क्या अमेरिका में कंप्यूटर प्रोग्राम के संबन्ध में पेटेंट कानून बदलेगा

पेटेंट, बौद्धिक सम्पदा अधिकारों में सबसे महत्वपूर्ण है और शायद सबसे मुश्किल भी। मैंने इसके बारे में तीन श्रंख्ला पेटेंट, पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम, पेटेंट और पौधों की किस्में एवं जैविक भिन्नता अपने उन्मुक्त चिट्ठे पर की है। इनकी पहली कड़ी यहां, यहां, और यहां और अन्तिम कड़ी यहां, यहां, और यहां हैं। इसके बाद इन्हें संकलित कर, अपने लेख चिट्ठे पर पेटेंट, पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम, और पेटेंट और पौधों की किस्में एवं जैविक भिन्नता नाम से चिट्ठियां पोस्ट की हैं।

कंप्यूटर प्रोग्राम पेटेंट कराने के बारे में अलग-अलग देशों के नियम भी भिन्न हैं। यह पेटेंट विषय में, सबसे विवादास्पद विषय है और इसमें सबसे विवादास्पद है कि क्या कंप्यूटर के द्वारा व्यापार करने के तरीके को क्या पेटेंट कराया जा सकता है, यदि हां तो कब? यह सारा विवाद शुरु हुआ है अमेरिकी अपीली न्यायालय के द्वारा स्टेट स्ट्रीट केस (State Stree Bank vs Signature Finencial Group 149 F3d ,1352) केस में दिये गये फैसले के कारण। इसमें न्यायालय ने कहा कि,

‘कोई प्रक्रिया पेटेंट करने योग्य है या नहीं, यह इस पर नहीं तय होना चाहिए कि प्रक्रिया व्यापार करती है पर यह देखना चाहिये कि, पेटेंट की जाने वाली प्रक्रिया एक उपयोगी तरीके से प्रयोग की जा रही है अथवा नहीं।’

इसके बाद अमेरिका में व्यापार के तरीकों के के लिए दिये पेटेंटों की बाढ़ सी आ गयी। इसके कुछ उदाहरण है :

  • सामान खरीदने की स्वीकृत देने के लिये एक क्लिक का प्रयोग करना (मैंने आपको अपनी चिट्ठी ‘एक अकेला भी बहुत कुछ कर सकता है‘ में बताया है कि कैसे एक व्यक्ति ने एक क्लिक का प्रयोग करने के पेटेंट को कुछ हद तक रद्द करवाया है);
  • लेखा लिखने की एक आन-लाइन पद्धति;
  • आन-लाइन पारिश्रमिक प्रोत्साहन पद्धति;
  • आन-लाइन बारम्बार क्रेता कार्यक्रम; और
  • उपभोक्ता को अपने दिये गये दाम पर सर्विस की सूचना प्राप्त करने की सुविधा।

लेकिन, शायद यह अब बदल जाय।

१ अक्टूबर २००७ को, ‘In re Bilski case‘, में अमेरिका की अपीली न्यायालय ने यह सवाल उठाया है

बिलस्कि के मुकदमे में, बहस और निर्णय का बेसब्री से इंतजार है

कि क्या स्टेट स्ट्रीट केस केस ठीक से निर्णीत हुआ अथवा नहीं। अपीली न्यायालय, इस सवाल को, अन्य चार सवालों के साथ, एक बड़ी पीठ के समक्ष पुनः अगले माह सुनेंगे। ऐसा हो सकता है कि न्यायालय इस बार दूसरा रुख अपनाये। यदि ऐसा होता है तो कंप्यूटर प्रोग्राम के संबन्ध में, पेटेंट का कानून ही बदल जायगा। इस मुकदमें में लोग न्यायालय के मित्र की तरह बहस (यहां और यहां देखें) दाखिल कर रहे हैं। इस मुकदमे में बहस और निर्णय का बेसब्री से इंतजार है।

इंगलैंड में कंप्यूटर प्रोग्राम के संबन्ध में, पेटेंट के कानून में एक निर्णय के द्वारा कुछ बदलाव आया है यह अगली बार।

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(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।: Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)

  • विज्ञान कहानियों के जनक जुले वर्न
  • अंतरजाल की माया नगरी की नवीनतम कड़ी: ग्रॉकस्टर केस में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का फैसला

यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप –

  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में – सुन सकते हैं।

बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।

सांकेतित शब्द

Internet, technology, Science, सूचना प्रद्योगिकी, सॉफ्टवेयर, सॉफ्टवेर, सॉफ्टवेर, सौफ्टवेर, आईटी, अन्तर्जाल, इंटरनेट, इंटरनेट, टेक्नॉलोजी, टैक्नोलोजी, तकनीक, तकनीक, तकनीकी,

के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

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