सैकड़ों वर्ष पहले के इंजीनियर ही बेहतर थे
फ़रवरी 2, 2010 4 टिप्पणियां
श्री अनुपम मिश्र गांधी पीस फाउंडेशन (Gandhi Peace Foundation) की नींव डालने वाले सदस्यों में हैं। वे राजस्थान में पानी संचय के बारे में बात करते हैं। उन्होंने ‘राजस्थान की रजत बूंदे’ नामक पुस्तक लिखी है। इसे गांधी शांति प्रतिष्ठान, नयी दिल्ली ने छापा है।
कुछ समय पहले ‘टेड आइडियआस् वर्थ स्परैडिंग’ (TED Ideas Worth Spreading) में, अनुपम जी का भाषण सुनने को मिला। इसमें वे बताते हैं कि किस तरह से सैकड़ों वर्ष पहले, भारतवासियों ने रेगिस्तान में, पानी संचय करने के तरीके निकाले। यह तरीके आजकल के कड़ोरों रुपये खर्च कर बनाये गये पानी संचय करने के तरीकों से कहीं बेहतर हैं।
हम अक्सर विज्ञान की बड़ी बड़ी बातें करते हैं। हमारे पूर्वजों ने वर्षों पूर्व कितने आसान तरीकों से पानी का संचय किया। हम अब, क्यों नहीं इन तरीकों को अपनाते। आप स्वयं देखिये और सुनिये।
यह अंग्रेजी में है क्योंकि वे विदेश में बोल रहे थे। लेकिन आप इन्हें देखेंगे, सुनेगें तो अपने जैसे लगेंगे। अनुपम जी, शुरू में कहते हैं।
‘Please switch off proper English check programme installed in your brain.’
कृपया, अपने मस्तिष्क में अंग्रेजी चेक करने वाले प्रोग्राम को बन्द कर दें।
यह एक बेहतरीन विडियो है। ऐसे विडियो कम देखने को मिलते हैं।
मालुम नहीं क्यों, इसे देखने के बाद बचपन में पढ़ी एक पुस्तक, ‘द अगली अमेरिकन’ (The Ugly American) में इंजीनियर होमर एटकिनस् (Homer Atkins) की याद आयी।
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यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो दाहिने तरफ का विज़िट,
सांकेतिक शब्द
। पर्यावरण,
। bicycle, Ecology, Environment (biophysical), Natural environment, Environmental movement, Environmentalism, Environmental science,
बढियां..
राजस्थान के हमारे गाँव में आज भी हर घर में पानी संग्रह के लिए ‘कूंड’ बने हुए है जिनमें साल भर पानी मिनरल-वाटर बना रहता है.
बिलकुल सही बात है पहले हर गांम्व मे तालाब हुया करते थे वो केवल पाणी का संचय ही नही करते थी और भी बहुत सी अच्छी बातें उन तालाबों से जुदी थी मगर आज सब सूख गये हैं उन पर मैरिज पैलेस बन रहे हैं। सरकार भी कुछ मन से करना नही चाहती। और भी बहुत कुछ है इस खेल मे। बहुत अच्छा लगा आलेख । पाडकास्ट सुनती हूँ धन्यवाद
उन्मुक्त जी, अनुपम जी का यह भाषण मैंने TED पर देखा है और उनकी पुस्तक की विवेचना भी किसी हिन्दी चिट्ठे पर ही देखी थी. उन्हीँ दिनों उनकी पुस्तक व जल संचयन प्रयासों से सम्बन्धित दूरदर्शन पर लघु-चलचित्र भी देखा था। उनके द्वारा प्रस्तुत तर्क और जागरूकता के प्रयास सराहनीय हैं।
TED के अनेक भाषण, प्रंशसनीय हैं। मैंने तो इसे अंतरजाल की चुनिंदा श्रेष्ठ / उत्कृष्ट sites में वर्गीकृत किया है।