सरकार और न्यायालय भी समझने लगे मुक्त सॉफ्टवेयर का महत्व

इटली के संवैधानिक न्यायालय की इमारत विकिमीडिया के सौजन्य से

लगता है कि न केवल सरकारें पर न्यायालय भी मुक्त सॉफ्टवेयर का महत्व समझने लगे हैं।

पिज़ मॉन्टे (Piedmont) इटली का उत्तरी पश्चमी क्षेत्र है। ट्यूरिन इसकी राजधानी है। इसने एक नया कानून बनाया कि सरकारी कामों में मुक्त सॉफ्टवेयर को  प्राथमिकता दी जायगी।  इस कानून की संवैधानिकता को चुनौती दी गयी। Read more of this post

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मैंने ‘ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके’ श्रृंखला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये लिखी

मैंने इस चिट्ठे की पिछली चिट्ठी में बताया था कि मैंने ‘ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके‘ श्रृंखला ज्योतिष पर विश्वास करने वालों का मजाक बनाने के लिये या किसी की आस्था या विश्वास पर चोट पहुंचाने के लिये नहीं लिखी थी और वायदा किया कि इसके लिखने का कारण बताउंगा। इस चिट्ठी इस श्रृंखला के लिखने का कारण है। Read more of this post

‘ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके’ श्रृंखला किसी को दुख देने के लिये नहीं लिखी गयी थी

कुछ समय पहले मैंने  ‘नाई की दाढ़ी को कौन बनाता हैनामक चिट्ठी लिखी। इसमें संस्कृत का एक श्लोक भी लिखा था। मैं जानना चाहता था कि वह कहां से है। कई चिट्ठाकार बन्धुवों ने मदद की। इस पर अरविन्द जी ने   ‘मेरे ही बुकशेल्फ में छुपा था उन्मुक्त जी के प्रश्न का जवाब!‘ नामक चिट्ठी लिखी। इस पर   हिमान्शू मोहन जी, ने टिप्पणी की,

‘… एक बात और यहाँ साथ ही कहता चलूँ – जो मैंने उन्मुक्त की पोस्ट पर भी कही थी – कि बिना पूरी तरह जाने किसी विषय को, उस के बारे में अच्छी या बुरी धारणा बना लेना – पूर्वाग्रह है। सतर्क और जिज्ञासु – ज्ञान-पिपासु को इससे बचना चाहिए।’

राशियां – चित्र  विकिपीडिया के सौजन्यसे

मैंने भी वहीं टिप्प्णी कर कहा था कि मैं जल्द ही अपनी बात रखूंगा। यह रहा मेरे जवाब का पहला भाग। Read more of this post

कोई वकील क्यों बनना चाहता है?

‘उन्मुक्त जी, यह भी कोई सवाल है। क्या, कोई वकील भी बनना चाहता है। lawyer prestige

लगता है आपको मालुम नहीं, आज के समाज में स्पैमरस्  के बाद, समाज में, सबसे तिरस्कित  वकील ही हैं। कुछ वकील जरूर पैसा कमाते हैं पर अधिकतर तो फटेहाल ही हैं। यह सुन कर की आप कानून पढ़ रहे हैं, सुन्दर लड़कियां दूसरी तरफ मुंह फेर लेती हैं। फिर कोई वकील क्यों बनना चाहेगा।

यह कार्टून मेरा बनाया नहीं है। मैंने इसे यहां से लिया है। Cartoon by Nicholson from “The Australian” newspaper: www.nicholsoncartoons.com.au

जाइये, जाइये, मुझे न बताइये। मुझे सब मालुम है कि कोई वकील क्यों बनता है। पहले लोग आई.सी.एस. बनने विलायत जाते थे। आई.सी.एस. में फेल हो गये तो बार एट लॉ बन गये। आजकल इंजीनियरिंग, डाक्टरी या किसी प्रोफेशनल कोर्स में दाखिला नहीं मिला, कुछ करने को नहीं हुआ – वकालत की पढ़ाई करने लगे। उसके बाद वकील बन गये। अब आगे कुछ न कहलवाइये। कहीं, न्यायालय की अवमानना न हो जाय या फिर चिट्ठजगत से विदा लेनी पड़े।’

क्या आपका भी यही सोचना है। क्यों न यह सवाल उनसे पूछा जाय जो वकालत पढ़ रहे हैं। क्योंकि वे ही इसका सबसे अच्छा जवाब दे सकते हैं।

ऐक्सस ग्रुप विद्यार्थियों को ऋण की सुविधा प्रदान करता है। वे कई सालों से, अमेरिका में कानून में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के बीच एक प्रतियोगिता करा कर यह सवाल पूछते हैं। इस प्रतियोगिता में,  विद्यार्थियों को चार मिनट से कम समय का विडियो बना कर यूट्यूब में डालना होता है कि वे क्यों वकील बनना चाहते हैं। उन्हें इसके लिये क्यों और कहां से प्रेणना मिली। इसमें एक पुरुस्कार १०,००० डॉलर और पांच पुरुस्कार १,५०० के दिये जाते हैं।

इस साल की प्रतियोगिता में ११३ विद्यार्थियों ने भाग लिया। इन विडियों में से दस विद्यार्थियों के विडियो को चुना गया। इसके पश्चात लोगों ने वोटिंग की। इस वोटिंग में  ब्रानिगन रॉबर्टसन (Branigan Robertson) को प्रथम पुरुस्कार मिला। वे शैपमैन कानून विश्विद्यालय (Chapman University School of Law) के विद्यार्थी हैं।

आप रॉबर्टसन के बनाये विडियो को नीचे देखें। आपको वकील के जीवन का दूसरा पहलू भी देखने को मिलेगा। शायद यह जीवन, किसी  अन्य जीवन से, कहीं अधिक रोमांचकारी और समाजसेवा का है। क्या मालुम आपके विचार बदल जायें। जहां तक मेरा सवाल है, मुझे अनगिनत, अलग अलग प्रोफेशन के लोगों की जीवनी पढ़ने का मौका मिला। मैं तो यही सोचता हूं कि वकील का जीवन रोमांचकारी और समाजसेवा का है।

यदि आप अन्य पुरुस्कृत विडियो को देखना चाहें उन सबके बारे में यहां सूचना है।

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सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)

  • विकासवाद को पढ़ाने से मना करने वाले कानून – गैरकानूनी हैं:
  • मंकी ट्रायल:
यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप –
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में – सुन सकते हैं।
बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।

न्यायालय ५ बजे बन्द होता है

शैरन केलर (Sharon Keller) सबसे पहले १९९४ में टेक्साज़ अपीली न्यायालय की न्यायाधीश चुनी गयी थीं। वे इसकी मुख्य न्यायधीश २००० में, फिर पुनः २००६ में २०१२ तक चुनी गयीं। लेकिन, क्या वे तब तक इस पद पर बनी रहेंगी।

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शैरन (अगली पंक्ति के मध्य में) अपने सहयोगियों के साथ - चित्र टेक्साज़ अपीली न्यायालय के वेब साइट के सौजन्य से है।

‘अरे उन्मुक्त जी, क्या हुआ उन्हें, क्या वे किसी बेहतर जगह जा रहीं हैं?’


बेहतर तो नहीं, पर उन्हें निकाले जाने के लिये जांच चल रही है।


‘उन्मुक्त जी, मुख्य न्यायाधीश पर जांच—क्या जुर्म किया है उन्होंने’


उन्होंने वकील से कहा कि न्यायालय ५ बजे बन्द होता है और उसे ५ बजे ही बन्द कर दिया।


‘लीजिये, इसमें क्या खता हो गयी कि उन्हें निकाले जाने के लिये जांच चल रही है।’


बहुत कुछ।

न्यायामूर्ति होल्मस् अंग्रेजी में फैसला लिखने वाले न्यायमूर्तियों में सबसे जाने माने न्यायमूर्ति हैं। वे बीसवीं शताब्दी के पहले चतुर्थांश में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायया लय के न्यायाधीश थे। उनके अनुसार,

  • जज़ वास्तव में फैसला मुकदमों के तथ्यों पर ले लेते हैं फिर उस पर कानून का जामा पहना कर कारण लिखते हैं।
  • उनके तथ्यों पर लिये गये अधिकतर फैसले, कानून दायरे के बाहर होते हैं और ‘अव्यक्त धारणा’ (inarticulate major premise) पर निर्भर होते हैं।

    न्यायमूर्ती होल्मस् का चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से


मैं नहीं जानता कि inarticulate major premise का ठीक अनुवाद ‘अव्यक्त धारणा’ है कि नहीं इसे तो हिन्दी ज्ञानी ही बता पायेंगे पर यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम किस प्रकार बड़े हुऐ, हमें कैसा वातावरण मिला।


हेरॉल्ड लास्की पिछली शताब्दी में अंग्रेज साम्यवादी विचाराधारा के विचारक हुऐ हैं। वे लंडन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स अध्यापक रहे और भारतियों के जीवन के प्रेणनास्रोत। उनकी लिखी प्रसिद्ध पुस्तक है द ग्रामर ऑफ पॉलिटिक्स (The Grammar of Politics) इस पुस्तक में वे बताते हैं कि अच्छा जज़ वह जो अपनी अव्यक्त मुख्य प्रस्तावना से उपर उठ सके उनके मुताबिक होल्मस् के अतिरिक्त शायद कोई जज़ नहीं हुआ जो कि इसके ऊपर उठ सका। यह बात न्यायधीश शैरन कैलर के आचरण से साबित होती है जिसके कारण उनको हटाये जाने की जांच चल रही है।


२५ सितम्बर २००७ शाम पौने पांच बजे शैरन के पास वकील ने फोन किया,

‘माईकेल रिचार्ड मेरा मुवक्किल है। वह फांसी के तख्ते पर है। उसे आज रात में फांसी हो जायगी। सर्वोच्च न्यायालय के नये फैसले के आधार पर उसकी फांसी की सजा कट सकती है। इसके लिये वे एक याचिका प्रस्तुत कर रहे हैं। उनके कंप्यूटर में कुछ गड़बड़ी होने के कारण उन्हें आने में देर हो रही है। कृपया न्यायालय कुछ देर कर और खुला रखें ताकि हम यह याचिका प्रस्तुत कर सकें।’


शैरन ने जवाब दिया कि न्यायालय ५ बजे बन्द होता है। उसे घर में कुछ ठीक करवाना था। उसने न्यायालय बन्द करवाया और अपने घर मेकैनिक के साथ चली गयी। रात में माईकेल को फांसी हो गयी।


वकील ने शैरन के खिलाफ अभियोग दर्ज कराया कि उनका आचरण अनुचित था। वे जज़ बनी रहने के काबिल नहीं हैं। इसी कारण उन पर जांच चल रही है। जांच के दौरान, उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि उन्होंने फोन मिलने के बाद भी न्यायालय बन्द कर दिया था। उनका कहना है,

‘माईकेल को एक महिला के साथ बलात्कार करने के बाद उसे मारने का जुर्म था। उसने इस जुर्म को स्वीकार कर लिया था। उस पर दो बार मुकदमा चल चुका था। उसकी याचिका पर पुनः सुनने की जरूरत नहीं थी।’


उन्होंने स्पष्ट किया,

‘यदि इस तरह की बात फिर उठेगी तो वे पुनः इस तरह का व्यवहार करेंगी।’


यदि, शैरन,  उस वकील की याचिका को सुन कर कहती कि उसमें कोई बल नहीं है तब  अलग बात होती, पर बिना उस याचिका देखे, सुने
यह कह देना अनुचित है। शायद, वे भूल गयीं कि जीवन लिया जा सकता है और एक बार उसके जाने के बाद, कभी भी वापस नहीं दिया जा सकता। एक बार जो चला गया वह वापस नहीं आ सकता। माइकेल के वकील की प्रार्थना ऐसी नहीं थी जो बिना सुने खारिज की जा सकती हो।

मेरे विचार से, शैरेन इस ‘अव्यक्त धारणा’ से ग्रसित थीं कि माईकेल को फांसी होनी चाहिये और किसी बात से ग्रसित हो कर काम करना, जज़ के आचरण के विरुद्ध है।

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यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप –
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में – सुन सकते हैं।
बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।

इस विषय पर संबन्धित लेख नीचे दिये गये लिंक पर पढ़े जा सकते है।

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इंटरनेट (अन्तरजाल) का प्रयोग – मौलिक अधिकार है

अन्तरजाल पर कॉपीराइट का उल्लंघन रोकना मुश्किल है। इसको रोकने के लिये नये नये तरीके ढूंढे जा रहे नये नये कानून भी बन रहे हैं। नये कानूनों की वैधता को भी न्यायालयों में चुनौती दी जा रही है। तकनीक के विकास के साथ, कानून का भी विकास हो रहा है। internet_dog

(Cartoon by Peter Steiner. The New Yorker, July 5, 1993
issue [Vol.69 no. 20] page 61 – taken from here.)

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गाना, विडियो अपलोड करने वालों – सावधान

मैंने कुछ समय पहले उन्मुक्त चिट्ठे पर अंतरजाल की मायानगरी में नामक एक श्रंखला लिखी थी। इस चिट्ठी में वेब के इतिहास, उसके आविष्कार, उसके भविष्य, उसके कारण उठ रही मुश्किलों, सवालों और कानूनी अड़चनों के बारे में चर्चा की गयी है। इसकी एक कड़ी ‘गोलमाल है भाई गोलमाल‘ में बताया था

‘बाज़ार में हर तरह की सीडी मिलती – कानूनी, गैर कानूनी। यदि आप कानूनी वीडियो या संगीत की सीडी खरीदते हैं तो उसे आप सुन तो सकते हैं पर उसे या उसके भाग को किसी वेबसाइट {(जैसे यूट्यूब (youtube) या ईस्निप्स् (esnips)} पर अपलोड कर, उसे सार्वजनिक कर देना, गलत है। यह कॉपीराइट का उल्लंघन है। गाने अपलोड करना कॉपीराइट का उल्लंघन है।’

यह भी सच कि कुछ परिस्थितियों में कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं होगा। इस बारे में आप मेरी चिट्ठी, ‘मुज़रिम उन्मुक्त, हाज़िर हों‘ पर पढ़ सकते हैं।

अमेरिका में, युनिवर्सल म्यूज़िक ग्रुप ने, जैमी थॉमस रैसेट (Jammie Thomas Rasset) नामक महिला पर मुकदमा चलाया कि उसने २४ गानों को अपलोड कर दूसरों को कॉपी करने की सुविधा दी। इस मुकदमे में जैjammie thomas kidsमी का कहना था कि उसने कोई गाना अपलोड नहीं किया था।

जैमी थॉमस रैसेट अपने दो पुत्रों के साथ

जैमी के ऊपर पहले चला मुकदमा, जूरी को ठीक से न निर्देश देने के कारण रद्द कर दिया गया। उसके ऊपर फिर से मुकदमा चलाया गया। उनके पहले वकील ब्राइन टोडर (Brian Toder) ने उन्हे पैसे न मिलने के कारण मुकदमे से अपना नाम, न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद हटा दिया था। जैमी के नये वकील, २५ साल के किवि कामारा (Kiwi Camara) हैं।

कामारा ने १९ साल की उम्र में हावर्ड विश्वविद्यालय में कानून का दाख़िला लिया था। वे हावर्ड से कानून की शिक्षा लेने वाले सबसे कम उम्र के विद्यार्थी है। वे यह मुकदमा बिना कोई फ़ीस लिये कर रहे थे। उनके मुताबिक उन्होंने यह मुकkiwi camaraदमा इसलिये लिया ताकि अन्य मुक़द्दमों में यह नज़ीर बन सके।

जैमी के वकील किवी कामारा

जूरी ने, जैमी की कोई बात नहीं मानी और उस पर ८०,००० डॉलर प्रति गाना, कुल १९ लाख २० हज़ार डॉलर का जुर्माना लगाया गया। यह इस तरह का पहला मुकदमा है।

माना जैमी गलत है।  लेकिन फिर भी क्या एक गाने के लिये ८०,००० डॉलर सही है?

इस बारे में, आप विस्तार से, नीचे ज़मेन्टा के द्वारा बताये सम्बन्धित लिखों में पढ़ सकते हैं।

 

उन्मुक्त की पुस्तकों के बारे में यहां पढ़ें।

इस चिट्ठी का पहला चित्र यहां और दूसरा  यहां से लिया गया है।

अंतरजाल की मायानगरी में

टिम बरनर्स् ली।। इंटरनेट क्या होता है।। वेब क्या होता है।। वेब २.०।। सॅमेंटिक वेब क्या है और विकिपीडिया का महत्व।। लिकिंग, क्या यह गलत है।। चित्र जोड़ना – यह ठीक नहीं।। फ्रेमिंग भी ठीक नहीं।। बैंडविड्थ की चोरी – क्या यह गैर कानूनी है।। बैंडविड्थ की चोरी – कब गैरकानूनी है।। डोमेन नाम विवाद क्या होता है।। समान डोमेन नाम विवाद नीति, साइबर और टाइपो स्कवैटिंग।। की वर्ड और मॅटा टैग विवाद।। गोलमाल है भाई गोलमाल।। गाना, विडियो अपलोड करने वालों – सावधान।। अन्तरजाल पर कानून में टकराव।। समकक्ष कंप्यूटर के बीच फाइल शेयरिंग।। शॉ फैनिंग, नैपस्टर सॉफ्टवेयर, और उस पर चला मुकदमा।। कज़ा केस।। ग्रॉकस्टर केस।। ग्रॉकस्टर केस में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय का फैसला।।

ज़ेमन्टा के द्वारा बताये गये सम्बन्धित लेख

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२००९ मुक्त सॉफ्टवेयर और मुक्त मानक का साल होगा।

मैंने अपने इसी चिट्ठे पर दो चिट्ठियां ‘मुक्त मानक और अमेरिकी चुनाव‘  और ‘क्या ओबामा विकीपीडिया, ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर की तरह हैं‘, लिखी हैं। जिसमें यह बताने का प्रयत्न किया है कि ओबामा मुक्त  सॉफ्टवेयर और मुक्त मानक के समर्थक हैं।

(दायें से बायें) दो वर्ष के ओबामा, उनकी मां और पिता।

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विकिपीडिया स्वतंत्र हुई

Wikipedia

Image via Wikipedia

मैंने कुछ समय पहले एक चिट्ठी ‘विकिपीडिया की रिहाई?‘ नाम से पोस्ट की थी। इसमें बताया था कि विकिपीडिया जब शुरू की गयी उस  समय ग्नू मुक्त प्रलेखन लाइसेंस ही था इसलिये विकिपीडिया के जनक जिमी वेल्स ने इसे इसी लाइसेन्स के अन्दर प्रकाशित किया। हांलाकि यह लाइसेंस इस तरह के लेखों के लिये नहीं पर सॉफ्टवेयर के प्रलेखन (documentation) के बारे में था।  इसके बाद प्रोफेसर लेसिंग के द्वारा क्रिएटिव लाइसेन्स शुरू किया गया जो कि वास्तव में विकिपीडिया जैसे लेखों के लिये है।

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अरे …

कुछ समय पहले मैं साउथ अफ्रीका के इंडिपेंडेंट एलक्टोरल कमीशन (Independent Electoral Commission, Head Office, Election House, 260 Walker Street, Sunnyside, Pretoria) की वेबसाइट गया पर मैं उसे न देख सका।

इसका कारण यह था कि आप उसे केवल इंटरनेट एक्सप्लोरर वेब ब्राउज़र से ही देख सकते हैं 😦

यह सच है कि आप लिनेक्स में वाइन की सहायता से इंटरनेट एक्सप्लोरर चला सकते हैं पर मुझे शक है कि यह कानूनी है कि नहीं। क्योंकि, विंडोज़ के अधिकतर सॉफ्टवेयर में शर्त होती है कि उनके सॉफ्टवेयर को, जब तक अनुमति न हो तब तक, विंडोज़ के अलावा किसी और ऑपरेटिंग सिस्टम में नहीं चलाया जा सकता है। यह अलग बात है कि इस तरह की शर्त वैध है अथवा नहीं।

मुझे जानकारी नहीं है कि मैक कंप्यूटर में इंटरनेट एक्सप्लोरर चलता है कि नहीं।

यह भी गौर करने की बात है कि लिनेक्स या मैक कंप्यूटर का प्रयोग करने वाले क्यों इंटरनेट एक्सप्लोरर का प्रयोग करेगें।  उनके पास प्रयोग करने के लिये इससे बढ़िया वेब ब्राउज़र  हैं।

मुझे आश्चर्य है कि साउथ अफ्रीका जैसे देश में, जहां लिनेक्स का बेहतरीन डिस्ट्रीब्यूशन बनता हो वहां भी इस तरह की कोई वेब साइट है।

यह तो एक तरह का भेदभाव हुआ न।

साउथ अप्रीका के लोग भी पीछे नहीं है। उन्होंने भी वहां के मानवाधिकार आयोग में भेदभाव का दावा ठोक दिया है।

हो सकता है कि कुछ दिनो बाद मैं आपको साउथ अफ्रीका घुमाने ले चलूं  🙂

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