उफ, क्या मैं कभी चैन से सो सकूंगी
सितम्बर 20, 2008 6 टिप्पणियां
यह चिट्ठी एक महिला वकील के बचपन के अनुभवों का जिक्र करती हुई, यौन शिक्षा पर जोर देती है।
‘काश मैं एक रात भी, उन हाथों को सपनो में देखे बिना सो सकती’,
यह कहना है चेन्नाई की एक २४ वर्षीय सफल महिला वकील का।
वे किसके हाथ हैं, वे सपनो क्यों न आयें, क्या हाथ भी सपनो में किसी को तंग कर सकते हैं?
क्या आप समझ नहीं पाये वे किसके हाथ हैं और वह वकील महिला उनसे क्यों डरती है?
वे हाथ हैं उसके बड़े भाई के, वे हाथ हैं उसके पड़ोसी के।
वे हाथ हैं उसके बड़े भाई के, वे हाथ हैं उसके पड़ोसी के, जिसके यहां वह बचपन में, अपनी हम उम्र सहेली के यहां लुका छिपी खेलने जाया करती थी।
क्या आप अब भी नहीं समझ नहीं पाये कि वह वकील महिला उनसे क्यों डरती है?
मैं तहलका (Tehlka) पत्रिका का नियमित ग्राहक हूं। हमारे पास इसका अंग्रेजी भाषा का संस्करण आता है। इसमें एक स्तंभ है व्यक्तिगत इतिहास (Personal History) का। १३ सितम्बर के अंक के इस कॉलम के अन्तर्गत इसी महिला ने इस बारे में
‘I pray that some day I will sleep without seeing those hands in my dreams’
नाम के शीर्षक से लिखे हैं आप इस अंक के लेख को पढ़ें या अन्तरजाल में यहां पढ़ें।
वे मुझेउस जगह छू रहे थे जहांं उन्हें नहीं छूना चाहिये था। वे मुझसे वह करवा रहे थे जो मुझे नहीं करना चाहिये था।
आपको क्या लगता है कि यह महिला झूट बोल रही है?
मुन्ने की मां के अनुसार जो भी इसके साथ हुआ वह अक्सर होता है। यह काम परिवार के लोग या फिर जान पहचान के लोग ही करते हैं।
यह महिला अपने अनुभव में कुछ हद तक अपने को भी को दोषी मानती है। आपको क्या लगता है क्या वह दोषी है?
लड़की छोटी थी पर उसका भाई बड़ा था। उसका पड़ोसी भी उम्र में बड़ा था। क्या गलती उन दोनो की नहीं है? उन्होंने ऐसा क्यों किया? क्या उन्हें यह सब नहीं समझना चाहिये था? क्या गलती उनके माता पिता की, यह उस समाज की नहीं है जिसने,
- न तो बड़े भाई को न उस पड़ोसी को उचित यौन शिक्षा दी
- न ही उस महिला बच्ची को इस मुसीबत से बचाया।
मेरे विचार में शायद उन्हें ठीक प्रकार से शिक्षा नहीं मिली। उन्हें यह ठीक प्रकार से मिली होती तो वे समझ पाते कि ६ साल की बच्ची पर उनकी हरकतों का क्या असर पड़ेगा।
आपको क्या लगता है कि क्या यौन शिक्षा नहीं होनी चाहिये?
मेरे विचार से यौन शिक्षा होनी चाहिये। मैं इसका पक्षधर हूं। अक्सर लोग इसका विरोध इसलिये करते हैं क्योंकि वे इसका अर्थ गलत समझते हैं। वे समझते हैं कि इसका सम्बन्ध केवल सम्भोग या फिर प्रजनन से है। यह सोच ठीक नहीं है। यौन शिक्षा का अर्थ कुछ और है। इस तरह की बातें परिवार समाज में होती हैं। मैंने पिछले साल लिखा था कि,
- मेरी मां ने किस प्रकार से मुझे किस तरह से इससे दूर रखा
- किस तरह से इस सच्चाई से अवगत कराया,
- मुझे किस तरह यौन शिक्षा मिली, और
- मैंने अपनी अगली पीढ़ी को इसके बारे में बताया।
मेरे विचार में यौन शिक्षा जरूरी है और यह किस तरह से हो उसके बारे में विचार जरूरी है।
क्या वह लड़की कभी ठीक से सो सकेगी? आशा करता हूं कि उसका वैवाहिक जीवन सुखी रहेगा।
तहलका में लिखे लेख को पढ़ने के लिये इस चित्र पर चटका लगायें।
उन्मुक्त की पुस्तकों के बारे में यहां पढ़ें।
इस चिट्ठी पर सारे चित्र तहलका के सौजन्य से हैं।
यौन शिक्षा क्या है और वह क्यों जरूरी है – कुछ लेख
यौन शिक्षा।। यहां सेक्स पर बात करना वर्जित है: हमने जानी है जमाने में रमती खुशबू।। यौन शिक्षा जरूरी है।। Trans-gendered – सेक्स परिवर्तित पुरुष या स्त्री।। मैं लड़के के शरीर में कैद थी।। मां को दिल की बात कैसे बतायें।। क्या, अंतरजाल तकनीक पर काम करने वालों पर, वाई क्रोमोसोम हावी है?।।
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