समुद्र मंथन से – ब्रह्माण्ड के कोने तक
दिसम्बर 20, 2009 3 टिप्पणियां
विश्व में कम ही लोग, हिमालय और उसके आस पास के खण्ड की कला के बारे में जानते हैं। ‘रुबिन कला संग्रहालय’ (Rubin Museum of Art) न्यूयॉर्क में स्थित है। यह संग्रहालय लोगों के सामने, इस धरोहर को लाने का प्रयत्न करता है।
यह चित्र, रूबिन कला संग्रहालय के, इस प्रदर्शनी के बारे में सूचना दे रहे पेज से है।
इस संग्रहालय में, ११ दिसमबर २००९ से, ‘सृष्टि दर्शन: समुद्र मथंन से – ब्रह्माण्ड के कोने तक’ (Visions of the Cosmos: From the Milky Ocean to an Evolving Universe) नामक प्रदर्शनी चल रही है। यह प्रदर्शनी, हिन्दू सृष्टि के उत्पत्ति दर्शन से शुरू होकर, विज्ञान के द्वारा ब्रह्माण्ड की संरचना को दिखा रही रही है। यह प्रदर्शनी १० मई २०१० तक चलेगी।
इस प्रदर्शनी के अन्त में ‘अमेरिकी प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय’ (American Museum of Natural History) के द्वारा बनायी गयी प्रलेखी फिल्म ‘हमारा जाना ब्रह्माण्ड’ (The Known Universe) दिखायी जा रही है।
यह प्रलेखी हिमालय से शुरू हो कर, ब्रह्माण्ड के उस कोने तक पहुंचती जहां तक ‘अमेरिकी प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय’ की नजर जाती है और उसके बाद वापस आती है। हम में से बहुत से लोग इस प्रदर्शनी को तो नहीं देख सकते हैं पर आप इस प्रलेखी फिल्म को अवश्य देख सकते हैं। इसका मजा उठाने से न चूकें।
फिल्म सुंदर और ज्ञानवर्धक है।
क्लिप अच्छी लगी ..पर इसे हिन्दू दर्शन (किसी भी धर्म विशेष से ) से जोड़ने का कोई तुक नही दिख पड़ता. आप ही कहिए उन्मुक्त जी हर बार विज्ञान द्वारा तथ्य प्रमाणित होने के बाद उसका सन्दर्भ क्यों धर्म ग्रंथों में ढूंढा जाता है? पहले से बैठ कर लोग क्यों नही वैज्ञानिकों की सहायता कर देते हैं? इस कार्य में बेकार जाया हुई काफी उर्जा संरक्षित हो जाती.
लवली जी, मैं नहीं कह सकता। चिट्ठी में प्रदर्शनी की लिंक है। वहां पर जो लिखा है मैंने उसी का अपनी भाषा में अनुवाद कर, संक्षिप्त में रखा है। समुद्र मंथन हिन्दु कथाओं में आता है। शायद यह उत्पत्ति का रूपक है। ब्रह्माण्ड के कोने को, केवल विज्ञान से ही देखा और समझा जा सकता है। – उन्मुक्त
उन्मुक्त जी, आप ठीक कहते हैं ..पीड़ा होती है इन चीजों को किसी को जोड़ते देखती हूँ तब…पर क्या किया जा सकता …
क्षुद्रता का अहसास !