सही – गलत

आज कल हिन्दे चिट्ठे जगत पर हिन्दी को ठीक लिखने ओर उसके सही करने तरीके पर बहस चल रही है। इसकी कुछ झलकियां आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं। यह बहस हिन्दी भाषा तक ही सीमित नहीं है, अंग्रेजी में भी बहस चलती रहती है पर अक्सर यह तय करना मुश्किल है कि क्या सही है और क्या गलत।

अब नील आर्मस्ट्रौंग के उस वाक्य को ही ले लें जो उन्होने २० जुलाई १९६९ को चन्द्रमा पर पहला कदम रखते समय दिया था। नासा केे मुताबिक, आर्मस्ट्रौंग नेे कहा था,

‘That’s one small step for man, one giant leap for mankind.’

अंग्रेजी व्याकरण विशेष्ज्ञों के अनुसार man के पहले a होना चाहिये था। आर्मस्ट्रौंग का भी कहना था कि उसने a कहा था। अब ऑस्ट्रेलिया के कंप्यूटर प्रोग्रामर पीटर शैन फोर्ड ने कंप्यूटर से टेस्ट करके बताया है कि a शब्द बोला गया था। यानी कि आर्मस्ट्रौंग ने यह कहा था कि,

‘That’s one small step for a man, one giant leap for mankind’,

पर दोनो में से कौन सा वाक्य व्याकरण की दृष्टि में सही है।

मैं अंग्रेजी भाषा का ज्ञाता तो नहीं हूं पर मेरे विचार से दोनो वाक्य सही हैं। गलत और सही तो इस बात पर निर्भर करता है कि नील आर्मस्ट्रौंग, कहना क्या चाहते थे? यदि वे यह कहना चाहते थे कि,

‘एक मानव के लिये छोटा कदम, पर मानव जाति के लिये लम्बी छलांग’

तो बेशक a प्रयोग करना चाहिये था। यदि वे कहना चाहते थे कि,

‘मानव के लिये छोटा कदम, पर मानव जाति के लिये लम्बी छलांग’

तो a का प्रयोग ठीक नहीं था।

सच में, यदि मैं उनकी जगह होता तो a शब्द का प्रयोग नहीं करता। मेरे विचार से उस अवसर के लिये उपयुक्त वाक्य था ‘मानव के लिये छोटा कदम, पर मानव जाति के लिये लम्बी छलांग’ न कि ‘एक मानव के लिये छोटा कदम, पर मानव जाति के लिये लम्बी छलांग’।

यह सच है कि वह कदम तो एक व्यक्ति (नील आर्मस्ट्रौंग) ने लिया था पर वह हज़ारों लोगों की मेहनत का फल था; वह कदम उन सब की आकांक्षाओं का फल था। मैं उसे एक व्यक्ति के कदम से न जोड़ कर सबसे जोड़ने की बात करता।

देखते हैं कि हिन्दी चिट्टे जगत में यह बहस कितने दिन और चलती है।

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के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं। मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है। कुछ समय पहले,  १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है। मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं। मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें। मुझसे समपर्क का पता यह है।

One Response to सही – गलत

  1. आशीष says:

    मै भी यह मानता हूं कि a का प्रयोग नही होना चाहिये !

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