बीस साल पहले

'बीस साल पहले' फिल्म में फरीदा जलाल

बीस साल पहले, आज के दिन लिनेक्स करनल प्रकाशित हुआ था। इस चिट्ठी में इसी की चर्चा है।

‘उन्मुक्त जी, “बीस साल पहले” फिल्म तो १९७२ में आयी थी – घिसी पिटी थी – चली भी नहीं।  क्या फायदा उसकी चर्चा करने से? कोई तड़कती भड़कती फिल्म की चर्चा करते तब कोई बात थी।’

अरे, मैं कोई फिल्म की चर्चा थोड़ी कर रहा हूं। मैं तो लिनेक्स के बारे में बात कर रहा हूं।

‘लिनेक्स के बारे में! अरे, आपके शीर्षक या आज के दिन का लिनेक्स से क्या वास्ता?’

है तो कुछ, चलिये कुछ बातें उसी के बारे में।

यूनिक्स दुनिया का सबसे पहला लेकिन सबसे सुदृढ़ एवं सबसे बेहतरीन ऑपरेटिंग सिस्टम है। लेकिन यह कुछ मुश्किल है। इसे सिखाने के लिये ऐमस्टरडैम के कम्प्यूटर विज्ञान के प्रोफेसर एन्डी टैनाबॉम ने मिनिक्स नामक ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया। इसमें कुछ कमियां थीं । इसी को दूर करने के लिये लिनुस टोरवाल्ड ने, २५ अगस्त १९९१ को, आज ही के दिन, २० साल पहले, ‘comp.os.minix’ नामक न्यूज़ग्रुप में यह चिट्ठी प्रकाशित की,

‘I’m doing a (free) operating system (just a hobby, won’t be big and professional like gnu) for 386 (486) AT cones. … I’d like any feedback on things people like/dislike in minix, as my OS resembles it … I’d like to know what features most people would want. Any suggestions are welcome, but I won’t promise I’ll implement them :-)’

मैं एक (मुक्त) ऑपरेटिंग सिस्टम ३८६ (४८६) पीसी के लिये शौक के तौर पर कर रहा हूं पर यह ग्नयू की तरह बड़ा नहीं होगा … मैं, आपका मिनिक्स के बारे में फीडबैक चाहूंगा कि उसमें आपको क्या पसन्द है और क्या पसन्द नहीं। क्योंकि मेरा ऑपरेटिंग सिस्टम उसी के तरह है … मैं यह भी चाहूंगा कि आप उसमें किस तरह की सुविधायें चाहते हैं। हर तरह के सुझावों का स्वागत है। लेकिन मैं उन्हें अमल करने का वायदा नहीं करता हूं 🙂

अगले साल १९९२ में, लिनेक्स को, जीपीएल लाइसेन्स के अन्दर प्रकाशित किया गया। यहीं से लिनेक्स की यात्रा शुरू हुई। यदि आप हिन्दी में  लिनेक्स के बारे में जानना चाहें तो ‘लिनेक्स की कहानी‘ पढ़े या फिर मुक्त सॉप्टवेयर में दिलचस्पी रखते हों तो ओपेन सोर्स सौफ्टवेर पर भी एक नजर डालें।

अंग्रेजी में लिनेक्स की कहानी का यह विडियो भी अच्छा है। इसका आनन्द लें।

यदि आप मुक्त सॉफ्टवेयर के प्रोग्रामों के बारे में जानना चाहें तब ‘वेलेंटाइन दिवस, ओपेन सोर्स के साथ मनायें‘,  ‘ओपेन सोर्स की पाती – बिटिया के नाम‘, और ‘जो वायदा किया, वो निभाना पड़ेगा‘ को पढ़ कर देखें। मैं मुक्त सॉफ्टवेयर तथा मुक्त मानक पसन्द करता हूं यह जानने के लिये ‘पापा, क्या आप उलझन में हैं‘ और मेरी श्रृंखला ‘मुक्त मानक और वामन की वापसी’ की कड़ियां पढ़ें या सुने। मुझे यह बताने की तो जरूरत नहीं होनी चाहिये कि ‘लिनेक्स प्रेमी पुरुष – ज्यादा कामुक और भावुक’ होते हैं‘ 🙂

‘मुक्त मानक और वामन की वापसी’ श्रृंखला की अलग अलग कड़ियों को आप नीचे दिये गये लिंक पर चटका लगा कर पढ़ सकते हैं। इसकी कुछ कड़ियों को, आप सुन भी सकते हैं। सुनने के लिये नीचे  लिंक के बगल में  ब्रैकेट ( ) के अन्दर लिखे ► चिन्ह पर चटका लगायें। यह ऑडियो फाइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप सारे ऑपरेटिंग सिस्टम में, फायरफॉक्स ३.५ या उसके आगे के संस्करण में सुन सकते हैं। इन्हें आप,

  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
सुन सकते हैं। ब्रैकेट के अन्दर चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें। इन्हें डिफॉल्ट करने के तरीके या फायरफॉक्स में सुनने के लिये मैंने यहां विस्तार से बताया है।

लिनेक्स और मुक्त सॉफ्टवेयर से संबन्धित अन्य चिट्ठियां

सांकेतिक शब्द

Linux,

Free software, information , Information Technology, Intellectual Property Rights, information technology, Internet, Linux, Open source software, software, software, technology, technology, technology, technology, Web, आईटी, अन्तर्जाल, इंटरनेट, इंटरनेट, ओपेन फॉमैट, ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर, टेक्नॉलोजी, टैक्नोलोजी, तकनीक, तकनीक, तकनीक, सूचना प्रद्योगिकी, सॉफ्टवेयर, सॉफ्टवेर,

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के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

One Response to बीस साल पहले

  1. आपके परिवार का लेखन अत्‍यंत सुकोमल है। हिन्‍दी की जनरूचि का बनाये रखने में आपका योगदान बना रहे ऐसी कामना है।

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