, Gurumukhi, Kannada, Malayalam, Oriya, Tamil, Telgu

काश
बालों में उलझती, खुद को उलझाती
तेरे चेहरे पे सरसराती
मेरी उंगलिया होठों पर रुक जातीं
कान मॆ धीमे से गुनगुनातीं

kaash.jpg

अधखुली अधजगी आखॊ में
अनगिनत सपने लिए
तेरे बदन की खुशबू को
अपनी रूह में बसाती

कुछ सिमट-सिकुड कर
तेरी बाहॊ में टूट जाती
काश ऐसा हो पाता
तू मेरा और मैं तेरी हो पाती

मैं अच्छा शीर्षक का झांसा दे कर, कविता नहीं पढ़वाना चाहता हूं। मैंने यह कविता नहीं लिखी है और न ही यह चित्र मेरे द्वारा खींचा गया है। कविता लिख पाना मेरे बस का नहीं है और न ही इतना सुन्दर चित्र खींच पाना। यह कविता और चित्र तो मैंने One from Cuckoo’s Nest नाम के चिट्ठे की इस चिट्ठी से चुराया है। वहां ये creative commons 2.5 के अन्दर प्रकाशित किया है (यह चिट्ठा और यह चिट्ठी इस समय अपने नये पते, यहां और यहां है)। इसलिये यह कविता और चित्र यहां भी इसी लाइसेन्स के अन्दर है। और बाकी सारा माल, नीचे के कार्टून को छोड़ कर, मेरी शर्तों के अन्दर प्रकाशित है।

कल इस चिट्ठे का जन्मदिन था। केक खाने को तो नहीं मिला पर उन्हें यह चिट्ठी, हिन्दी चिट्टा जगत की तरफ से भेंट है।

पर उन्मुक्त जी, यह चिट्ठा जिससे आपने यह कविता ली है वह तो किसी हिन्दी फीड एग्रेगेटर पर नहीं आता है फिर आपको कैसे मिला?

बताता हूं और मुद्दे पर भी आता हूं।

मैंने हिन्दी चिट्ठाकारिता, मोक्ष और कैफे हिन्दी की चिट्ठी लिखते समय तीन हिन्दी फीड एक्रेगेटर के बारे में बात की थी। उसके बाद तो जिसे देखो वही फीड एग्रेगेटर बना रहा है। लोग तो कह रहें हैं कि हिन्दी फीड एग्रेगेटर ज्यादा हो रहे हैं चिट्ठे कम 🙂

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यह कार्टून मजेदार समाचार चिट्ठे की इस चिट्ठी से लिया गया है।

खैर, इससे मुझे क्या लेना देना। मैंने भी एक अपना फीड एग्रेगेटर बना दिया – ‘देवनागरी चिट्ठे‘। (किसी कारणवश इस चिट्टी के पोस्ट हो जाने के बाद, उपर वाले फीड एग्रेगेटर को छोड़ कर दूसरा फीड एग्रेगेटर उन्मुक्त – हिन्दी चिट्ठों और पॉडकास्ट में नयी प्रविष्टियां नाम से बनाना पड़ा। इसमें वह सब खासियत हैं जो कि पुराने में थी और उससे बेहतर है।)

मेरा फीड एग्रेगेटर बहुत अच्छा है। यह सबकी चिट्ठियों की खबर रखता है, किसी के साथ भेदभाव नहीं है। इसको चलाने में एक भी धेला खर्चा नहीं होता है, न कोई समय लगता है – यह सारे काम अपने आप करता है। इसमें आप किसी भी भाषा में लिखते हों यदि देवनागरी लिपि में लिखेंगे तो यहां आ जायगा। इसको बनाने में कोई तकनीकी ज्ञान नहीं चाहिये।

हो गये न प्रभावित मुझसे 🙂

खैर यह तो मैं आपको बिलकुल नहीं बताउंगा कि मैंने यह विचार कहां से कॉपी किया है या किसने मुझे इसकी टिप्स दी हैं। यदि बता दूंगा तो आप मुझे छोड़ कर, उसी की तारीफ करने लगोगे 🙂

अपने इसी फीड एग्रेगेटर पर देखते समय, मैं इस चिट्टे पर पहुंच गया। यह चिट्ठा मुलतः अंग्रेजी में है जिसमें कुछ चिट्ठियां हिन्दी में हैं। यह कविता और चित्र अच्छे लगे, तुरन्त कॉपी कर, अपने चिट्ठे में लगाये।

लगता है कि आप गुस्सा कर रहें हैं शांत हो जांय, मैं तुरन्त शीर्षक की बात करता हूं।

एक बार, अनूप जी ने मेरा परिचय देते समय कहा कि, मैं बहुत कम टिप्पणी करता हूं। यह कुछ हद तक सही है। टिप्पणी न कर पाने का कारण भी मैंने आभार, धन्यवाद, बधाई नाम की चिट्ठी में स्पष्ट किया है।

मैं अक्सर ऐसे चिट्ठों पर अवश्य जाता हूं जो किसी भी नियमित हिन्दी फीड एग्रेगेटर पर नहीं आते हैं और जितनी टिप्पणियां मैं नियमित हिन्दी फीड एग्रेगेटर के चिट्ठों पर करता हूं उससे कहीं अधिक, ऐसे चिट्ठों पर करता हूं जो किसी भी नियमित हिन्दी फीड एग्रेगेटर में नहीं आते हैं। यह चिट्ठे अक्सर अंग्रेजी में होते हैं जिसमें हिन्दी की कुछ चिट्ठियां होती हैं या फिर हिन्दी के एकदम नये चिट्ठे। इनमें से कई वापस मेरे चिट्ठे पर आते हैं, इमेल करते हैं, और कईयों ने हिन्दी में लिखना शुरु कर दिया – कुछ नियमित हिन्दी फीड एग्रेगेटरों से जुड़ भी गये।

यदि हम सब भी कुछ ऐसे चिट्टों पर जा कर टिप्पणी करें तो जरूर ऐसे लोगों का उत्साहवर्धन होगा। यह लोग हिन्दी में और लिखेंगे। अन्तरजाल पर हिन्दी बढ़ेगी। ऐसे अनुनाद जी ने यहां बहुत अच्छे उपाय बतायें हैं यदि पढ़ने से रह गये हों तो अवश्य पढ़ें और हो सके तो अमल भी करें।

काश,
वे हिन्दी में और भी लिखती,
हम सब को सुनवाती,
हिन्दी चिट्ठाजगत पर सरसराती
काश ऐसा हो पाता
कि वे हिन्दी की और हिन्दीजगत उनका हो पाता।

यह बताना तो भूल ही गया कि इन चिट्ठियों पर टिप्पणी करते समय मुझे अक्सर उनसे भी मुलाकात होती है। वे वहां पर पहले से ही टिप्पणी करे बैठे होते हैं।

कौन हैं वे शख्स, जरा हमें तो भी बताइये।

अरे वही, जिनकी चिट्ठी से मैंने यह आइडिया चुराया है। नाम तो नहीं बताउंगा, बवाल शुरू हो जायगा।

हां मेरे हिन्दी फीड एक्रेगेटर पर जा कर एक नजर डाल दीजयेगा 🙂

किसी कारणवश इस चिट्टी के पोस्ट हो जाने के बाद, उपर वाले फीड एग्रेगेटर को छोड़ कर दूसरा फीड एग्रेगेटर उन्मुक्त – हिन्दी चिट्ठों और पॉडकास्ट में नयी प्रविष्टियां नाम से बनाना पड़ा। इसे ही देखिये 🙂

मेरा यह सब लिखने का कुछ और मकसद भी हैः

  • इस समय बहुत से हिन्दी फीड एक्रेगेटर हैं। सब अच्छे हैं और एक छोटे स्तर का हिन्दी फीड एक्रेगेटर (जैसा कि मेरा है) बनाना बहुत आसान है। यदि किसी कारण किसी एक्रेगेटर ने आपकी फीड हटा दी है या आपकी किसी चिट्ठी पोस्ट होने में कुछ देर हो गयी (जो कि केवल तकनीक के कारण से होती है) तो इस पर विवाद करने की या फिर सबको ईमेल कर, समय बर्बाद करने से अच्छा है कि, बढ़िया सी चिट्ठी पोस्ट की।
  • मैंने अपनी वीकिपीडिया और कॉपीलेफ्टिंग – फायदा चिट्ठाकारों का की चिट्ठी पर बताया कि मेरे चिट्ठे पर फीड एक्रेगेटरों से कम तथा सर्च कर या फिर मेरे लेखों कि कड़ियों से अधिक लोग आते हैं। यह हमें से बहुतों के साथ सच है। हिन्दी चिट्टाकारी में वह समय आ गया है कि यदि आप अच्छा लिखते हैं तो आपको हटाने में फीड एक्रेगेटर का ही ज्यादा नुकसान है न कि आपका।

इस चिट्ठी को लिखने में, मेरा यह भी मकसद है कि हिन्दी चिट्ठाकारी में वह समय आ गया है जब हिन्दी फीड एक्रेगेटर पहले स्तर से उठ कर, दूसरे स्तर पर पहुंचे। इसमें मुख्य रूप से यह करना चाहियेः

  • पहले चिट्ठों को विषयानुसार अलग किया जाय। जैसा कि ब्लागवाणी या हिन्दी चिट्ठे एवं पॉडकास्ट या हिन्दी जगत या चिट्ठाजगत पर (एक तरीके से, विपुल जी की टिप्पणी देखें) किया गया है। उसके बाद, अलग अलग विषय की फीड को भी अलग अलग दिया जाय जिससे अपने पसन्द के विषय की फीड ली जा सके।
  • चिट्टाचर्चा में नये चिट्ठाकारों का उत्साह वर्धन होता है। यह जरूरी है पर इसके साथ यह भी जरूरी है कि अच्छी चिट्ठियों को उनके सरांश (न कि उनकी पंक्तियों के साथ) पुनः अलग से प्रकाशित किया जाय। ताकि यदि किसी से वह चिट्ठी पढ़ने से छूट गयी हो तो वह पढ़ सके। सरांश तो वही लिख सकता है जो उस चिट्ठी को पढ़े और उसका मर्म समझे। इससे सकारात्मक चिट्ठियां बढ़ेंगी। यह कार्य किसी हद तक कैफे हिन्दी, सारथी, और हिन्दी चिट्ठे एवं पॉडकास्ट में (दायीं तरफ) होता है। इस तरह की कुछ बात देबाशीष जी ने भी एग्रीगेटरों के बहाने से चिट्ठी में कही है हांलाकि मैं इस चिट्ठी की कुछ बातों से सहमत नहीं हूं। मैं जिन बातों से सहमत नहीं हूं वे यहां प्रसांगिक नहीं हैं – वे सब फिर कभी … शायद कभी नहीं 🙂 वे महत्वपूर्ण नहीं हैं। यदि महत्वपूर्ण नहीं हैं तो उन पर समय नष्ट करना, बेकार है।
  • हिन्दी फीड एक्रेगेटर व्यवसायिक हों। अथार्त वे अपने में पूर्ण हों। वे अपने लिये धन खुद अर्जित कर सकें। यदि अभी धन अर्जित न हो सकता हो तो उस दिशा पर चले, जिससे वे आने वाले समय पर धन अर्जित कर सकने में सक्षम हों। यदि उस फीड एक्रेगेटर के चलाने वाले मुख्य व्यक्ति को उसे चलाने की रुचि समाप्त हो जाय तो भी वे अपने में चलने में सक्षम हो।
  • मेरे विचार से यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है कि किसी भी चिट्ठी के प्रकाशित होने के बाद वह कितनी ज्लदी फीड एक्रेगेटर पर आती है पर यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि वह जब भी आये तब सबसे पहले नंबर पर आये। आने के बाद पूरे समय पहले पेज रहे। ऐसा न हो कि जब वह आये तो नीचे आये या दूसरे पेज पर आये। अथार्त फीड एक्रेगेटर पर वह, वहां पर की गयी पोस्टिंग के अनुसार रहे, न कि उस चिट्ठी के प्रकाशित किये गये समय के अनुसार। उसकी पोस्टिंग पहले पेज पर पहले नंबर पर आने में जितना कम समय लगे उतना ही अच्छा है।

मैंने काफी समय पहले पेटेंट पर एक श्रंखला लिखी थी जिसके एक भाग को सारथी ने यहां पुनः छापा है। उन्होने इसे इसके लायक समझा मेरा आभार, मेरा धन्यवाद, मेरा सौभाग्य। इसे मैंने हिन्दी में पॉडकास्ट भी किया था। जिसे आप मेरी बकबक पर सुन भी सकते हैं।

हिन्दी वीकिपीडिया और कॉपीलेफ्टिंग – फायदा चिट्ठाकारों का

क्या हिन्दी वीकिपीडिया पर लेख लिखने और चिट्ठियों को कॉपीलेफ्टिंग करने से कुछ फायदा होता है। जी हां, बहुत कुछ।

‘तो भाई, पहले क्यों नहीं बताया। लगता है कि अकेले ही फायदा लेते रहे।’

चलिये अब बता देता हूं।

मेरे इस चिट्ठे पर, अन्तरजाल में क्या है, के बारे में मेरी टिप्पणियों के साथ चिट्ठियां रहती हैं।

उन्मुक्त चिट्ठा, मेरा मुख्य चिट्ठा है। इस पर मेरे विचार रहते हैं पर यह अक्सर कड़ियों में रहते हैं। किसी भी विचार पर लिखने के पहले मे रूप रेखा तो बना लेता हूं पर लेख कड़ियों के साथ ही लिखता हूं – एक साथ बड़ा लेख लिखना मुश्किल रहता है। लेखों को कड़ियों मे लिखने मे आसानी होती है पर पढ़ने मे पूरे लेख ही अच्छे लगते हैं – कारण,

  • दो कड़ियों के बीच अक्सर कुछ और चिठ्ठियां भी आ जातीं है जिससे निरतरता भंग होती है;
  • कड़ियों मे लिखने से तारत्म्यता भी गड़बड़ होती है।

इससे लगा कि बाद मे सारी कड़ियों को जोड़ कर पूरे विषय पर सामग्री एक जगह कर दिया जाय और यदि उस विषय पर कुछ नया आये तो कड़ियों पर जोड़ने की जगह वहीं पर पर जोड़ा जाय तो ठीक रहेगा तथा उस विषय पर एक जगह पूरी जानकारी भी रहेगी और एक साथ पढ़ने का आनंद ही अलग है। यह कार्य मैं अपने लेख चिट्ठे पर करता हूं। जब मैंने इसे शुरू किया, तब मुझे हिन्दी वीकिपीडिया के बारे में नहीं मालुम था।

कुछ दिनो बाद मितुल जी ने मेरे लेख चिट्टे पर टिप्पणी कर मुझे हिन्दी वीकिपीडिया पर लिखने की सलाह दी और यह सफर भी मैंने ज्लद ही तय किया। मैंने दो और चिट्ठिया हिन्दी वीकिपीडिया के बारे में यहां और यहां लिखी हैं। मैं लेख पर चिट्ठियां प्रकाशित करने के बाद, यदि वे हिन्दी विकीपीडिया पर डालने लायक हैं तो, वह भी करता हूं।

मेरे सारे चिट्ठों की चिट्ठयां और पॉडकास्ट (बकबक) कॉपीलेफ्टेड हैं। आपको भी उन्हे वीकिपीडिया पर डालने की तथा उसी तरह से प्रयोग करने की अनुमति है जैसा कि कैफे हिन्दी में किया गया है। मेरे लेख चिट्ठे की, की कुछ चिट्ठियां जो वीकिपीडिया में नहीं हैं वे कैफे हिन्दी में प्रकाशित हैं।

मेरा उन्मुक्त और छुटपुट चिट्टा सारे हिन्दी फीड एग्रेगेटर पर आते हैं पर लेख चिट्टा नहीं आता। मैंने इसे स्वयं कहीं नहीं रजिस्टर करवाया। इसका कारण यह था कि इसमें कोई नयी बात नहीं रहती है पर वही रहती है जो उन्मुक्त चिट्ठे पर प्रकाशित हो चुकी होती है। मेरे उन्मुक्त चिट्टे पर १७१ चिट्ठियां हैं। इनको १४,००६ बार देखा गया है, अथार्त प्रति चिट्ठी लगभग ८२ बार। मेरे छुटपुट चिट्टे पर (इस चिट्ठी को छोड़ कर) ६८ चिट्ठियां हैं। इनको ५५०६ बार देखा गया है, अथार्त प्रति चिट्ठी ८१ बार। मेरे लेख चिट्टे पर १२ चिट्ठियां हैं, अथार्त इनको १५१७ बार देखा गया है, अथार्त प्रति चिट्ठी १२६ बार।

इससे यह स्पष्ट होता है कि सबसे ज्यादा बार मेरे लेख चिट्टे की चिट्ठियों को देखा गया है। आप तो यही सोचते होंगे,

‘जब यह किसी फीड एग्रेगेटर में आता नहीं है तो लोग कैसे इस पर आते हैं।’

इस पर लोग हिन्दी वीकिपीडिया, कैफे हिन्दी और सर्च करके आते हैं। हुआ न फायदा हिन्दी वीकिपीडिया पर लेख लिखने का और कॉपीलेफ्टिंग करने का। लोग अपने आप आते हैं पढ़ने के लिये। ऐसे मैंने यह बात, जब कैफे हिन्दी की आलोचना हो रही थी तब, ‘डकैती, चोरी या जोश या केवल नादानी‘ चिट्ठी पर भी लिखी थी।

‘अच्छा तो, आपको, क्या केवल यही फायदा हुआ?’

नहीं इसके अलावा एक और फायदा हुआ।

‘अरे, ज्लदी बताईये, रुक क्यों गये।’

मैंने लेख चिट्ठे पर एक चिट्ठी ओपेन सोर्स सॉफ्टवेर के नाम से प्रकाशित की है। इसके बाद इसे हिन्दी वीकिपीडिया पर भी डाला है। एक दिन इस पर एक टिप्पणी आयी,

‘We found this page very useful. Thanks to the Administrator!’

मैंने इस टिप्पणी को तो प्रकाशित कर दिया पर उन्हें इमेल कर के धन्यवाद देते हुऐ पूछा कि आप कौन हैं।

चंदिता जी का जवाब आया कि वे मुम्बई में कॉमेट मीडिया फॉउन्डेशन से हैं। वे लोग ओपेन सोर्स के बारे में एक सम्मेलन कर रहे थे जिसमें उन्होने हिन्दी वीकिपीडिया के बारे में जानकारी दी। (मितुल जी नोट करेंगे)। इसके बाद वहां पर ओपेन सोर्स सॉफ्टवेर के बारे में सूचना को को सम्मेलन में भाग ले रहे लोगों को दिखा रहे थे। उन्होने जब मेरा यह लेख देखा। तो पसन्द आया। इसलिये धन्यवाद के रूप में वह टिप्पणी की। इसके बाद उन्होनें पूछा,

‘क्या आप मुम्बई में रहते हैं? यहां पर, हम आपका भाषण रखना चाहेंगे।’

मैंने जवाब दिया कि मैं मुम्बई में नहीं, पर वहां से बहुत दूर, एक छोटे से कस्बे में रहता हूं। यदि कभी मुम्बई आया, तो बताऊंगा।

देखा न फायदा – मुंबई में भाषण देने का मुफ्त में न्योता मिला। जल्दी से आप भी अपने लेख वीकिपीडिया पर डालना शुरु कीजये और उन्हें कॉपीलेफ्ट कीजये। क्या मालुम दुनिया के किस कोने से बोलने का न्योता मिल जाय 🙂

मुझे, अक्सर मुंबई जाना पड़ता है। अब तो, बोलने का न्योता भी मिल गया पर जब से गोवा में भाषण देने का अनुभव हुआ है तबसे समुद्र के किनारे भाषण देने जाने में डर सा लगने लगा 😦

अन्य सांकेतिक चिन्ह

technogy, तकनीकी, सूचना, हिन्दी, विधि/कानून,

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